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Thursday, March 7, 2019

ज़रा देखें कि ये किसकी हिमायत कर रहे हैं


ऐसा कम ही होता है जब पूरा देश किसी मुद्दे पर एकमत हो ! लेकिन जब क्रिकेट मैच का फाइनल हो या देश पर युद्ध के बादल मंडरा रहे हों तो ऐसा मंज़र भी दिखाई दे जाता है ! पुलवामा में आतंकी हमले से लेकर भारतीय एयर फ़ोर्स की सर्जिकल स्ट्राइक और विंग कमांडर अभिनन्दन की वापिसी तक देशभक्ति की लहर समूचे देश में एक ही गति और एक ही प्रवाह से बहती दिखाई दे रही है ! पर इस समय भी कुछ विघ्नसंतोषी महानुभाव सेना और देश का मनोबल गिराने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं ! उन्हें हर बात का प्रमाण चाहिए क्योंकि पाकिस्तान हमारी फ़ौज की सफलता को एक असफलता बता कर अपने देश की जनता को बहलाना चाहता है झुठलाना चाहता है ! भूलना नहीं चाहिए यह वही पाकिस्तान है जिसने आज तक यह नहीं माना है कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में ही छिप कर रहता था और अमेरिकन कमांडोज़ ने उसका खात्मा उसके ही घर में घुस कर किया था ! पाकिस्तान तो यह भी नहीं मानता कि अजमल कसाब पाकिस्तान का नागरिक था और पाकिस्तान से ही आतंकी हमले के लिए मुम्बई भेजा गया था !
पाकिस्तान अपने नागरिकों को यह भी समझाने में काफी हद तक सफल रहा है कि सन् ४७ से आज तक सारे युद्ध भारत ने शुरू किये और अंत में हर लड़ाई में पाकिस्तान की विजय हुई ! ऐसे ‘सत्यवादी’ पाकिस्तान का यह कहना कि २६ फरवरी को भारतीय वायु सेना द्वारा की गयी सर्जिकल स्ट्राइक में उसका कोई नुक्सान नहीं हुआ सिर्फ एक कौआ मरा है इन विघ्संतोषी नेताओं को बिलकुल सच लग रहा है और ये पाकिस्तान की इसी बात पर विश्वास कर अपने देश की सेना को झूठा साबित करने पर तुले हुए हैं और सरकार व सेना से यह पूछने में ज़रा सा भी नहीं सकुचा रहे हैं कि कितने मारे सबूत दो ! यह बहुत ही शर्मनाक स्थिति है !
एयर चीफ कह चुके हैं हमारा काम है सही टारगेट को हिट करना लाशें गिनना हमारा काम नहीं है ! युद्ध के समय अपनी सेना के हर छोटे से छोटे कार्य की प्रशंसा करनी चाहिए और यदि कोई कमी रह भी जाए तो भी उसको अपमानित करने की बजाय उसका हर प्रकार से उत्साहवर्धन करना चाहिए और मनोबल बढ़ाना चाहिए ! लेकिन इसके विपरीत हमारे ये महानुभाव न केवल शत्रु देश की बातों पर विश्वास कर रहे हैं ये उन्हीं की भाषा भी बोल रहे हैं और अपनी सेना के शौर्य, पराक्रम और उपलब्धियों को भी नकार रहे हैं ! इन्हें कब यह समझ में आयेगा कि अपनी इन हरकतों से ये अपने ही देश की छवि धूमिल कर रहे हैं !
पाकिस्तान वह देश है जिसने कारगिल युद्ध में मारे गए अपनी ही सेना के तीन सौ सत्तावन सैनिकों के शवों को लेने से ही मना कर दिया था कि वे उनकी फ़ौज के सैनिक ही नहीं हैं ! २०० पाकिस्तानी सैनिकों का कफ़न दफ़न भारत को करना पड़ा ! बचे हुए ऑफीसर्स के शवों को पाकिस्तान युद्ध समाप्त होने के कई सालों बाद चुपके से वापिस ले गया ! और हमारे देश का जज़्बा भी देखिये ! यहाँ बहादुरों और उनकी बहादुरी की कदर की जाती है ! पाकिस्तान के कैप्टन शेर खान को, जिनकी लाश तक पाकिस्तान अपने देश वापिस नहीं ले जा रहा था, बाद में भारत की रिकमेन्डेशन पर ही सन् २०१० में पाकिस्तान में बहादुरी का सबसे बड़ा तमगा ‘निशान-ए-हैदर’ दिया गया !
हमारे देश के कुछ मुठ्ठी भर नेता ऐसे देश की बातों पर अपनी सेना के दावों से अधिक विश्वास करते हैं और अपनी ही सरकार और सेना को कटघरे में खड़ा करते हैं ! पाकिस्तान तो वो झूठा और अभागा देश है जिसके टी वी पर इस झूठे अनाउंसमेंट की वजह से कि उन्होंने भारत के दो जहाज़ गिरा दिए हैं ( जबकि एक जहाज़ पाकिस्तान का था जिसे अभिनन्दन ने शूट किया था ) उन्हें अपना एक जांबाज़ विंग कमांडर खोना पड़ गया क्योंकि वहाँ की जनता ने दोनों को भारतीय समझ कर पीटना शुरू कर दिया ! सौभाग्य से अभिनन्दन तो बच गए लेकिन उनकी अपनी ही एयर फ़ोर्स के विंग कमांडर शहाज़बुद्दीन को जनता ने पीट पीट कर इतना अधमरा कर दिया कि बाद में उसकी अस्पताल में मौत हो गयी ! लेकिन पाकिस्तान इस घटना को भी झुठला रहा है ! शहाजबुद्दीन भी अभिनन्दन की तरह पाकिस्तान का बहादुर फ़ौजी था जिसके पिता भी पाकिस्तान की एयर फ़ोर्स में विंग कमांडर थे ! सिर्फ एक झूठ की वजह से अपने ही देश में अपने ही लोगों के हाथों वह बेमौत मारा गया !
जिम्मेवार विपक्ष कठिन समय में देश के साथ खड़ा होता है और सरकार के हाथ मजबूत करता है ! सन् १९६२ के युद्ध में आर एस एस के स्वयम सेवकों ने सड़कों पर आकर यातायात की व्यवस्था सम्हाली थी जिसकी नेहरू जी ने भी तारीफ़ की थी और अगली २६ जनवरी के उत्सव में उन्हें परेड में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया था ! सन् १९६५ और सन् १९७० के युद्ध में भी तत्कालीन सरकार को प्रमुख विपक्षी पार्टी जनसंघ का पूरा साथ मिला था ! बांग्ला देश के युद्ध के समय श्री अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने हर भाषण में तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी का हर हाल में साथ देने का जनता से अनुरोध किया था और यह सन्देश दिया था कि मतभेद अपनी जगह हैं लेकिन देश पर मंडरा रहे इस संकट के समय हम सब एक हैं और हम सबका लक्ष्य एक है और वह है भारत की विजय, भारत का सम्मान और तिरंगे की शान !

आजकल के नेता क्या इनसे कुछ सीख लेंगे !


साधना वैद

2 comments :

  1. विचारणीय लेख है आप का ,सच वो नेता नहीं इस देश का दुर्भाग्य है उनके रूप में जो ऐसे वक़्त में भी अपना सियासी फायदा ही ढूंढ रहे हैं। सादर नमस्कार साधना जी

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  2. हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! बहुत बहुत आभार !

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