Followers

Sunday, December 31, 2023

नए साल की सहमाती आहट

 



नव वर्ष २०२४ की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

सुख-दुःख,

हर्ष-विषाद,

आनंद-निरानंद,

उत्सव-अवसाद,

विभिन्न प्रकार की

कभी रंग बिरंगी तो

कभी श्वेत श्याम

परछाइयों से घिरी हूँ,

जाते हए साल का हर दिन

रोलर कोस्टर राइड की तरह

तमाम झटके देता बीत रहा है

और मैं अदृश्य बेल्ट से जकड़ी हुई   

अपनी सीट पर निरुपाय छटपटा रही हूँ !

सुबह सुख के शिखर पर

तो दिन अवसाद के गह्वर में,

शाम को अधरों पर सजी मुस्कुराहटें ,

तो रात वेदना के भार से घुटन भरी !

नहीं समझ पा रही हूँ

कैसे करूँ अभ्यर्थना नए साल की

कैसे सजाऊँ नवदीप द्वार पर

२०२४ के स्वागत के लिए !

आशंकित हूँ इन दीपों का आलोक

क्षणभंगुर होगा या स्थाई होगा,

नया साल खुशियाँ लाएगा भी या नहीं

या आँचल में संचित सारी खुशियों को

एक झपटा मार पल भर में

धरा पर बिखेर जाएगा !

मन में दुश्चिंताओं का तूफ़ान

हहरा कर घुमड़ रहा है

लेकिन फिर भी मेरा मन

आगत के अभिनन्दन के लिए

मुझे प्रेरित कर रहा है !

वंदन है नव वर्ष

अभिनन्दन है नव वर्ष

भाव भीना आत्मीयता भरा

स्वागत है नव वर्ष !

आओ और जगती के हर कोने से

दुःख और विषाद की

हर छाया को मिटा दो,

संसार के हर कोने को

दिव्य आलोक से भर दो,

संसार के हर संतप्त प्राणी की

पीड़ा का नाश कर दो

कल्याण करो, कल्याण करो, कल्याण करो !   



साधना वैद

 

 


Wednesday, December 27, 2023

लाइलाज मर्ज़ - लघुकथा

 



दो वर्ष का नन्हा प्रियांशु बहुत ज़ोर-ज़ोर से खाँस रहा था ! अपने छोटे से बेटे को इतनी तकलीफ में देख कर नीना और सचिन दोनों ही बहुत घबरा गए थे ! लॉक डाउन के कारण डॉक्टर्स के क्लीनिक भी प्राय: या तो बंद ही रहते थे या वे गिने चुने पेशेंट्स को ही देखते थे !

जैसे तैसे एक डॉक्टर का क्लीनिक खुला मिला ! प्रियांशु को साँस लेने में भी परेशानी हो रही थी ! डॉक्टर ने बच्चे की गहन पड़ताल की ! उसके लंग्स में इन्फेक्शन था ! इतनी गर्मी में बच्चे को ठण्ड भी नहीं लगी थी कभी ! ना ही वे लोग कहीं बाहर गए थे ! नीना और सचिन हैरान थे कि प्रियांशु को इतना गंभीर इन्फेक्शन कैसे हुआ !

अब डॉक्टर के निशाने पर सचिन थे !

“क्या आप स्मोक करते हैं ?”  

सचिन से पहले ही नीना बोल पड़ी !

“हाँ डॉक्टर साहेब सचिन चेन स्मोकर हैं ! दिन में दो डिब्बी सिगरेट तो ये पी ही लेते हैं ! लेकिन आपने कैसे जाना ?”

“आपके बेटे की खाँसी और लंग्स के इन्फेक्शन का कारण ही यही है ! आपके पति सिगरेट पीते हुए जो धुआँ बाहर निकालते हैं उसे आपका बेटा अपने लंग्स में हर पल अपनी साँस के साथ अनचाहे ही ग्रहण कर रहा है ! अगर आपके पति ने स्मोकिंग की अपनी आदत न छोड़ी तो आपके बेटे का मर्ज़ लाइलाज हो जाएगा और इसके प्राणों पर संकट भी आ सकता है !”


