10 मई, चेरापूँजी के
दर्शनीय स्थल
ऑरेंज रूट्स रेस्टोरेंट का
स्वादिष्ट खाना खाने के बाद हमारा काफिला फिर से अपनी बस में सवार हो गया था ! मन
में मलाल रह गया था कि चेरापूँजी से विदा लेने में थोड़ा ही समय बाकी है और बारिश
की एक भी बूँद अभी तक बदन पर नहीं पड़ी ! ईश्वर ने शायद हमारे मन की बात पढ़ ली !
आसमान में हल्के हल्के बादल से छा गए और हवाओं की गति कुछ तीव्र हो गयी ! तापमान
भी कुछ कम हो गया ! मौसम सुहाना हो गया ! हम मज़े में खिड़की से बाहर का नज़ारा लेने
में व्यस्त थे कि अचानक से बस रुक गयी ! पता चला हम फिर किसी जल प्रपात पर पहुँच
गए हैं ! साथियों इस जलप्रपात का नाम था डेन्थलेन वाटर फॉल !
डेन्थलेन वॉटरफॉल्स
डेन्थलेन फॉल्स मेघालय के खूबसूरत झरनों में से
एक है ! यह चेरापूँजी के पास पूर्वी
खासी हिल्स जिले में स्थित है ! करीब 90 मीटर की ऊँचाई से गिरकर पानी घने जंगल की पहाड़ियों से गुज़र कर तेज़ी से नीचे
गिरता है ! इस झरने से जुड़ी एक बड़ी ही लोमहर्षक कहानी प्रचलित है पुराने समय में
एक बहुत ही खतरनाक अजगर साँप था जिसे लोग यू थलेन के नाम से पुकारते थे ! कहते हैं
अगर किसीको धन दौलत समृद्धि की चाह होती थी तो वे इस साँप की पूजा करते थे और इसके
सामने नरबलि दिया करते थे ! यह साँप बहुत ही भयानक और विशाल था और इसके डर के मारे
लोगों ने घर बाहर निकलना छोड़ दिया था ! न बच्चों को ही बाहर जाने देते थे ! इस तरह
डर में रहते रहते बहुत समय हो गया तो सबने इस साँप के छुटकारा पाने का इरादा किया
! वह खतरनाक अजगर इसी वाटर फॉल के पास एक गुफा में रहता था ! एक दिन सभी गाँव वाले
एक साहसी युवक की अगुआई में इस साँप को मारने के लिए आये ! साँप के साथ भीषण युद्ध
हुआ लेकिन अंतत: उस दुष्ट एवं खतरनाक अजगर को सबने मिल कर मार डाला और उसके कई
टुकड़े करके सबने पका कर खा लिया ! स्थानीय लोगों द्वारा झरने के शीर्ष पर मारे गए
इस अजगर के नाम पर झरने
का नाम ‘डेन्थलेन’ रखा गया है। डेन्थलेन का अर्थ है अजगर साँप के कटे हुए टुकड़े ! झरने
के पास कुछ पत्थर हैं जो इस हिंसक लेकिन अलौकिक वीरतापूर्ण घटना की गवाही देते हैं
!
यह झरना पथरीले पठार पर है
और इसमें छोटे बड़े अनेकों पानी से भरे गड्ढे हैं ! घाटी की तरफ़ रेलिंग भी लगी है
लेकिन कई जगह यह रेलिंग टूटी हुई भी थी ! अपने भव्य नीले
पानी और काई की चट्टानों के कारण यह एक
लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो आपको ऐसा महसूस कराता है जैसे आप किसी दूसरी दुनिया
में पहुँच गए हैं ! यहाँ पास की गुफाओं में और
चट्टानों पर अदभुद नक्काशी है ! यह
चेरापूँजी में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों
में से एक है जिसमें एक सुंदर मार्ग है जो झरने के
आधार की ओर जाता है ! रास्ते में कई
स्विमिंग पूल हैं जो इसे पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आराम करने और मौज-मस्ती
करने के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं ! यह
शहर के केंद्र से लगभग 4 किलोमीटर
की दूरी पर स्थित है ! मानसून में जब झरने में पानी बढ़ जाता है यह क्षेत्र और
जीवंत हो जाता है ! लेकिन यह प्रपात साल भर पर्यटकों को आमंत्रित करता है ! डेन्थलेन फॉल्स में स्नान, तैराकी, पिकनिक, ट्रेकिंग, फोटोग्राफी का आनंद लिया जा
सकता है !
