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Tuesday, August 1, 2023

अगर सा महकता अगरतला – 16




15 मई – मेलाघर का ‘नीर महल’
सुबह अगरतला से 50 - 55 किलोमीटर्स चल कर हमने भुवनेश्वरी मंदिर, कल्याण सागर झील, त्रिपुर सुन्दरी मंदिर और रबर के जंगलों की खूब सैर कर ली थी ! जगहें काफी दूर थीं तो समय भी बहुत लग गया था ! लेकिन अब हम जिस स्थान को देखने जाने वाले थे वह न केवल बेहद खूबसूरत और अद्भुत स्थान है वहाँ तक पहुँचने का मार्ग और माध्यम भी बहुत ही दिलचस्प हैं ! यह स्थान और कोई नहीं अपितु किसी स्वप्न महल सा सुन्दर ‘नीर महल’ है !
अगर आप कोई शानदार जगह देखना चाहते हैं तो त्रिपुरा की राजधानी अगरतला की सैर कर आइये ! यहाँ आपको झील के बीच में बसा हुआ एक खूबसूरत महल देखने को मिलेगा जिसकी चर्चा कम होती है और कम ही टूरिस्ट इसकी सुंदरता से रूबरू हो पाते हैं ! जहाँ एक तरफ जयपुर के लेक पैलेस को घूमने के लिए बड़ी तादाद में सैलानी जाते हैं, वहीं अगरतला का नीर महल अपनी अद्भुत खूबसूरती के बाद भी सैलानियों की राह देख रहा होता है !
नीरमहल (जिसका अर्थ है "जल महल") एक पूर्व शाही महल है जिसे भारत के तत्कालीन त्रिपुरा साम्राज्य के राजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर ने 1930 में रुद्रसागर झील के बीच में बनवाया था और 1938 में पूरा बन कर यह तैयार हुआ था ! यह त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से 53 किलोमीटर दूर मेलाघर में स्थित है ! यह महल रुद्रसागर झील के बीच में स्थित है और हिंदू और मुस्लिम स्थापत्य शैली के फ्यूज़न की अद्भुत मिसाल पेश करता है !
‘नीर महल’ भारत में अपनी तरह का सबसे बड़ा और पूर्वी भारत में स्थित एकमात्र जलमहल है ! त्रिपुरा के 'झील महल' के रूप में जाने जाने वाले नीर-महल का निर्माण ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में किया गया था ! खूबसूरत रुद्रसागर झील में एक महल बनाने का विचार महाराजा बीर बिक्रम माणिक्य बहादुर का था और उन्होंने अपना यह महल बनाने के लिए ब्रिटिश कंपनी मार्टिन एंड बर्न्स को मान्यता दी थी ! कंपनी को काम पूरा करने में नौ साल लग गए ! यह महल महाराजा के उत्तम सौन्दर्यबोध और हिंदू और मुस्लिम परंपराओं और संस्कृतियों के संगम की उनकी अभिनव धारणा का साकार रूप है !
महल दो भागों में बँटा हुआ है ! महल के पश्चिमी भाग को अंतरमहल के नाम से जाना जाता है ! इसे शाही परिवार के लिए बनाया गया था ! पूर्वी भाग एक ओपन-एयर थिएटर है जहाँ महाराजाओं, उनके शाही परिवारों एवं आमंत्रित अतिथियों के मनोरंजन के लिए नाटक, रंगमंच, नृत्य और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे ! महल में कुल 24 कमरे हैं !
नीर-महल के अंदर दो सीढ़ियाँ हैं जो रुद्रसागर झील के पानी की सतह तक जाती हैं ! महाराजा 'राजघाट' से हाथ से चलने वाली नाव से महल तक जाते थे ! महाराजा की बोट उनके शयन कक्ष के बिलकुल पास ही बाँधी जाती थी ! जहाँ से वे सीधे अपने शयन कक्ष में जा सकते थे !
रुद्रसागर नाम की एक प्राकृतिक झील के मध्य स्थित यह 'नीरमहल' 5.35 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है ! त्रिपुरा के शाही परिवार का ग्रीष्मकालीन निवास स्थान था 'नीरमहल' ! 'नीरमहल' का निर्माण बलुआ पत्थर और संगमरमर से किया गया था ! 'नीरमहल' भारत में झील के मध्य स्थित सबसे बड़ा पैलेस है ! इसके सुंदर और सुव्यवस्थित बगीचे और फ्लड लाइटें महल के आकर्षण को बढ़ाते हैं ! महल के अन्य मुख्य आकर्षणों में जल क्रीड़ा अर्थात वाटर स्पोर्ट्स की सुविधाएं और विदेशों से आने वाले प्रवासी पक्षी शामिल हैं जिन्हें रुद्रसागर झील में देखा जा सकता है ! अगस्त में हर साल आयोजित होने वाले जल उत्सव के दौरान इस महल का आकर्षण विशेष रूप से बढ़ जाता है ! इस उत्सव के दौरान एक नौका दौड़ आयोजित की जाती है जो आगंतुकों को बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित करती है ! इसके अलावा, अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों और नाटक मंचन के साथ-साथ एक तैराकी प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है !
