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Friday, February 24, 2023

संतुलन




खड़ी हुई हूँ एक पैर पर

संतुलन बनाए !

जानते हो क्यों ?

सच करने के लिए

अपने सारे सपने !

एक हाथ से थाम रखा है

मैंने अपने उस बेकाबू पैर को

जो धरा का स्पर्श पाते ही

अधीर हो जाता है

उसकी गोलाई को नापने के लिए,  

और दूसरी हथेली पर

मैंने सम्हाली हुई है

सारी दुनिया, सारी नियति,

सारी कायनात !

आसान नहीं है इस तरह

एक पैर पर खड़े रहना थोड़ी देर भी ! 

लेकिन मैं सुबह से ही इस मुद्रा में

खडी हुई हूँ !   

अब सच होने को

उतावले हो रहे हैं मेरे सपने

और मेरा मन उत्कंठित है

अपनी जीत की उस तहरीर को

पढ़ने के लिए जिसे मैंने

अद्भुत धैर्य, लगन और समर्पण से

लिख डाला है समय के भाल पर 

और मेरी झोली भर गयी है

प्रोत्साहन, प्रशंसा और पुरस्कारों से !

मैं गर्वित हूँ, मैं पुलकित हूँ,

मैं सच में बहुत हर्षित हूँ !

मैं आज की नारी हूँ !

 

साधना वैद


Monday, February 13, 2023

रेडियो हमारा

 

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विश्व रेडियो दिवस की आप सभीको हार्दिक बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं !
रेडियो हमारा
वो था रेडियो
सच्चा साथी हमारा
प्राणों से प्यारा
रेडियो संग
होती सुबह शाम
रात हमारी
गाने सुनते
संग गुनगुनाते
डूब से जाते
खाना भूलते
पढ़ना भी भूलते


विश्व रेडियो दिवस की आप सभीको हार्दिक बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं !
वो था रेडियो
सच्चा साथी हमारा
प्राणों से प्यारा

रेडियो संग
होती सुबह शाम
रात हमारी

गाने सुनते
संग गुनगुनाते
डूब से जाते

खाना भूलते
पढ़ना भी भूलते
डाँट भी खाते

पर रेडियो !
रेडियो न छूटता
दुलारा जो था

वो भी आदी था
हमारे सान्निध्य का
गुस्सा न होता

उमेठते थे
जब उसके कान
खुश होता था

सुनाता हमें
सारे जग की बातें
नई पुरानी

गीत संगीत
इतिहास भूगोल
कला विज्ञान

बच्चों के किस्से
रसोई के व्यंजन
खेती की बातें

सिखाता हमें
नयी से नयी विधा
हर हुनर

ऐसा था दोस्त
सच्चा औ’ वफादार
यारों का यार

ज्ञान का पुंज
था रेडियो हमारा
जान से प्यारा


साधना वैद



Sunday, February 12, 2023

छलका मधु घट - ऋता शेखर मधु जी की नज़र से

 


आपको यह बताते हुए मुझे अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है कि मेरा नया हाइकु संग्रह, 'छलका मधु घट' प्रकाशित हो गया है और यह अमेज़न पर उपलब्ध है ! आपके प्रेम और प्रतिक्रिया की मुझे प्रतीक्षा रहेगी !
साधना वैद
अमेज़न पर यह पुस्तक इस लिंक पर उपलब्ध है -

