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Sunday, August 27, 2023

तुम हो तो

 



तुम हो तो

हम सुरक्षित हैं,

तुम हो तो

यह सभ्यता ज़िंदा है,

तुम हो तो

यह देश हमारा है,

तुम हो तो

गर्व से सीना चौड़ा हमारा है

तुम हो तो

सर अभिमान से ऊँचा हमारा है,

तुम हो तो

यह जहाँ हमारा है

वरना तो सब

पानी का बुलबुला है !

तुम्हें जितने नमन करें

कम ही होंगे

देश के वीर सेनानी,

भारत माता के सपूतों

तुम पर वारने को

हमारे सौ सौ जनम भी

कम ही होंगे !

 

साधना वैद


Thursday, August 24, 2023

मिशन चंद्रयान

 



सफल हुआ

मिशन चंद्रयान

गर्वित हम



हासिल हुई

अभूतपूर्व जीत

हर्षित हम

 

सार्थक हुआ

अनवरत श्रम

वैज्ञानिकों का

 

प्रसाद मिला

भारत वासियों की

प्रार्थनाओं का

 

जीत ली बाज़ी

उतारा चंद्रयान

सफलता से

 

झूमे भारत

फहरेगा तिरंगा

चाँद धरा पे

 

विलक्षण हैं

वैज्ञानिक हमारे

हमारा ज्ञान

 

बढ़ा दिया है

समस्त संसार में

देश का मान

 

खुश हो जाओ

जहाँ भी हो स्वर्ग में

कवि प्रदीप


जला दिया है 

जगत में हमने 

ज्ञान का दीप 

 

गाढ़ दिया है

तिरंगा गगन में

उछाल कर

 

खूब रखा है

इन्होंने यह देश

सम्हाल कर

 

साधना वैद 

 

 

 


Friday, August 18, 2023

प्यार का इत्र

 



प्यार का इत्र

 

दबा हुआ है

मन की किताब में

प्यार का इत्र

 

सूखी पाँखुरी

मोगरे गुलाब की

तुम्हारा चित्र

 

दबी हुई हैं

जैसे सारी खुशियाँ

सारा सावन

 

मीठी छुअन

एक अपनापन

पूरा जीवन

 

इन पन्नों में

इस ग्रन्थ के बीच

मेरे सुमित्र

 

चाहती छूना  

मिला है जो तुमसे

प्यार का इत्र  

 

साधना वैद

 

 

 


Monday, August 14, 2023

जान से प्यारा भारत हमारा




 स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर सभी साथियों को बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं !

भारत वर्ष
सिरमौर विश्व का
गर्वित हम

मनाते आज
अमृत महोत्सव
हर्षित हम

श्रेष्ठ नेतृत्व
पहुँचना है हमें
शिखर पर

रुग्ण रूढ़ियों
सड़ी परम्पराओं
से बच कर

वेद वेदान्त
योग धर्म आध्यात्म
हमारी शान

तप औ’ त्याग
सभ्यता औ’ संस्कृति
हमारा मान

लिखेंगे हम
सोने की कलम से
देश का भाग्य

गायेंगे हम
सकल ब्रह्माण्ड में
सुकीर्ति राग

गर्व है हमें
गणतंत्र हमारा
विश्व में न्यारा

अपना देश
हर हाल में हमें
जान से प्यारा

देश हमारा
बना है विश्व गुरु
गर्व की बात

सारे विश्व में
मान है भारत का
हर्ष की बात

संकल्प लेंगे
अपने भारत का
मान रखेंगे !

अपना ध्वज
लहराए शान से
ध्यान रखेंगे

जय हिंद ! वंदे मातरम् !


साधना वैद

Sunday, August 6, 2023

वह शख्स

 



कल भी तमाम शाम इक मजमा लगा रहा 

अब आ रहा है कोई और कोई जा रहा !

था जिसपे एतमाद हमें रब से भी ज्यादह  

वह शख्स एतबार के काबिल नहीं रहा !

खेली हरेक चाल उसने इस शऊर से

कुछ भी हमारे वास्ते हासिल नहीं रहा !

एक कारवाँ के साथ चले थे सफ़र में हम

अब हो गए तनहा कोई शामिल नहीं रहा !

हर रोज़ यूँ मरते रहे जिसकी वजह से हम

करके हमारा क़त्ल वो कातिल नहीं रहा !

