नव वर्ष २०२४ की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
सुख-दुःख, 
हर्ष-विषाद, 
आनंद-निरानंद,
उत्सव-अवसाद,
विभिन्न प्रकार
की 
कभी रंग बिरंगी
तो
कभी श्वेत
श्याम 
परछाइयों से
घिरी हूँ, 
जाते हए साल का
हर दिन 
रोलर कोस्टर
राइड की तरह 
तमाम झटके देता
बीत रहा है
और मैं अदृश्य
बेल्ट से जकड़ी हुई   
अपनी सीट पर
निरुपाय छटपटा रही हूँ !
सुबह सुख के
शिखर पर 
तो दिन अवसाद
के गह्वर में, 
शाम को अधरों
पर सजी मुस्कुराहटें , 
तो रात वेदना
के भार से घुटन भरी ! 
नहीं समझ पा
रही हूँ 
कैसे करूँ
अभ्यर्थना नए साल की 
कैसे सजाऊँ
नवदीप द्वार पर 
२०२४ के स्वागत
के लिए ! 
आशंकित हूँ इन
दीपों का आलोक 
क्षणभंगुर होगा
या स्थाई होगा, 
नया साल
खुशियाँ लाएगा भी या नहीं 
या आँचल में
संचित सारी खुशियों को 
एक झपटा मार पल
भर में 
धरा पर बिखेर
जाएगा ! 
मन में
दुश्चिंताओं का तूफ़ान 
हहरा कर घुमड़
रहा है 
लेकिन फिर भी
मेरा मन 
आगत के
अभिनन्दन के लिए 
मुझे प्रेरित
कर रहा है ! 
वंदन है नव
वर्ष 
अभिनन्दन है नव
वर्ष 
भाव भीना
आत्मीयता भरा 
स्वागत है नव
वर्ष ! 
आओ और जगती के
हर कोने से
दुःख और विषाद
की 
हर छाया को
मिटा दो,
संसार के हर
कोने को 
दिव्य आलोक से
भर दो,
संसार के हर संतप्त
प्राणी की 
पीड़ा का नाश कर
दो 
कल्याण करो,
कल्याण करो, कल्याण करो !   
साधना वैद 
 

 
 
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