 

साधना वैद


Saturday, December 23, 2023

Monday, December 18, 2023

कोरोना से जंग


 

इस बार की सर्दियाँ हर बार से अधिक निर्मम थीं ! पीठ और घुटने का दर्द चैन से बैठने नहीं देता था ! रोज़ सुबह होने के बाद गृहस्थी के और अपने वहाट्स एप ग्रुप्स के रोज़ के टास्क निपटाते निपटाते कब रात आ जाती पता ही नहीं चलता ! इस बीच बरखा के फाइनल इम्तहान भी गुज़रे ! त्यौहार से पहले की साफ़ सफाई और पकवान बनाने का दौर भी गुज़रा और होली का त्यौहार भी गुज़र गया ! बहुत थक चुकी थी और सोचा था होली के बाद सिर्फ आराम ही आराम करूँगी ! लेकिन सोचा हुआ होता कहाँ है ! एक अप्रैल से हमारी मेड, जो वैसे भी एक ही टाइम आती है, उसे बुखार आ गया और उसने काम से छुट्टी ले ली ! मैंने उसकी बेटी से कहा मम्मी का कोरोना टेस्ट ज़रूर करा लेना और उसने मुझे आश्वासन दिया कि उनका टेस्ट करा लिया है ! टेस्ट में कुछ नहीं आया ! बस उन्हें कमज़ोरी बहुत हो गयी है इसलिए डॉक्टर ने आराम करने को कहा है !
मेड की अनुपस्थिति में झाडू, बर्तन, कपड़ों का काम भी आ गया ! 6 अप्रैल को जब वो काम पर आई तो मन गदगद हो गया ! थकान के मारे बुरा हाल था ! सोचा अब कम से कम झाडू पोंछा, बर्तन, कपड़ों के काम से तो छुटकारा मिल जाएगा ! इस बीच मुझे हल्की सी खाँसी हो गयी थी ! 7 अप्रेल को दिन में कम्प्युटर पर काम करते करते वहीं मेज़ पर सर रख कर मैं निढाल सी लेट गयी ! बरखा ने माथा छुआ तो बोली, “दादी आपका बदन गरम हो रहा है !” मैंने कोई ख़याल नहीं किया ! शाम को चाय बनाने के बाद जब रात के खाने की तैयारी में व्यस्त थी तो मुझे अनुभव हुआ कि सर घूम रहा है ! थर्मामीटर लगा कर बुखार चेक किया तो १०१ डिग्री निकला ! राजन ( हमारे पतिदेव ) को बताया तो उन्होंने एक पैरासीटामोल दे दी ! दवा खाने के बाद किचिन का काम निबटा कर मैं सो गयी ! सुबह उठी तो बड़ी कमज़ोरी महसूस हो रही थी ! रश्मि, मेरी छोटी बहू जो दिल्ली में रहती है, से बात हुई तो उसने भी कहा आपकी आवाज़ से लग रहा है कि आपकी तबीयत खराब है ! हमने कहा ऐसे ही थोड़ी सी खाँसी है दवा खा ली है ठीक हो जायेगी कोई ख़ास बात नहीं है ! भारतीय गृहणियाँ वैसे भी बहुत टफ होती हैं ! इससे भी अधिक खराब तबीयत में न जाने कितनी बार इससे भी अधिक काम किये हैं तो छोटी मोटी तकलीफों को तवज्जो देने की आदत नहीं रही कभी ! बुखार दूसरे दिन भी नहीं उतरा था ! राजन पाबंदी से हमें अपनी दवाइयाँ दे रहे थे ! उन्हें हल्की फुल्की बीमारियों के इलाज का अच्छा अनुभव है और दवाओं की काफी जानकारी भी है इसलिए घर में छोटी मोटी तकलीफ के लिए सब उन्हें ही अप्रोच करते हैं !
