Followers

Friday, July 7, 2023

अगर सा महकता अगरतला – 11

 


c

13 मई – ध्वजावरोहण समारोह – रोमांचक पल

अगरतला में अपने होटल एयर ड्रॉप में अपने कमरे में पहुँच कर ज़रा देर पीठ सीधी करने के बारे में सोच ही रहे थे कि अंजना जी की कॉल आ गयी सब लोग जल्दी जल्दी फ्रेश होकर नीचे आ जाएँ ! कहीं जाना है और देर हो गयी तो कार्यक्रम अच्छी तरह से नहीं देख पायेंगे ! कहाँ जाना है यह स्पष्ट नहीं हुआ था ! वैसे पूर्व निर्धारित प्रोग्राम सिटी साइटिंग का था उसमें तो समय की कोई पाबंदी नहीं थी ! दस पंद्रह मिनिट आगे पीछे होने से कुछ मिस होने वाला नहीं था ! अंजना जी की कॉल ने उत्सुकता बढ़ा दी ! मैं और राजन झटपट नीचे आ गए ! ग्रुप के सभी सदस्य बड़ी सी मुस्कराहट के साथ रिसेप्शन के सोफों पर विराजमान थे ! कहाँ जाना है अभी तक यह रहस्य ही बना हुआ था ! खैर हम लोग कोई सवाल किये बिना अपनी अपनी गाड़ियों में सवार हो गए और कुछ ही पलों में हमारी गाड़ी हवा से बातें करने लगी ! हमारी गाड़ी के चालक एक बहुत ही खुशमिजाज़ इंसान थे जिनका नाम था राजा ! बहुत ही बढ़िया हिन्दी बोलते और समझते थे और अगरतला के बारे में हर छोटी बड़ी जानकारी उनके पास मिल जाती थी ! रास्ते में राजा ने बताया कि हम लोग भारत बांग्ला देश के बॉर्डर पर जा रहे हैं जहाँ दोनों देश के सैनिक अपने अपने देश के झंडे को सलामी देकर उतारते हैं ! बड़ा ही भव्य एवं शानदार कार्यक्रम होता है ! दोनों देशों के सैनिकों के द्वारा मार्च पास्ट और परेड का अद्भुत प्रदर्शन होता है और इस अभूतपूर्व कार्यक्रम को देखने के लिए वहाँ दोनों देशों के दर्शक बड़ी संख्या में जमा होते हैं ! बड़े ही मैत्रीपूर्ण वातावरण में यह कार्यक्रम होता है और दर्शक दूसरे देश की सीमा में सीमित दूरी तक जाकर वहाँ के नागरिकों के साथ मिल सकते हैं, उनके साथ फोटो खिंचवा सकते हैं उनके साथ संवाद कर सकते हैं ! अपने देश के सैनिकों के साथ भी संवाद कर सकते हैं फोटो खिंचवा सकते हैं और इस तरह से इस भव्य कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं ! अगरतला की सड़कों पर हमारी कार दौड़ रही थी ! मेघालय के शहरों की तरह यह पहाड़ी शहर नहीं था ! मैदानी क्षेत्र का छोटा सा शहर ! मुझे तो ऐसा ही लगा जैसे आगरा के किसी अंदरूनी हिस्से में ही हम घूम रहे हैं ! हम लोग समय से बहुत पहले ही परेड स्थल पर पहुँच गए थे ! अमृतसर में बाघा बॉर्डर पर होने वाली ऐसी ही परेड के बारे में बहुत सुना था और टी वी पर उसकी झलकियाँ भी देखी थीं कई बार ! ऐसा ही कुछ आज हमारी आँखों के सामने होने वाला था और हम इस आयोजन के साक्षी बनने जा रहे थे इस विचार मात्र से बहुत रोमांच हो रहा था ! सीमा पर एक बहुत बड़ा सा गेट था जो उस समय बंद था ! राजा ने हमारे आई कार्ड दिखा कर हमारे लिए प्रवेश की अनुमति स्वरुप पर्चियाँ लाकर दीं ! लोगों का अपार जनसमूह था जो हर पल और बढ़ता ही जा रहा था ! जैसे ही समय हुआ लोहे का गेट खुल गया और पर्चियाँ दिखाने के बाद हम लोगों ने परेड के लिए निर्धारित उस प्रतिबंधित हिस्से में प्रवेश किया ! काफी बड़ा क्षेत्र था ! एक तरफ शनिदेव और शिवजी के दो छोटे छोटे मंदिर भी थे ! इन मंदिरों के सामने एक छोटा सा केबिन था जहाँ कुछ स्नैक्स और नमकीन वगैरह मिल रहे थे ! सामने सड़क के एक तरफ बहुत सारी कुर्सियाँ लगी हुई थीं दर्शकों के बैठने के लिए ! फ़ौज के कई ऊँचे पूरे जवान तुर्रेदार लाल रंग की पगड़ी और जर्क वर्क खाकी वर्दी में परेड के लिए तैयार खड़े हुए थे ! बस कमांडर के हुकुम की देर थी और परेड आरम्भ होने वाली थी ! दोनों देशों की सीमा पर ज़ीरो लैंड में बड़े बड़े बोर्ड्स लगे हुए थे ! बंग्ला देश और भारत के झंडे अपनी अपनी सीमा रेखा पर लहरा रहे थे ! बांग्ला देश की तरफ भी यही नज़ारा था ! उधर भी बहुत भीड़ थी और सड़क के एक तरफ दर्शकों के बैठने के लिए कुर्सियाँ लगी हुई थीं ! लेकिन दोनों तरफ जितनी कुर्सियाँ थीं उससे कई गुना अधिक दर्शक थे ! सीमा पार बांग्ला देश के शहर का नाम है अखूरा ! अगरतला और अखूरा की इन चेकपोस्ट पर परेड के इस अभूतपूर्व दृश्य को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी पड़ रही थी ! परेड से पहले कई लोग बहुत सारा सामान लेकर एक दूसरे देश की सीमा में आ जा भी रहे थे ! इस तरह के आवागमन पर शायद कोई प्रतिबन्ध नहीं था ! यह सब सैन्य अधिकारियों के सामने ही हो रहा था और वे आने जाने में उनकी सहायता भी कर रहे थे ! 