मौसम बहुत ही सुहाना हो गया
था ! ठंडी हवा चल रही थी ! हम सबने भी खूब तस्वीरें खींचीं और पानी भरे गड्ढों से
बचते बचाते झरने के जितने पास जा सकते थे गए ! बीच बीच में जहाँ रेलिंग नहीं थी
मामला रिस्की भी था ! असावधानीवश दुर्घटना भी हो सकती है ! लेकिन दिन का समय था हम
सब लोग सकुशल सुरक्षित खूब एन्जॉय करके फिर अपने वाहन में सवार हो गए ! हल्की हल्की
बूँदा बाँदी शुरू हो गयी थी ! सबके चहरे पर बत्तीस इंच की मुस्कान फ़ैल गयी थी !
रामकृष्ण मिशन आश्रम, चेरापूँजी
हमारा अगला पड़ाव था रामकृष्ण
परमहंस मिशन आश्रम ! यहाँ पहुँचते पहुँचते बारिश बहुत तेज़ हो गयी थी ! बस से उतर
कर हम लोग दौड़ते हुए भवन में घुसे ! बड़ा ही रमणीय स्थान है और वहाँ का वातावरण भी
बहुत ही बढ़िया था ! स्कूल चल रहा था ! एन सी सी की ड्रेस में कुछ छात्राएं जो शायद
तभी किसी कार्यक्रम में भाग लेकर आई थीं सीढ़ियों के ऊपर अपने फोटो खिंचवाने में और
मस्ती करने में मशगूल थीं ! उन्हें देख कर अपना बचपन और अपना छात्र जीवन याद आ गया
जब एन सी सी की परेड के बाद हम लोग भी इसी तरह मस्ती में डूबे रहते थे ! भीगने से
बचते हुए प्रार्थना सभा तक पहुँचे वहाँ अन्दर माँ शारदा देवी, स्वामी विवेकानंद और
परम श्रद्धेय रामकृष्ण परमहंस जी की तस्वीरें विराजमान थीं ! आश्रम के परिसर में
ही एक लोकल आर्ट एवं क्राफ्ट का छोटा सा म्यूज़ियम भी है और एक हैंडीक्राफ्ट आइटम्स
की दूकान भी है जहाँ पर बहुत ही रीज़नेबिल रेट्स पर सामान मिल रहा था ! स्कूल का
विशाल परिसर, हँसते खिलखिलाते चहकते बच्चे, खेल के मैदान देख
कर मन प्रसन्न हो गया ! अब खूब जम के बारिश हो रही थी ! छाते साथ न लाने का मलाल
भी हो रहा था लेकिन बारिश में भीगने का भी अलग ही सुख होता है ! अगला पड़ाव ‘नोह का
लिकाई’ वाटर फॉल था ! इतनी तेज़ बारिश हो रही थी कि पहले सोचा इसे आज रहने देते हैं
कल देख लिया जाए ! लेकिन हमारे गाइड दुद्दू और दिन्तू ने कहा अगले दिन संभव नहीं
होगा क्योंकि हम दूसरे रूट से शिलौंग जायेंगे ! ऐसे में इसे फिर नहीं देख सकेंगे !
सबकी सहमति यही हुई कि भीग ही तो जायेंगे थोड़ा सा लेकिन ‘नोह का लिकाई’ वाटर फॉल
तो देखने ज़रूर जायेंगे ! इसके बाद रिज़ोर्ट ही तो लौटना था तो जाते ही कपड़े बदल
लेंगे और सब ठीक हो जायेगा ! बस फिर क्या था ! चल पड़ा हमारा जत्था एक और रोमांचक
स्थल को देखने !
‘नोह का लिकाई’ वाटरफॉल
‘नोह का लिकाई’ वॉटरफॉल्स
भारत का सबसे ऊँचा वाटरफॉल है ! इसकी ऊँचाई 340 मीटर है ! यह मेघालय राज्य में चेरापूँजी के पास स्थित है ! यह वॉटरफॉल देश के
सबसे सुंदर और भव्य झरनों में से एक है और मेघालय राज्य का गौरव है ! उत्तर पूर्व
में देखने के लिए ‘नोह का लिकाई’ वाटरफॉल सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण स्थानों में
से एक है ! इस वाटरफॉल से भी जुड़ी एक बड़ी ही दुख भरी कहानी है !