पैरासीटामोल खाकर हमारा बुखार कुछ देर के लिये उतर तो जाता था लेकिन फिर चढ़ जाता था ! खाँसी भी तेज़ होती जा रही थी ! किचिन में काम करते करते अक्सर आँखों के आगे अँधेरा सा छा जाता ! हमें लगता हमारा बी पी लो हो गया है ! थोड़ी देर को आकर लेट जाते और कुछ देर बाद फ़िर उठ जाते ! राजन कन्सल्टैंट इंजीनियर हैं उन्हें रोज़ क्लाइंट के यहाँ साइट पर जाना होता था ! वहाँ फ़र्नेस इरेक्ट हो रही थी ! सुपरविज़न बहुत ज़रूरी था ! १० अप्रेल तक हमारा बुखार बिलकुल उतर गया ! खाँसी तो वैसे भी १० – १५ दिन ले ही लेती है ठीक होते होते ! तो हम निश्चिन्त हो गये ! दो तीन दिन बाद रश्मि से फ़िर बात हुई ! खाँसी की वजह से हम ठीक से बोल ही नहीँ पा रहे थे ! अब तो तो वह बहुत चिंतित हो गयी ! यह १४ अप्रेल की बात है ! उसने बहुत ज़ोर देकर कहा कि आप अपना कोविड टेस्ट करवाइये तुरन्त ! प्राइवेटली घर पर बुला कर टेस्ट करवाना यू पी में एकदम से बैन था ! सरकारी अस्पतालों में ज़बर्दस्त भीड़ थी ! किसीको कोरोना न हो रहा हो तो वहाँ जाकर संक्रमित होकर ही लौटे ! १५ अप्रेल को किसी तरह से घर पर ही कोरोना टेस्ट का इंतज़ाम हुआ ! कैसे हुआ यह सरन रश्मि ही जानें ! अभी तक सारा फ़ोकस हम पर ही था ! जब घर पर ही टेक्नीशियन आ गया तो सरन, मेरा छोटा बेटा, और रश्मि दोनों ने इनसिस्ट किया कि पापा का भी टेस्ट करवा लेना ! टेक्नीशियन ने दोनों का रेंडम टेस्ट भी किया और आर टी पी सी आर वाला टेस्ट भी किया ! रेंडम टेस्ट की रिपोर्ट हम दोनों की ही निगेटिव आई ! घर में जश्न का सा माहौल हो गया ! बच्चों को भी मीठी झिड़की मिल गयी कि बिना बात को इतना शोर मचाया ! लेकिन आर टी पी सी आर टेस्ट की रिपोर्ट १७ अप्रेल को आई ! दिन में लंच के समय रश्मि का फोन मेरे पास आया ! उसने बताया कि आपकी रिपोर्ट तो निगेटिव है लेकिन पापा की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है !
मेरा दिल धक् से बैठ गया ! रश्मि देर तक मुझे हिदायतें देती रही कि इन्हें आइसोलेशन में रखना होगा तो किन बातों का ध्यान रखूँ ! अब मुझे बरखा की चिंता हुई ! उसे उसकी मम्मी के पास जल्दी से जल्दी पहुँचाना था ! इन पर खीझ भी हो रही थी कि कोरोना काल में जब सब घर से काम कर रहे थे तो इन्हें ही क्यों रोज़ जाना पड़ता था ! वहीं से कहीं से संक्रमित होकर आये होंगे ! गनीमत यही थी कि ऑक्सीमीटर में हम लोगों का ऑक्सीजन लेविल ठीक आ रहा था ! 8 मार्च को हमें वैक्सीन का पहला शॉट लग चुका था ! 