खैर निर्धारित समय पर कार्यक्रम आरम्भ हुआ ! सेना के कुछ जवान अपनी पोजीशन पर आकर खड़े हो गए ! अपने ग्रुप लीडर के कमांड के साथ तेज़ कदमों से आगे बढ़े ! एक सैनिक ने सबसे पहले सीमा पर लहराते तिरंगे को कदम से कदम मिला कर ज़ोरदार सलामी दी ! तिरंगे के सम्मान में कमांडर ने सारे दर्शकों से खड़े हो जाने का आग्रह किया ! कुर्सियों पर बैठे हुए सभी दर्शक खड़े हो गए ! फिर उस सैनिक ने झंडे की रस्सी को खोला ! इतनी सावधानी से कि रस्सी ज़मीन से न छुल जाए ! फिर रस्सी को पकड़ कर वह सैनिक सड़क के दूसरी ओर गया ! आर्मी बैंड के साथ धीरे धीरे तिरंगे को नीचे उतारने की प्रक्रिया आरम्भ हुई ! जैसे ही झंडा नीचे आया सैनिक ने बड़ी सावधानी से उसे रस्सी से बाहर निकाला ! झंडे को अपने दाहिने कंधे पर सम्हाल कर लटकाया ! फिर पुन: उसकी रस्सी को फ्लैग पोस्ट पर जाकर करीने से बाँधा ! झंडे को कंधे से उतार कर उसकी तह बनाई और दोनों हाथों में बड़े सम्मान के साथ थाम कर वह वापिस अपनी टुकड़ी के पास आ गया ! कमांडर ने फिर से दर्शकों को तिरंगे के सम्मान में खड़े होने का आग्रह किया ! भारत माता की जय के गगन भेदी जयकारे भी वहाँ उपस्थित समूचे जनसमुदाय ने बड़े जोश से लगाए और फिर उसके बाद सैनिकों की वह टुकड़ी तिरंगे को लेकर वापिस लौट गयी ! जैसा भारत की ओर हो रहा था बिलकुल वैसा ही कार्यक्रम बांगलादेश की ओर भी हो रहा था ! सबसे रोमांचक पल वह होता है जब दोनों देश के झंडे उतारे जाने की प्रक्रिया में एक दूसरे को क्रॉस करते हैं ! खूब तालियाँ बजती रहीं कार्यक्रम के दौरान ! लोगों का उत्साह और जोश देखने लायक था ! सैकड़ों हाथों में मोबाइल इन दृश्यों को अपने कैमरों में कैद करने का प्रयास कर रहे थे ! सेरेमनी के बाद हम सबने अपने देश के फ़ौजी जवानों के साथ और बांगला देश के फ़ौजी जवानों के साथ खूब फोटो खिंचवाए ! बँगला देश के कमांडर का नाम था शाह अहमद ! उन्होंने हम लोगों के साथ बड़े ही सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में बात की और बहुत खुश होकर तस्वीरें भी खिंचवाईं ! बहुत ही आनंद दायक कार्यक्रम था ! गर्व से मस्तक ऊँचा हो गया !