बहके कदम तो तान के चादर वो सो गया

सारे जहाँ के सामने गाफिल नहीं रहा !

महफ़िल में सबके सामने खामोश वो रहा

यूँ आलिमों की भीड़ में जाहिल नहीं रहा !

चेहरे पे पहन रखे थे उसने कई चेहरे 

करने को बेनकाब उसे दिल नहीं रहा !

क्यों अजनबी चेहरों में उसे ढूँढती हूँ मैं

लोगों की भीड़ में कोई बिस्मिल नहीं रहा !

 

साधना वैद

 

 

 

 

 

 

 

 


Friday, August 4, 2023

अगर सा महकता अगरतला – 17

 





16 मई – अलविदा अगरतला 

16 मई का सूर्योदय हो चुका था ! आज घर वापिसी का दिन था ! यह पूरा सप्ताह बहुत ही सुखद रोमांचक अनुभूतियों से भरा हुआ था ! अपने देश की वो सुरम्य वादियाँ, वो प्राकृतिक संपदाएं, वो कुदरत के करिश्मे और ऐसे ऐसे पर्यटन स्थल देखे जिनके बारे में या तो सिर्फ पुस्तकों और आलेखों में पढ़ा था या जिन्हें केवल फिल्मों में देखा था ! साक्षात उन्हें देखने का क्या अनुभव होता है यह तो वहाँ पहुँच कर ही जान सकते हैं ! और हमें यह अवसर मिला अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की संस्थापिका आदरणीया संतोष श्रीवास्तव जी के सौजन्य से जिनका उद्देश्य है अपनी संस्था के माध्यम से हिन्दी भाषा व साहित्य के प्रचार और प्रसार के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, सभ्यता, नृत्यकला, चित्रकला, गायन एवं नाटक जैसी ललित कलाओं एवं पर्यटन को भी बढ़ावा देना ! इस बार जब पर्यटन आधारित मेघालय और त्रिपुरा का यह कार्यक्रम बना तो हम भी खुद को रोक नहीं पाए और फ़ौरन साथ जाने के लिए अपनी सहमति दे दी ! आज इस बेहद उत्साहवर्धक ट्रिप के समापन का दिन आ गया था ! दिन में हमारी फ्लाइट पौने तीन बजे की थी ! दो घंटे पहले लगभग साढे बारह – पौन बजे तक एयरपोर्ट पर रिपोर्ट करना था ! होटल से एयरपोर्ट की दूरी मुश्किल से दस - पंद्रह मिनिट की होगी ! दिन में होटल से निकलने का समय १२ बजे का तय किया गया ! सुबह उठने की कोई जल्दी नहीं थी ! कहीं जाना नहीं था घूमने ! सोचा था खूब देर से उठेंगे ! आराम से पैकिंग करेंगे सामान की और रिलैक्स करेंगे ! लेकिन आदतें आसानी से कहाँ छूटती हैं ! सुबह पंछियों के चहचहाने के साथ ही आँख भी खुल गयी ! चाय के साथ टी वी पर प्रमुख समाचार भी देख लिए ! सामान इतना कुछ फैला था ही नहीं जो पैकिंग में देर लगती ! सो नहा धोकर तैयार होकर जब नीचे डाइनिंग रूम में नाश्ते के लिए पहुँचे और हर कमरे से सारे सदस्य वहाँ एकत्रित हो गए तो यह तय हुआ कि नाश्ते के बाद एक छोटी सी काव्य गोष्ठी रख ली जाए और इस ट्रिप की अंतिम सुबह में सुन्दर कविताओं के रंग भर कर इसे और खूबसूरत बना दिया जाए ! इस बार का यह टूर केवल पर्यटन आधारित था तो किसी साहित्यिक समागम की गुंजाइश इसमें नहीं थी जैसी कि ताशकंद वाले टूर में साहित्यिक गतिविधियाँ भी हर दिन लगातार होती रहती थीं ! इस बार 16 तारीख की सुबह बिलकुल खाली थी ! बाहर कहीं घूमने जाने की गुंजाइश ही नहीं थी तो इससे बढ़ कर उसका सदुपयोग और कुछ हो ही नहीं सकता था !
हम लोगों ने होटल एयर ड्राप के डाइनिंग हॉल में बड़े आनंद के साथ अपना नाश्ता किया ! वहाँ के बेहद विनम्र और शिष्ट स्टाफ ने हम लोगों की फरमाइश पर सभीके लिए गरम गरम नाश्ता लाकर परोसा और हम सबके साथ-साथ ग्रुप फ़ोटोज़ भी खींचे ! उसके बाद हम सब एक छोटे से मीटिंग रूम में आ गए और यहाँ सबने संक्षेप में इस यात्रा के सन्दर्भ में अपने अनुभव एवं विचारों को साझा किया और फिर एक छोटी सी काव्य गोष्ठी हुई जिसमें राजन और रचना जी को छोड़ कर सबने अपनी रचनाएं सुनाईं ! यामिनी श्रीवास्तव इनकी वीडियो रिकार्डिंग कर रही थीं ! मुझे संचालन का भार सौंपा गया ! मैं देखती हूँ ! यदि मेरे पास उपलब्ध होंगी तो उन खूबसूरत रचनाओं का रसास्वादन मैं आपको भी ज़रूर करवाउँगी ! मैं बहुत आभारी हूँ प्रिय यामिनी श्रीवास्तव जी की जिन्होंने मेरे अनुरोध पर उस दिन की सारी रिकॉर्डिंग्स मेरे पास भेज दीं हैं ! लेकिन उनके डाउनलोड होने में समस्या आ रही है !  