'छलका मधु घट' की समीक्षा मेरी प्रिय सखी एवं परम विदुषी ऋता शेखर 'मधु' जी की सुनहरी कलम से !
छलका मधु घट— रसास्वादन मधु का
पाठकीय प्रतिक्रिया- ऋता शेखर 'मधु'
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पुस्तक परिचय - छलका मधु घट (हाइकु-संग्रह)
लेखिका - साधना वैद
पृष्ठ - 176
मूल्य - 150/-
प्रकाशक - निखिल पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स, शाहगंज, आगरा - 10
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छलका मधु घट (हाइकु संग्रह) मुझे आदरणीय साधना वैद जी के द्वारा उपहारस्वरूप भेजा गया है। इसके लिए मैं दिल से आभार प्रकट करती हूँ।
मुखपृष्ठ पर बाँस के द्वार के बीच मीनाकारी से सजा घट और उसमें से छलकते मधु ने मन मोह लिया। हाइकु गागर में सागर भरने वाली विधा है और साधना जी ने मधु भरकर उसके स्वाद को लुभावना बनाया है।
पुस्तक माता पिता को समर्पित की गई है।
पुस्तक को जिनके आशीर्वचन प्राप्त हुए हैं वे हैं 1. हिन्दी हाइकु परिषद की अध्यक्ष मिथिलेश दीक्षित जी एवं 2. राष्ट्रीय कवि डॉ विनय शंकर दीक्षित जी
शुभकामना संदेश श्रीमती आशा लता सक्सेना जी का है।
कुल 102 विषयों से सुसज्जित हाइकु संग्रह हर रंग और सुगंध से रच बस कर एक सुंदर उपवन है जिसमें सैर करते हुए , महसूस करते हुए वाह कह उठते हैं। हर विषय को पढ़ते हुए लगता है कि नवीन पुष्प की पंखुरी का स्पर्श किया।
बसन्त में जहाँ फूलों के बाण/ सकुचाई सी प्रिया/ मुग्ध मदन हैं, वहीं होली में जला दें आज/ दुश्मनी बैर भाव/होली की आग जैसे सन्देश हैं। आज की बेटी के पास है सिंधु - सा मन/ पर्वत-सा हौसला/ फूल- सा तन, साथ ही मनुहार है : विहग वृन्द/ आओ न मेरे घर/ मीठा है पानी। इंतेज़ार के पलों में सृजित हाइकु अँखियाँ रोयीं/ पल भर न सोयीं/ तुम न आये। मनमीत कान्हा से लगाई गई गुहार, पालनहार/ व्याकुल अंतर की/ सुनो पुकार। पेड़ काटने पर पंछी का बेघर होना और नारी, बच्चो और प्रजा के लिए गए सवाल खूबसूरती से हाइकु घट में सम्मिलित हो गए। पटाखों द्वारा प्रदूषण, चुनावों पर हाइकु द्वारा लेखिका के सामाजिक सरोकार का भी पता चलता है। कहीं कहीं जब हाइकु द्वारा कथ्य पूर्णता नहीं पा सका तो तांका विधा द्वारा पूर्ण करना की लेखनी की दक्षता का उदाहरण है। बदरंग जीवन की मार्मिकता कि अपना घर/ जतन से सजाया/ सेंटा न आया, बहुत सुन्दर है। जीवन दर्शन, गणपति, माँ दुर्गा के नव रूप पर रचे गए हाइकु साधना जी के आध्यात्मिक पक्ष हैं और सर्वशक्तिमान के प्रति समर्पण है। भाव प्रसून विषय में कला और शब्द सौंदर्य निखर कर सामने आया है। माँ को दी गयी भावांजलि ने मन मोह लिया। हर चिंता का/ समाधान होते थे/ मेरे बाबूजी, पिता के प्रति उद्गार भी भावपूर्ण हैं।
हाइकु में प्रकृति-बिम्ब के समावेश को हाइकु मानने की एक विचारधारा के अनुसार यह हाइकु सटीक सुन्दर है, मौन मयंक/ हर्षित उडुगन/निशा निःशब्द। राखी और दीपावली जैसे त्योहारों के हाइकु जहाँ रिश्तों की पवित्रता बता रहे वहीं दीपक के प्रकाश के महत्व को उद्धृत कर रहे। देशप्रेम से ओतप्रोत हाइकु तिरंगा और शहीदों के साथ वीरता की तरंग लाने में सफल रहे।नैनों में नीर/ हृदय अभिमान/ वीर जवान। सीता माता को बिम्ब बनाकर नारियों के लिए लिखे गए हाइकु नारी-विमर्श की ओर उन्मुख हैं। धूम्रपान पर चेतावनी देते हाइकु समाजपरक हैं।
साधना जी ने प्रेम विषय ओर भी बखूबी सुन्दर हाइकु रचे हैं। नजरों की बातें, पन्नों में दबी रूमानी कहानी पढ़ने के लिए पाठकगण पुस्तक पढ़ें तो दिल से महसूस कर पाएंगे। परिवार, परीक्षा, पर्यावरण जैसे विषय पर भी हाइकु हैं। प्राकृतिक चीजों जैसे पर्वत धारा, पहाड़ी नदी नजरों के सामने उनके चित्र उपस्थित करने के साथ मानवीय प्रवृति को भी उजागर कर रहे। फागुन, पावस जैसे महीने स्वतः लुभावने होते हैं और हाइकु में बंधने के क्रम में वे सौंदर्य कायम रखते हैं जिसे साधना वैद जी ने कुशलता से निभाया है।
पृष्ठ के अनुसार पुस्तक का मूल्य बहुत कम है। पाठको को पुस्तक पढ़ना अच्छा लगेगा। साहित्य में हाइकु जगत को समृद्ध करने के लिए साधना जी को हार्दिक बधाई व आगे आपकी और पुस्तकें प्रकाशित हों, इसके लिए दिल से शुभकामनाएं।

– ऋता शेखर मधु


किन शब्दों में आभार व्यक्त करूँ स्वयं को असमर्थ पा रही हूँ । इतनी सुंदर एवं इतनी त्वरित प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका ऋता जी ।

साधना वैद