ध्वजावरोहण कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद सब लोगों को चाय की तलब लग आई थी ! शाम भी खूब गहरा गयी थी ! मंदिर के सामने वाले उस केबिन में गरमागरम चाय और समोसे बन रहे थे ! भीड़ गज़ब की थी ! लेकिन शाबाशी है हमारे ग्रुप के जूनियर सेक्शन को ! अंजना जी, यामिनी जी और रचना जी ने सबको दूकान से गरमागरम चाय और समोसे लाकर पकड़ाये ! समोसे बहुत ही बढ़िया थे ! मज़ा इसलिए भी और अधिक आ रहा था कि बिलकुल गरम थे ! और खाने का मन था लेकिन समोसे वाले का सारा सामान समाप्त हो चुका था ! हम लोगों ने भी लौटने का मन बनाया ! गाड़ी में बैठे बैठे ही अगरतला शहर की झिलमिल करती खूबसूरत इमारतों को देखते रहे ! हर सड़क पर, हर बाज़ार में खूब सजावट हो रही थी ! प्यास से गला सूख रहा था सबका ! वहाँ के राजमहल के सामने एक नारियल पानी वाले के यहाँ रुक कर सबने जी भर कर नारियल पानी पीया ! बेहद स्वादिष्ट और तृप्तिदायक ! आनंद आ गया ! रात को महल पर कई कलर्स की लेज़र लाइट्स डाली जाती हैं जिससे वह और भी भव्य और आकर्षक दिखाई देता है ! हमने जगमगाते महल की रात को ही कई फ़ोटोज़ खींचीं ! राजा ने बताया कि दूसरे दिन इस महल को ही देखने आयेंगे हम लोग ! रात उतर आई थी ! बहुत थक भी गए थे ! होटल पहुँच कर कुछ देर कमरों में रिलैक्स किया ! फिर रात में डिनर के लिए सब नीचे डाइनिंग हॉल में आये ! खाना बहुत ही बढ़िया था ! हर आइटम नये ढंग से बनाया गया लेकिन बहुत ही स्वादिष्ट और लजीज ! सुबह से बहुत भागदौड़ हो गयी थी ! शिलौंग के होटल में बेड टी के साथ गोरैया से गुफतगू करते हुए सुबह का आगाज़ हुआ था ! फिर बस से गुवाहाटी तक का सफ़र ! गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र के दर्शन फिर फ्लाइट से अगरतला तक का सफ़र और फिर यहाँ आते ही ध्वजावरोहण कार्यक्रम का यह रोमांचक अनुभव ! पूरे समय खड़े ही रहे प्रोग्राम में ! भीड़ को देखते हुए बैठने के लिए कुर्सियाँ तो इतनी कम थीं कि चौथाई लोग भी बैठ नहीं सकते थे ! फिर फ़ोटोज़ खींचने और वीडियो बनाने के लिए सब इतने आतुर थे कि कुर्सी पर बैठ कर तो वीडियो बन ही नहीं सकती थी लिहाजा जो पहले कुर्सियों पर कब्जा करके बैठ गए थे वो भी सब खड़े ही हो गए थे बाद में ! हमें तो कुर्सी मिली ही नहीं थी सो पूरे समय खड़े ही रहे ! उस दिन भी बहुत थक गए थे ! और अब उस दिन की याद करके आज भी थकान सी होने लगी है ! तो चलती हूँ फिर ! इजाज़त दीजिये मुझे ! आशा है आज की इस फ्लैग लोअरिंग सेरेमनी में आपको भी ज़रूर आनंद आया होगा ! अब आप भी विश्राम करिए और मैं भी विदा लेती हूँ आपसे ! कल देखने चलेंगे अगरतला के कुछ बहुत ही मशहूर और आकर्षक दर्शनीय स्थल ! तो मिलते हैं कल ! फिलहाल शुभ रात्रि !

 

साधना वैद      

 

 





2 comments :

  1. अत्यंत रोचक और जीवंत यात्रा वृतांत साधना जी!

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

      Delete