6 अप्रेल को दूसरी डोज़ लगनी थी लेकिन 28 दिन की लिमिट बढ़ा कर डेढ़ महीने की कर दी गयी थी ! हम अपना नंबर आने का इंतज़ार कर रहे थे कि बीच में यह आफत आ गयी ! खैर ! दिल्ली की एक कंसलटेंट डॉक्टर को सरन रश्मि ने अप्रोच किया ! उनके साथ ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस कॉल हुई और घंटे भर के अन्दर ढेर सारी दवाएं, वेपोराइज़र, फल फ्रूट, नारियल पानी के क्रेट्स और खाने पीने के विविध प्रकार के सामानों का अम्बार घर में लग गया ! दो दिन तक हम दोनों के कई ब्लड टेस्ट हुए और हम दोनों का कोरोना का ट्रीटमेंट विधिवत आरम्भ हो गया ! मैंने अपना विरोध भी जताया कि जब मेरी रिपोर्ट निगेटिव है तो मैं दवा क्यों खा रही हूँ ! लेकिन डॉक्टर का कहना था कि सिम्पटम्स तो मुझे भी हैं ही इसलिए मुझे भी दवा खानी ही होगी ! और क्योंकि राजन की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है और उनकी देखभाल मुझे ही करनी होगी तो एहतियातन मुझे भी पूरा कोर्स लेना होगा !
राजन को एक कमरे में क्वारेंटाइन कर दिया गया ! बरखा और मैं भी अलग अलग कमरों में सोये ! रात भर चिंता के मारे मुझे नींद नहीं आई ! ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी दलदल में गहरे धँसती जा रही हूँ ! बरखा को उसकी मम्मी के यहाँ भेजना था इसलिए उसका टेस्ट कराना भी ज़रूरी था कि वह पूरी तरह से स्वस्थ है या नहीं ! १७ तारीख को एक बार फिर रेंडम टेस्ट हुआ मेरा, बरखा का और मेरी देवरानी पिंकी का ! तीनों की ही रिपोर्ट निगेटिव आई ! अब हमें पूरा विश्वास हो गया कि हम बिलकुल ठीक हैं तबीयत राजन की खराब है और अब हमें सब कुछ छोड़ कर इनकी अच्छी तरह से तीमारदारी करनी है, इनके खाने पीने, दवा इलाज और आराम का विशेष ध्यान रखना है ! उसी दिन डॉक्टर के साथ फिर से ऑनलाइन मीटिंग हुई ! उन्होंने अविलम्ब हम दोनों का ही सी टी स्कैन कराने का निर्देश दिया ! 18 तारीख की सुबह हम दोनों भतीजे आनंद के साथ एक्स रे के लिए गए ! तब तक हम स्वयं को पूर्ण स्वस्थ और इन्हें बीमार मान कर चल रहे थे ! इन्हें कार में पीछे की सीट पर अकेले बैठाया और मैं आनंद के साथ फ्रंट सीट पर बैठी ! इनके मास्क और ग्लव्ज़ सबका विशेष ख़याल था कि ज़रा भी हटें नहीं ! इनके हर हाव भाव पर नज़र थी कि इन्हें किसी तरह की थकान या परेशानी तो नहीं हो रही है ! दिन में बारह बजे तक रिपोर्ट आ गयी सी टी स्कैन की और उसने सारी तस्वीर ही उलट दी ! इनकी एक्स रे रिपोर्ट बिलकुल क्लीयर थी लेकिन मेरे लंग्स में निमोनिया का पैच था और कोरोना वायरस के होने की चेतावनी थी ! इस रिपोर्ट के आने के बाद यह सिद्ध हुआ कि हम तो इनसे भी अधिक संक्रमित हैं और हमें अधिक देखभाल की ज़रुरत है ! निमोनिया के इलाज के लिए नेबुलाइज़ेशन भी शुरू हो गया ! हमारी छोटी देवरानी पिंकी ने हमें