नाश्ते के बाद हम लोग होटल के ही छोटे से कॉन्फ्रेस रूम में जाकर बैठ गए ! पहले तो मेघालय त्रिपुरा के इस ट्रिप के बारे में सबके अनुभवों की जानकारी ली गयी ! उसके बाद काव्य गोष्ठी का आनंद लिया गया !  विद्या सिंह जी, संतोष जी, प्रमिला जी, अंजना जी, यामिनी जी और मैंने सबने अपनी कवितायेँ सुनाई ! यामिनी सबकी रिकॉर्डिंग करती रहीं ! जब उन्होंने अपनी कविता सुनाई तो रचना जी ने उसे रिकॉर्ड किया ! बड़ा आनंद आया ! अच्छा समय का सदुपयोग हुआ ! लगभग १२ बजने वाले थे ! गोष्ठी का समापन किया गया !
सब लोगों ने अपने-अपने कमरों की ओर रुख किया और पैकिंग को फिनिशिंग टचेज़ देकर सब अपना सामान लेकर नीचे आ गये ! होटल का सारा हिसाब किताब निबटा हम लोग अंतिम बार अपनी अपनी गाड़ियों में सवार हुए ! हमारी गाड़ी के चालक राजा का इस पूरे टूर में बड़ा सकारात्मक सहयोग रहा था ! उनकी भलमनसाहत थी कि अपना फोन नंबर दिया और अनुरोध किया कि भविष्य में कभी अगरतला आने का प्रोग्राम बने तो उन्हें ज़रूर कॉल करें ! वो हमें अगरतला के आस पास के वो स्थान भी दिखाएँगे जो इस बार छूट गए !

अगरतला का महाराजा बीर बिक्रम एयर पोर्ट बहुत विस्तृत विशाल नहीं है लेकिन सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त बहुत ही साफ़ सुथरा और सुन्दर बना हुआ है ! हम पाँचों सीनियर सिटीजंस के लिए व्हील चेयर की सुविधा उपलब्ध थी ! हमारे सामान का टोटल वज़न तो लिमिट में था लेकिन एक सूटकेस औसत वज़न से कुछ अधिक भारी हो गया था और दूसरा सूटकेस औसत वज़न से हल्का था ! पहले तो चेक इन करते समय वहाँ की इंचार्ज ड्यूटी ऑफीसर ने आपत्ति जताई और कहा कि एक्स्ट्रा वज़न के लिए अलग से एक्स्ट्रा पेमेंट करना होगा ! हमारा व्हील चेयर का अटेंडेंट, जो हमारा सामान चेक इन करा रहा था, मेरे पास आया, “मैडम, एक सूटकेस भारी हो रहा है ! उसके लिए अलग से पेमेंट करना पडेगा !” मुझे बड़ी कोफ़्त हो रही थी ! यह क्या झंझट हुई ! राजन तो फ़ौरन तैयार हो गए पेमेंट करने के लिए ! लेकिन मुझे पता था कि वजन लिमिट से अधिक है ही नहीं ! एक सूटकेस खोल कर दो चार कपड़े दूसरे सूटकेस में डाल दूँगी तो सब बैलेंस हो जाएगा ! राजन मना कर रहे थे कि पैसे जमा करा दो कहाँ सामान खोलोगी यहाँ पर लेकिन यह फिजूलखर्ची मुझे गवारा नहीं थी ! ड्यूटी इंचार्ज ने जब मुझे देखा कि मैं व्हील चेयर से उठ कर आई हूँ तो उसने बिना एक्स्ट्रा पेमेंट लिए उसे वैसे ही चेक इन कर लिया ! पूरे बत्तीस इंच की मुस्कान के साथ मैंने जैसे ही उसे धन्यवाद दिया वह भी बहुत खुश हो गयी और मुझे हैप्पी जर्नी विश करने के लिए मेरे पास व्हील चेयर तक आई !