इस फॉल्स का नाम ‘का लिकाई’ नाम की एक महिला से जुड़ा है, जिसने अपने पति की मृत्यु के बाद दोबारा किसी अन्य पुरुष से शादी की ! का
लिकाई की एक छोटी सी बच्ची भी थी ! खुद के भरण-पोषण के लिए और अपनी बेटी को खिलाने
के लिए उसे स्वयं कुली बन कर बहुत मेहनत करनी पड़ती थी !
जब वह घर पर होती थी तो उसका
अधिकांश समय अपनी बच्ची की देखभाल करने में बीतता था और उसका शेष समय जीविका कमाने के लिए कुली का काम करने में बीतता था
इसलिए वह अपने दूसरे पति को वह प्यार और समय नहीं दे पाती थी जो वह चाहता था ! इस
कारण उसके पति में ईर्ष्या की भावना विकसित हुई जो का लिकाई की बेटी के प्रति घृणा में
प्रकट हुई ! एक दिन जब का लिकाई बाहर काम करने गयी उस आदमी ने का लिकाई की बेटी को मार डाला और उसके माँस को पका कर उसने उसी की
माँ का लिकाई को परोसा ! का लिकाई ने खाना खा लिया लेकिन उसे अपनी बेटी कहीं दिखाई
नहीं दी ! वह अपनी बेटी को हर जगह ढूँढने लगी और ऐसा करते समय उसे सुपारी की टोकरी
में अपनी बेटी के हाथों की उँगलियाँ मिलीं ! वह सब समझ गई ! इस असह्य दुख को वह झेल
नहीं पाई और पहाड़ की चोटी से नीचे गहरी घाटी में छलांग लगा कर उसने आत्महत्या कर ली
! जिस झरने से उसने छलांग लगाई उसका नाम ‘नोह का लिकाई’ रखा गया ! बड़ी दर्दभरी
कहानी है ! मन विचलित हो गया ! लेकिन यहाँ आकर बहुत अच्छा लगा ! बहुत सुन्दर स्थान
है !
सबने बारिश में भीगने का भी
का खूब आनंद लिया ! विद्या जी तो पूरी तैयारी से आई थीं ! उनका तो रेनकोट भी निकल
आया ! तेज़ हवा से सबके छाते उलटे जा रहे थे ! हमारे पास तो छाते भी नहीं थे सो हम
तो विशुद्ध बारिश का मज़ा ले रहे थे ! बारिश के बावजूद भी सबने अपने मोबाइल्स को
ढकते छिपाते यथा संभव फ़ोटोज़ ले ही लिए ! १० मई का यह हमारा अंतिम पड़ाव था !
‘नोह का लिकाई’ फॉल देखने
के बाद हम लोग अपने रिज़ोर्ट पहुँचे ! सबने जल्दी जल्दी कपड़े बदले और गरमागरम चाय
बिस्किट्स का आनंद लिया ! रात को डिनर के लिए रिज़ोर्ट के किचिन इनचार्ज को समय से
वेज बिरियानी का आर्डर दे दिया जो उसने ठीक आठ बजे सर्व कर दी ! हम सबने साथ बैठ
कर डिनर का लुत्फ़ लिया ! पुलाव वाकई बहुत अच्छा बना था ! इस दिन बादलों की वजह से
सिग्नल आ नहीं रहे थे इसलिए किसीसे बात नहीं हो पाई ! खाना खाकर सब जल्दी ही सो गए
! आप भी अब विश्राम करिए ! कल आपको और भी कई खूबसूरत स्थान घुमाने हैं ! तो मेरी
अगली पोस्ट की प्रतीक्षा करिए और मुझे अब इजाज़त दीजिये ! शुभ रात्रि !
साधना वैद
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल जिंदगानी फिर कहां, जिंदगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहां' मुहम्मद इकबाल की ये लाइन बताने के लिए काफी है कि घूमना क्यों बेहद जरूरी है.
ReplyDeleteसार्थक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से धन्यवाद कुंदन जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteखूबसूरत मेघालय
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Delete