किचिन के काम से बिलकुल फ्री कर दिया ! रोज़ सुबह का नाश्ता और खाना बड़ी पाबंदी से वो बनातीं और आग्रह करके खिलातीं ! हमारे भी संक्रमित होने की रिपोर्ट आने का एक फ़ायदा यह हो गया कि अब इन्हें आइसोलेशन में अलग कमरे में रहने की बाध्यता नहीं रही ! बरखा को उसकी मम्मी के पास भेज दिया था ! अब घर में सिर्फ हम दोनों ही थे तो डाइनिंग टेबिल पर साथ बैठ कर चाय नाश्ता करते, खाना खाते, एक साथ बैठ कर टी वी देखते, एक दूसरे का टेम्प्रेचर लेते और चाय के कप में तूफ़ान लाने वाली राजनीतिक सामाजिक मुद्दों पर बहस करते ! दवाएं देने की ज़िम्मेदारी मेरी थी ! दिन में चार बार स्टीम लेने के लिए इन्हें रिमाइंड करना, गरारे का पानी गरम करके देना और कहीं ठंडा न हो जाये इसलिए बार बार याद दिलाना मुश्किल काम था ! दिन में तीन बार मुझे नेबुलाइज़ करने के लिए ये मुस्तैदी से ड्यूटी निभाते थे ! गले में कफ की वजह से इन्हें भी कुछ परेशानी हो रही थी तब तीन दिन तक दिन में दो बार इन्हें भी नेबुलाइज़ करने की सलाह डॉक्टर ने दी ! बीमारी के कारण आराम तो किया लेकिन किन हालात में किया और कितना किया यह ईश्वर ही जानता है ! हम दोनों को वैक्सीन की एक डोज़ लग चुकी थी इसलिए शायद हमारा संक्रमण बहुत अधिक गंभीर नहीं हुआ ! ऑक्सीजन लेवल इनका तो ९७ से नीचे कभी नहीं गया ! मेरा ९५ से नीचे नहीं गया ! जिन दिनों बुखार था उन दिनों तो ज़रूर ९३ - ९४ तक आ गया था लेकिन तब यही सोच रहे थे कि कमज़ोरी के कारण ऐसा हुआ होगा ! बुखार उतरने के बाद यह फिर से ९६ – ९७ आने लगा था !
खैर दवाइयां खाते खिलाते, एक दूसरे को सहेजते सम्हालते और एक दूसरे के साथ नोक झोंक करते ये दिन भी बीत ही गये ! ईश्वर की कृपा से और बच्चों की मुस्तैदी से सही वक्त पर इलाज आरम्भ हो गया तो कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं हुआ ! और इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह कि हम दोनों ने कभी भी हताशा, निराशा या अवसाद को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया ! घबरा कर फोन पर चिंता व्यक्त करने वाले रिश्तेदारों को हम ही सांत्वना देकर समझाया करते थे ! देखो हमारी आवाज़ कितनी नार्मल है ! ऑक्सीजन लेवल कितना बढ़िया है ! आजकल कितनी खातिर हो रही है ! हा हा हा !
३० अप्रेल को हमारे सेल्फ क्वारेंटीन की अवधि समाप्त हुई ! काफी दवाएं भी उस दिन तक समाप्त हो गयीं थीं ! एक मई को हमने सारे घर को मेड की सहायता से सेनीटाइज़ किया ! खिड़की, दरवाज़े, कुंडी, चटकनियाँ सब अच्छी तरह से साफ़ करके सेनीटाइज़ करवाए ! परदे, चादरे, तौलिये, कवर्स सब चेंज किये और एक नॉर्मल दिनचर्या की ओर कदम बढ़ाया !