बोर्डिंग लाउंज में हम लोग काफी देर बैठे रहे और गप शप लगाते रहे ! मैंने सोवेनिर की शॉप से एक दो फ्रिज मेग्नेट्स और खरीदे जो शहर में मुझे नहीं मिले थे ! वहाँ की बेहद उम्दा और खुशबूदार आसाम चाय के कुछ पैकेट्स खरीदे दोस्तों के लिए ! घंटा डेढ़ घंटा कहाँ बीत गया पता ही नहीं चला कि बोर्डिंग शुरू हो गयी ! सही समय पर हवाई जहाज ने उड़ान भर ली और शाम को सही समय पर दिल्ली में लैंड भी हो गयी ! एक बहुत ही सुन्दर अध्याय का आज समापन हो रहा था ! कन्वेयर बेल्ट से अपना-अपना सामान कलेक्ट कर हम लोगों ने एक दूसरे से विदा ली ! सबके साथ आत्मीयता और अंतरंगता के इतने सुदृढ़ तार जुड़ गए थे कि इस समय विछोह के ये पल बड़े भारी लग रहे थे ! सरन और रश्मि का फोन मेरे पास आ चुका था ! वो हम लोगों को रिसीव करने के लिए एयर पोर्ट आ चुके थे ! एग्जिट गेट पर ही रश्मि मिल गयी ! बच्चों को देखते ही राहत की साँस आई ! इतने समय से सुप्तावस्था में पड़े हुए दर्द अचानक से जागृत हो गए ! लगा पीठ में बड़ा दर्द हो रहा है ! सरन ने सहारा देकर हम दोनों को व्हील चेयर से बाहर निकाला ! शाम को लगभग सात बजे तक हम घर पहुँच कर गरमागरम चाय के साथ अपनी यात्रा के अनुभव सुनाने में मशगूल हो चुके थे ! सरन रश्मि भी दो तीन साल पहले मेघालय की यात्रा पर होकर आये थे और इन सभी स्थानों को घूम चुके थे ! वो लोग भी अपने अनुभव सुनाते रहे ! रात बहुत देर तक बातें चलती रहीं ! 17 मई को हमें आगरा के लिए निकल जाना था ! नियत समय पर सुबह 11 बजे गाड़ी नीचे आ चुकी थी ! बहुत सारी खुशियाँ, बहुत सारी यादें और ढेर सारे रोमांचक अनुभव लेकर हम 17 तारीख की शाम को पाँच बजे तक आगरा पहुँच गए थे ! मेघालय त्रिपुरा की यह यात्रा आज यहीं समाप्त हो गयी ! उसके साथ ही मेरा यह यात्रा संस्मरण भी अब समाप्त होता है ! आपसे विदा लेती हूँ इस वायदे के साथ कि अगली बार अगर कहीं घूमने गयी तो वहाँ के रोचक संस्मरण भी आप सबके साथ अवश्य ही शेयर करूँगी ! तो अब इजाज़त दीजिये साथियों ! नमस्कार एवं शुभ रात्रि !

