चुनाव का मौसम है ! हर पार्टी स्वयं को तीसमारखाँ और विरोधी को एकदम तुच्छ एवं निकृष्ट सिद्ध करने में प्राणप्रण से जुटी हुई है ! लेकिन क्या किसी पर कटाक्ष करते समय शिष्टता और मर्यादा का पालन करने का दायित्व केवल आम जन का ही होता है ? मुझे याद है कई वर्ष पूर्व आकाशवाणी के एक केंद्र से प्रसारित होने वाले बच्चों के कार्यक्रम में एक बच्चे ने माइक पर नारा बोल दिया था---
गली गली में शोर है
राजीव गाँधी चोर है !
गली गली में शोर है
राजीव गाँधी चोर है !
उन दिनों बच्चों का कार्यक्रम लाइव प्रसारित होता था ! शायद तब सभी का यह विचार था कि बच्चे मन के भोले होते हैं वो जो कहेंगे उसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं हो सकता ! लेकिन इस घटना के बाद उस केंद्र के डायरेक्टर को तो हटा ही दिया गया बच्चों के प्रोग्राम भी पहले रिकॉर्ड किये जाने लगे ताकि उनमें एडिटिंग की जा सके ! लेकिन आजकल देश भर में हमारे नेता अपने भाषणों में जिस भाषा का प्रयोग कर रहे हैं उनकी एडिटिंग कहाँ हो और कैसे हो ! आजकल भी यह नारा पुरज़ोर बुलंद है-
गली गली में शोर है
चौकीदार चोर है !
गली गली में शोर है
चौकीदार चोर है !
क्या वाणी पर संयम रखने का दायित्व केवल बच्चों का और आम जनता का है नेताओं का नहीं ?
साधना वैद
उव्वाहहहह..
ReplyDeleteचुनावी दंगल..
सादर नमन..
हार्दिक धन्यवाद दिग्विजय जी !
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-03-2019) को "कलम बीमार है" (चर्चा अंक-3286) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी! सादर वन्दे!
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन फ़ारुख़ शेख़ और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteसहमत आपकी बात पर ... भाषा का स्तर जैसे गिर रहा है और इसमें सबसे ज्यादा राजनितिक लोगों का ही कसूर है ...
ReplyDeleteपर मानेंगे नहीं ये नेता ... राजा समझते हैं ये अपने आप को ...
बिलकुल सही कहा आपने ,बच्चो तो बच्चे है इन नेताओ ने तो कभी अपनी वाणी पर नियंत्रण किया ही नहीं ,सादर नमन साधना जी
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद नासवा जी ! यह स्थिति चिंतनीय है !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद कामिनी जी! आम जनता इन नेताओं का ही अनुकरण करती है और उनसे भी अधिक जोश में आकर सारी मर्यादाओं को तोड़ती है इसलिए आवश्यक है कि नेताओं के इन कुबोलों पर लगाम लगाई जाए! पर कैसे ?
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद हर्षवर्धन जी !
ReplyDeleteiAMHJA
ReplyDeleteसंयम बहुत जरुरी है. जाने स्तर का गिरना कहाँ जा कर रुकेगा. दोनों तरफ से ही यह हाल है. कोई कहता है कि जसे उनका चचेरा भाई मर गया हो, कोई कहता है सोनिया ने राहुल को बताया होगा कि राजीव उनके पिता है और ये बयान भी उच्चस्तरीय नेताओं के द्वारा....पप्पू, फेंकू, कांग्रेस की विधवा, चौकीदार चोर आदि आदि.
ReplyDeleteअति हो गई है!!
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