कोरोना से इस जंग में परिवार की एकजुटता, सद्भावना और सहयोग ने हमें बहुत सहारा दिया ! देवर राजेश, देवरानी पिंकी, भतीजा आनंद हर समय हमारी किसी भी आवश्यकता को पूरा करने के लिए कंधे से कंधा मिला कर खड़े मिलते थे ! सरन रश्मि दिल्ली में ज़रूर थे लेकिन इलाज की हर स्टेप पर उनकी पैनी नज़र थी ! डॉक्टर से मीटिंग्स अरेंज करना, टेस्ट की रिपोर्ट कलैक्ट करना, डॉक्टर से सलाह मशवरे करना, फिर डॉक्टर की हिदायतों को हम तक पहुँचाना और उन्हें कार्यान्वित कराना सारा दायित्व उन लोगों ने उठा रखा था ! दवाएं लेने के समय पर रोज़ दिन में कई बार वीडियो कॉल करके रश्मि सुनिश्चित करती थी कि हम लोगों ने दवाएं समय से खा ली हैं या नहीं ! या कोई दवा कम तो नहीं है ! अमेरिका में बैठे मेरे बड़े बेटे बहू शब्द और कविता दिन में कई कई बार फोन करके मिनिट मिनिट की रिपोर्ट लेते थे और हर टेस्ट की रिपोर्ट पर उनकी भी पैनी नज़र रहती थी ! हम दोनों से बात करके और सरन रश्मि के साथ डिस्कस करके वो लोग भी हर मिनिट का अपडेट लेते रहते थे और हर वक्त अलर्ट रहते थे ! सशरीर यहाँ उपस्थित न होने की बेचैनी उनकी आवाज़ से झलकती थी ! परिवार की क्या अहमियत होती है, विपदा के समय में उसकी क्षमता और सामर्थ्य कितनी बढ़ जाती है इसका मधुर फल इन कुछ दिनों में चखने को खूब मिला ! सबका कितना भी आभार मान लूँ अकिंचन बौने शब्द उन्हें कभी व्यक्त कर ही नहीं पायेंगे ! अपनी मेड का धन्यवाद यदि नहीं करूँगी तो यह उसके प्रति घोर अन्याय होगा ! मैंने हम लोगों के संक्रमित होने की खबर मिलते ही उसे मना किया था काम पर आने के लिए ! लेकिन उसने पूरी निष्ठा के साथ अपनी ड्यूटी निभाई ! एक दिन भी नागा नहीं की ! हम लोगों के बर्तन भी माँजे, कपड़े भी धोये, कमरों में सफाई भी की ! मैंने उसे डबल मास्क लगा कर काम करने की हिदायत दी थी ! नहीं आना चाहती तो कोई उसे दोष नहीं देता ! बल्कि मैंने तो उसे कहा भी था कि हम दोनों बीमार हैं, तुम्हारे पैसे भी नहीं कटेंगे ! तुम चाहो तो मत आओ लेकिन उसने दोनों हाथ जोड़ कर यही कहा कि उसे भगवान् पर भरोसा है ! हमारी परेशानी में वह सारा काम छोड़ कर घर नहीं बैठेगी ! मेरे हृदय में उसके लिए बहुत कृतज्ञता का भाव है ! मानवता की शायद यही सबसे बड़ी मिसाल है !
कोरोना का संकट आया भी और गुज़र भी गया लेकिन यह गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ पाई कि कौन किससे संक्रमित हुआ ! संक्रमण क्लाइंट की फैक्ट्री से घर में आया या मेड ने मुझे संक्रमित किया और फिर मुझसे इन्हें यह प्रसाद मिला ! लेकिन अब हम सभी ठीक हैं ! अंत भला तो सब भला !