साधना वैद     


Tuesday, August 1, 2023

अगर सा महकता अगरतला – 16




15 मई – मेलाघर का ‘नीर महल’
सुबह अगरतला से 50 - 55 किलोमीटर्स चल कर हमने भुवनेश्वरी मंदिर, कल्याण सागर झील, त्रिपुर सुन्दरी मंदिर और रबर के जंगलों की खूब सैर कर ली थी ! जगहें काफी दूर थीं तो समय भी बहुत लग गया था ! लेकिन अब हम जिस स्थान को देखने जाने वाले थे वह न केवल बेहद खूबसूरत और अद्भुत स्थान है वहाँ तक पहुँचने का मार्ग और माध्यम भी बहुत ही दिलचस्प हैं ! यह स्थान और कोई नहीं अपितु किसी स्वप्न महल सा सुन्दर ‘नीर महल’ है !
अगर आप कोई शानदार जगह देखना चाहते हैं तो त्रिपुरा की राजधानी अगरतला की सैर कर आइये ! यहाँ आपको झील के बीच में बसा हुआ एक खूबसूरत महल देखने को मिलेगा जिसकी चर्चा कम होती है और कम ही टूरिस्ट इसकी सुंदरता से रूबरू हो पाते हैं ! जहाँ एक तरफ जयपुर के लेक पैलेस को घूमने के लिए बड़ी तादाद में सैलानी जाते हैं, वहीं अगरतला का नीर महल अपनी अद्भुत खूबसूरती के बाद भी सैलानियों की राह देख रहा होता है !
नीरमहल (जिसका अर्थ है "जल महल") एक पूर्व शाही महल है जिसे भारत के तत्कालीन त्रिपुरा साम्राज्य के राजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर ने 1930 में रुद्रसागर झील के बीच में बनवाया था और 1938 में पूरा बन कर यह तैयार हुआ था ! यह त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से 53 किलोमीटर दूर मेलाघर में स्थित है ! यह महल रुद्रसागर झील के बीच में स्थित है और हिंदू और मुस्लिम स्थापत्य शैली के फ्यूज़न की अद्भुत मिसाल पेश करता है !
‘नीर महल’ भारत में अपनी तरह का सबसे बड़ा और पूर्वी भारत में स्थित एकमात्र जलमहल है ! त्रिपुरा के 'झील महल' के रूप में जाने जाने वाले नीर-महल का निर्माण ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में किया गया था ! खूबसूरत रुद्रसागर झील में एक महल बनाने का विचार महाराजा बीर बिक्रम माणिक्य बहादुर का था और उन्होंने अपना यह महल बनाने के लिए ब्रिटिश कंपनी मार्टिन एंड बर्न्स को मान्यता दी थी ! कंपनी को काम पूरा करने में नौ साल लग गए ! यह महल महाराजा के उत्तम सौन्दर्यबोध और हिंदू और मुस्लिम परंपराओं और संस्कृतियों के संगम की उनकी अभिनव धारणा का साकार रूप है !
महल दो भागों में बँटा हुआ है ! महल के पश्चिमी भाग को अंतरमहल के नाम से जाना जाता है ! इसे शाही परिवार के लिए बनाया गया था ! पूर्वी भाग एक ओपन-एयर थिएटर है जहाँ महाराजाओं, उनके शाही परिवारों एवं आमंत्रित अतिथियों के मनोरंजन के लिए नाटक, रंगमंच, नृत्य और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे ! महल में कुल 24 कमरे हैं !
नीर-महल के अंदर दो सीढ़ियाँ हैं जो रुद्रसागर झील के पानी की सतह तक जाती हैं ! महाराजा 'राजघाट' से हाथ से चलने वाली नाव से महल तक जाते थे ! महाराजा की बोट उनके शयन कक्ष के बिलकुल पास ही बाँधी जाती थी ! जहाँ से वे सीधे अपने शयन कक्ष में जा सकते थे !
