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Friday, March 29, 2019

एक आँख पुरनम



 

न तुझे पास अपने बुला सके   
  न तेरी याद को ही भुला सके   
एक आस दिल में जगी रही  
न जज़्बात को ही सुला सके !

तू पलट के ऐसे चला गया
 ज्यों कभी न देखा हो हमें   
न आवाज़ देते ही बना
न नज़र से तुझको बुला सके !

तुझे ज़िंदगी की तलाश थी
तू खुशी की राह पे चल पड़ा
हमें चाह दरिया ए दर्द की
कि खुदी को उसमें डुबा सकें !

तुझे रोशनी की थी चाहतें
तूने चाँद तारे चुरा लिये
हमें हैं अंधेरों से निस्बतें
कि ग़मों को अपने छिपा सकें !

तेरे लब पे खुशियाँ खिली रहें
या खुदा दुआ ये क़ुबूल कर
जो मोती गिरें मेरी आँख से  
तेरी राह में वो बिछा सकें !


चित्र - गूगल से साभार 


साधना वैद

22 comments :

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी! हार्दिक शुभकामनाएं !

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  3. तुझे रोशनी की थी चाहतें
    तूने चाँद तारे चुरा लिये
    हमें हैं अंधेरों से निस्बतें
    कि ग़मों को अपने छिपा सकें !
    बेहतरीन लेखन हेतु साधुवाद । बहुत-बहुत बधाई आदरणीय ।

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  4. बहुत ख़ूब साधना जी. बहादुरशाह ज़फर की नज़्म याद आ गयी -

    'पसे मर्ग मेरी मज़ार पर, जो दिया किसी ने जला दिया,
    उसे आह ! दामन-ए-चाक ने, सरे-शाम ही से बुझा दिया.'

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  5. वाह !बहुत सुन्दर दी जी
    सादर

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  6. तेरे लब पे खुशियाँ खिली रहें
    या खुदा दुआ ये क़ुबूल कर
    जो मोती गिरें मेरी आँख से
    तेरी राह में वो बिछा सकें !
    बहुत ही लाजवाब रचना...

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  7. हार्दिक धन्यवाद सिन्हा साहेब ! आभार आपका !

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  8. ओह ! हार्दिक धन्यवाद गोपेश जी ! मेरी रचना ने आपको बहादुर शाह ज़फर की रचना याद दिला दी सुन कर संकुचित हो उठी हूँ ! लेकिन खुश भी हूँ ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  9. हार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! आभार आपका !

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  10. आपका तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया सुधा जी ! इसी तरह स्नेह बनाए रखें !

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  11. बहुत ही लाजवाब और भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

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  12. हार्दिक धन्यवाद रीना जी ! आपकी दस्तक मन मुग्ध कर गयी !

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  13. तुझे रोशनी की थी चाहतें
    तूने चाँद तारे चुरा लिये
    हमें हैं अंधेरों से निस्बतें
    कि ग़मों को अपने छिपा सकें...
    हर पंक्ति लाजवाब ही है, इस रचना को बार बार पढ़ने का मन होता है।

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  14. हार्दिक धन्यवाद मीना जी ! आभार आपका !

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  15. हार्दिक धन्यवाद मीना जी ! आभार आपका !

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  16. बेहतरीन सृजन सखी।

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    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय सखी सुजाता जी ! आभार आपका !

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  17. न तुझे पास अपने बुला सके
    न तेरी याद को ही भुला सके
    एक आस दिल में जगी रही
    न जज़्बात को ही सुला सके !
    बेहतरीन सृजन । बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया।

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    1. हार्दिक धन्यवाद सिन्हा साहेब ! आभार आपका !

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  18. जो मोती गिरें मेरी आँख से
    तेरी राह में वो बिछा सकें !"

    बहुत सुन्दर रचना रची है आपने। बहुत बढ़िया।

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    1. हार्दिक धन्यवाद प्रकाश जी ! आभार आपका !

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  19. हृदय से आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी ! सादर वन्दे !

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