साधना वैद

s
18 Comments
Like
Comment
Share

कौड़ी के मोल सूरज


 

साधना वैद 

Saturday, December 16, 2023

अपशगुनी - लघुकथा

 


सुधा के नंदोई नहीं रहे थे ! छोटे-छोटे पाँच बच्चों की कच्ची गृहस्थी छोड़ कर उन्होंने परलोक की राह पकड़ ली ! सुधा का हृदय दुःख से विदीर्ण हो रहा था ! दीदी कैसे सम्हालेंगी सबको ! आज ननद जी को कचला घाट पर गंगा स्नान के लिए ले जाया जाना था ! बड़े परिवार में छह सात देवरानी जिठानी के होते हुए भी दीदी के साथ सिर्फ सुधा के पति गौरव, उनके एक जेठ, एक देवर और एक बेटा ही गया ! सुधा को अजीब लग रहा था ! वह साथ जाना चाहती थी लेकिन सबने जोर देकर उसे मना कर दिया ! “ऐसे में औरतें नहीं जाती हैं साथ !”

सुधा मन मसोस कर रह गयी ! हमेशा बड़े सलीके से सज धज कर रहने वाली दीदी ने जब अपने सभी सुहाग चिन्हों को गंगा में विसर्जित कर गौरव की लाई हुई सफ़ेद साड़ी पहन कर घर में प्रवेश किया तो घर की सारी विवाहित स्त्रियाँ कमरों में दरवाज़े बंद कर अन्दर बैठ गईं ! दीदी की देवरानी ने सुधा को भी बलपूर्वक अपने साथ ले जाना चाहा ! “चलो अन्दर तुम भी ! अपशगुनी का मुँह अभी न देखो ! जो देख लेता है उसके साथ भी ऐसा ही होता है !”

सुधा का तन मन सुलग उठा ! हर तरह से टूटी बिखरी दीदी को ऐसे कैसे नि:संग कर दे वह ! उसने पलक झपकते ही दीदी को अपनी बाहों में बाँध लिया और उनकी गोद में मुँह छिपा सुबक पड़ी !   

 

साधना वैद


Thursday, November 30, 2023

आक्रोश - एक लघुकथा

 

 


“आशू, चलो अन्दर ! मुझे किटी में जाना है ज़रा मुझे सुधा आंटी के यहाँ छोड़ आओ !”

“आया मम्मी पाँच मिनिट में ! बस थोड़ा सा ही और बचा है !”

“सुना नहीं तुमने ? दादाजी के काम तो कभी ख़तम होते ही नहीं ! मुझे देर हो रही है ना !”

मम्मी की आवाज़ में खीझ और क्रोध दोनों साफ़ समझ में आ रहे थे ! दादाजी का लाड़ला किशोर आशू इस समय उन्हें बाहर के कमरे में अखबार पढ़ कर सुना रहा था !

बहू अर्पिता का कर्कश स्वर दादा जी को सशंकित कर गया ! कहीं भोले भाले आशू को उन्हें अखबार पढ़ कर सुनाने की सज़ा न भुगतनी पड़ जाए ! कल रात अँधेरे में पानी का जग टेबिल पर रखते समय उनका चश्मा नीचे गिर कर टूट गया ! बहू को पता चलेगा तो और बवाल होगा !

“जाओ बेटा ! मम्मी बुला रही हैं ना ! मम्मी को मत बताना मेरा चश्मा टूट गया है ! मैं बाद में अखबार सुन लूँगा !” दादाजी की आवाज़ में बेचारगी झलक रही थी !

आशू को मम्मी पर बहुत गुस्सा आ रहा था ! अगली गली में ही चार घर छोड़ कर सुधा आंटी का घर है ! अखबार कोने में फेंक अन्दर कमरे में जाते हुए उसने गुस्से में जोर से मेज़ को ठोकर मारी ! काँच का जग नीचे गिर कर चूर-चूर हो गया था और आशू का पैर लहू लुहान !



चित्र - गूगल से साभार  

साधना वैद


Thursday, November 23, 2023

चलते ही चलें

 



चलो न चलें

कहीं तो चलें


इधर नहीं तो

उधर ही चलें


नीचे नहीं तो

ऊपर ही चलें


घाटी में नहीं

पहाड़ी पर चलें


तेज़ नहीं तो

धीरे ही चलें


गाड़ी नहीं तो

पैदल ही चलें


चलना ही है

  तो अभी चलें  


समय को बचाएं

और जल्दी चलें


थक जाएँ तो

ठहर कर चलें


गिर न जाएँ

सम्हल कर चलें 


जीवन गति है

समझ कर चलें


रुकेंगे न हम

कसम ले चलें


मौत है रुकना

जान कर चलें


चलना है जीवन

रुकें न चलें


चलें और चलें

चलते ही चलें

 

साधना वैद