रुद्रसागर नाम की एक प्राकृतिक झील के मध्य स्थित यह 'नीरमहल' 5.35 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है ! त्रिपुरा के शाही परिवार का ग्रीष्मकालीन निवास स्थान था 'नीरमहल' ! 'नीरमहल' का निर्माण बलुआ पत्थर और संगमरमर से किया गया था ! 'नीरमहल' भारत में झील के मध्य स्थित सबसे बड़ा पैलेस है ! इसके सुंदर और सुव्यवस्थित बगीचे और फ्लड लाइटें महल के आकर्षण को बढ़ाते हैं ! महल के अन्य मुख्य आकर्षणों में जल क्रीड़ा अर्थात वाटर स्पोर्ट्स की सुविधाएं और विदेशों से आने वाले प्रवासी पक्षी शामिल हैं जिन्हें रुद्रसागर झील में देखा जा सकता है ! अगस्त में हर साल आयोजित होने वाले जल उत्सव के दौरान इस महल का आकर्षण विशेष रूप से बढ़ जाता है ! इस उत्सव के दौरान एक नौका दौड़ आयोजित की जाती है जो आगंतुकों को बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित करती है ! इसके अलावा, अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों और नाटक मंचन के साथ-साथ एक तैराकी प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है !
इस महल की लम्बाई 400 मीटर्स है ! नीर महल को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है ! एक हिस्सा वह है जिसमे बहुत ही बढ़िया कारीगरी से बने बेहद खूबसूरत 24 आलीशान कमरे व नृत्यशाला एवं सुन्दर उद्यान इत्यादि हैं ! इस हिस्से में शाही परिवार के सदस्य रहते थे और दूसरा हिस्सा वह है जो नीर महल के दूसरे छोर पर है ! इस हिस्से में सैनिक, सेवादार एवं कर्मचारी लोग रहते थे ! बाहर से आने वाले अतिथियों को नीर महल में प्रवेश इसी हिस्से से दिया जाता था ! महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर त्रिपुरा राजघराने के अंतिम राजा थे ! १९४७ में स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारत में राजशाही का अंत हुआ और लोकतंत्र आ गया ! त्रिपुरा का राज्य भी समाप्त हो गया ! उसके बाद कई सालों तक नीरमहल खाली पड़ा रहा ! खाली महल में आस पास के स्थानीय लोगों ने कब्जा कर लिया और वे इसमें आकर रहने लगे ! लगभग 14 - 15 साल के बाद भारत सरकार ने इस महल की सुध ली और पुलिस की मदद से इस महल को खाली करवा कर और इसकी साफ़ सफाई एवं मरम्मत करवा कर इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया ! लेकिन इतने सालों तक यहाँ रहने वाले लोग जाते जाते यहाँ की तमाम बेशकीमती चीज़ें, जैसे आलीशान दरवाज़े, खिड़कियाँ, शीशे, बेल्जियम ग्लास और धातु के बने हुए कीमती शो पीस आदि सब उखाड़ कर ले गए ! महाराजा बहुत शौक़ीन तबीयत के थे ! 1930 में बना यह नीरमहल उस समय का आधुनिकतम साज सज्जा से सुसज्जित महल था ! महाराजा की पढाई विदेशों में हुई थी ! जब यह महल बन रहा था वे उन दिनों विदेशों में पढ़ाई कर रहे थे ! उन्हें जो भी अच्छा लगता था वह कीमती सामान वे नीर महल के लिए वहाँ से भेजते थे ! इस महल को बनवाते समय भारतीय वास्तुकला के साथ साथ पाश्चात्य शैली का असर भी यहाँ दिखाई दे जाता है ! जैसे पुरुषों के बाथरूम और वाशरूम्स नीले रंग के टाइल्स से बनाए गए थे और महिलाओं के गुलाबी रंग के टाइल्स से बनाए गए थे ! एक और विशेष बात कि 1930 में जब भारत के कुछ ही हिस्सों में बिजली पहुँची थी नीर महल को सतत बिजली की आपूर्ति मिलती रहे इसके लिए महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर ने विदेशों से तीन बड़े बड़े जेनरेटर्स आयातित किये थे ! नीर महल के सैनिकों वाले हिस्से में इन जेनरेटर्स के रखने का स्थान आज भी दर्शनीय है !
इस महल का नाम ‘नीर महल’ कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर ने महाराजा के आग्रह पर दिया था ! वे बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर के तो बहुत घनिष्ठ मित्र थे ही त्रिपुरा राजघराने के साथ उनका नाता महाराजा के दादा जी के ज़माने से जुड़ा हुआ था !
नीरमहल की साईट पर पहुँच कर हमने वहाँ अद्भुत नज़ारा देखा ! बड़ी बड़ी नावें झील के इस पार खड़ी हुई थीं जिनमें टिकिट खरीद कर झील के बीच सुदूर नीर महल तक जाने की व्यवस्था थी ! हर नाव की निश्चित सवारियाँ थीं ! तयशुदा समय के बाद सबको उसी नाव से वापिस भी लौटना होता था ! हमारे ग्रुप ने भी एक नाव में अपना स्थान बनाया ! बड़ा खुशनुमा सफ़र था ! इस बोटिंग में बहुत आनंद आया ! सारी नावें मोटराईज्ड थीं इसलिए विशेष समय नहीं लगा पहुँचने में ! वहाँ सबने बड़ी रूचि लेकर नीर महल के हर एक हिस्से को देखा ! बगीचे में फलों से लदे हुए बड़े ही सुन्दर पेड़ लगे हुए थे ! हर जगह हर एंगिल से सबने महल की और अपनी खूब तस्वीरें खींचीं भी और खिंचवाईं भी ! यहाँ की विजिट निश्चित रूप से यादगार विजिट थी ! तय समय के बाद सबको अपनी नाव में बैठ कर वापिस इस पार आना था ! सो हम भी अपनी नाव में सवार हो गए ! काफी देर हो चुकी थी ! इस समय तक सबको खूब तेज़ भूख लग आई थी ! झील के इस पार पर्यटन विभाग का ही शायद एक होटल था ! वैसे तो लंच अवर ख़त्म हो चुका था फिर भी हमारी रिक्वेस्ट पर उन्होंने हमारे लिए एकदम गरमागरम खाना तैयार करवाया ! कुछ देर इंतज़ार तो ज़रूर करना पड़ा लेकिन खाना इतना स्वादिष्ट और तृप्तिदायक था कि भूख से अधिक ही खा लिया सबने ! खाना खाने के बाद अब बस एक ही मुख्य काम रह गया था और वह था शॉपिंग का ! आज अगरतला में हमारी आख़िरी रात थी ! नीरमहल से अगरतला आते आते शाम भी गहराने लगी थी ! फिर भी कुछ छोटा मोटा सामान तो सभी को लेना था ! कुछ स्टोर्स ‘पूर्बाषा’ आदि बंद हो चुके थे या शायद उस दिन बंद ही रहते थे यह याद नहीं ! लेकिन राजा हमें जिस बाज़ार में ले गए वहाँ हम लोगों की ज़रुरत का बहुत बढ़िया सामान बड़े ही रीज़नेबिल रेट्स पर मिल रहा था ! सबने खूब जम कर खरीदारी की ! फिर अपनी प्रिय मिठाई शॉप पर भी सबको जाना था त्रिपुरा की मिठाई अपने घर वालों को खिलाना भी तो ज़रूरी था न ! शॉपिंग के बाद सब फिर शेरावाली मिठाई शॉप में पहुँचे ! मुझे तो बस निमकी का एक पैकिट खरीदना था ! हमारी प्यारी अंजना जी ने खुशी खुशी हमारा काम करने का प्रॉमिस कर दिया तो हम फिर गाड़ी में ही बैठे रहे !
आज की रात अगरतला के बड़े प्यारे से होटल एयर ड्राप में हमारी अंतिम रात थी ! सोने से पहले थोड़ा बहुत हल्का फुल्का खाना खाकर हम लोगों ने बिस्तर की शरण ली ! सुबह जल्दी तैयार होने की, जल्दी निकलने की कोई बंदिश नहीं थी तो कमरे में पहुँच कर आराम से बच्चों से फोन पर खूब बातें की ! फ़ोटोज़ का आदान प्रदान हुआ ! कुछ देर टी वी देखा और निंद्रा रानी के आगोश में लुढ़क गए ! तो दोस्तों, आज का किस्सा भी यहीं ख़त्म करते हैं ! आप सबके साथ नये दिन की नयी गतिविधियों की यादें अगली पोस्ट में साझा करूँगी ! बस अब तो यह यात्रा वृत्तांत समापन की ओर बढ़ चला है ! 16 मई का दिन हमारी इस यात्रा का अंतिम दिवस था ! दिन में 2.45 पर हमारी फ्लाइट दिल्ली के लिए टेक ऑफ़ कर लेगी ! शाम को 5.20 पर दिल्ली पहुँच जायेंगे और साढे छ: सात तक घर ! लेकिन अगरतला का वह अंतिम दिन भी बहुत यादगार था ! आपको इस दिन की गतिविधियों के बारे में भी ज़रूर बताउँगी ! तो बस थोड़ा सा इंतज़ार और ! मिलूँगी जल्दी ही आपसे ! आज मुझे इजाज़त दीजिये ! शुभ रात्रि !
साधना वैद