इस महल की लम्बाई 400 मीटर्स है ! नीर महल को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है ! एक हिस्सा वह है जिसमे बहुत ही बढ़िया कारीगरी से बने बेहद खूबसूरत 24 आलीशान कमरे व नृत्यशाला एवं सुन्दर उद्यान इत्यादि हैं ! इस हिस्से में शाही परिवार के सदस्य रहते थे और दूसरा हिस्सा वह है जो नीर महल के दूसरे छोर पर है ! इस हिस्से में सैनिक, सेवादार एवं कर्मचारी लोग रहते थे ! बाहर से आने वाले अतिथियों को नीर महल में प्रवेश इसी हिस्से से दिया जाता था ! महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर त्रिपुरा राजघराने के अंतिम राजा थे ! १९४७ में स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारत में राजशाही का अंत हुआ और लोकतंत्र आ गया ! त्रिपुरा का राज्य भी समाप्त हो गया ! उसके बाद कई सालों तक नीरमहल खाली पड़ा रहा ! खाली महल में आस पास के स्थानीय लोगों ने कब्जा कर लिया और वे इसमें आकर रहने लगे ! लगभग 14 - 15 साल के बाद भारत सरकार ने इस महल की सुध ली और पुलिस की मदद से इस महल को खाली करवा कर और इसकी साफ़ सफाई एवं मरम्मत करवा कर इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया ! लेकिन इतने सालों तक यहाँ रहने वाले लोग जाते जाते यहाँ की तमाम बेशकीमती चीज़ें, जैसे आलीशान दरवाज़े, खिड़कियाँ, शीशे, बेल्जियम ग्लास और धातु के बने हुए कीमती शो पीस आदि सब उखाड़ कर ले गए ! महाराजा बहुत शौक़ीन तबीयत के थे ! 1930 में बना यह नीरमहल उस समय का आधुनिकतम साज सज्जा से सुसज्जित महल था ! महाराजा की पढाई विदेशों में हुई थी ! जब यह महल बन रहा था वे उन दिनों विदेशों में पढ़ाई कर रहे थे ! उन्हें जो भी अच्छा लगता था वह कीमती सामान वे नीर महल के लिए वहाँ से भेजते थे ! इस महल को बनवाते समय भारतीय वास्तुकला के साथ साथ पाश्चात्य शैली का असर भी यहाँ दिखाई दे जाता है ! जैसे पुरुषों के बाथरूम और वाशरूम्स नीले रंग के टाइल्स से बनाए गए थे और महिलाओं के गुलाबी रंग के टाइल्स से बनाए गए थे ! एक और विशेष बात कि 1930 में जब भारत के कुछ ही हिस्सों में बिजली पहुँची थी नीर महल को सतत बिजली की आपूर्ति मिलती रहे इसके लिए महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर ने विदेशों से तीन बड़े बड़े जेनरेटर्स आयातित किये थे ! नीर महल के सैनिकों वाले हिस्से में इन जेनरेटर्स के रखने का स्थान आज भी दर्शनीय है !
इस महल का नाम ‘नीर महल’ कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर ने महाराजा के आग्रह पर दिया था ! वे बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर के तो बहुत घनिष्ठ मित्र थे ही त्रिपुरा राजघराने के साथ उनका नाता महाराजा के दादा जी के ज़माने से जुड़ा हुआ था !
नीरमहल की साईट पर पहुँच कर हमने वहाँ अद्भुत नज़ारा देखा ! बड़ी बड़ी नावें झील के इस पार खड़ी हुई थीं जिनमें टिकिट खरीद कर झील के बीच सुदूर नीर महल तक जाने की व्यवस्था थी ! हर नाव की निश्चित सवारियाँ थीं ! तयशुदा समय के बाद सबको उसी नाव से वापिस भी लौटना होता था ! हमारे ग्रुप ने भी एक नाव में अपना स्थान बनाया ! बड़ा खुशनुमा सफ़र था ! इस बोटिंग में बहुत आनंद आया ! सारी नावें मोटराईज्ड थीं इसलिए विशेष समय नहीं लगा पहुँचने में ! वहाँ सबने बड़ी रूचि लेकर नीर महल के हर एक हिस्से को देखा ! बगीचे में फलों से लदे हुए बड़े ही सुन्दर पेड़ लगे हुए थे ! हर जगह हर एंगिल से सबने महल की और अपनी खूब तस्वीरें खींचीं भी और खिंचवाईं भी ! यहाँ की विजिट निश्चित रूप से यादगार विजिट थी ! तय समय के बाद सबको अपनी नाव में बैठ कर वापिस इस पार आना था ! सो हम भी अपनी नाव में सवार हो गए ! काफी देर हो चुकी थी ! इस समय तक सबको खूब तेज़ भूख लग आई थी ! झील के इस पार पर्यटन विभाग का ही शायद एक होटल था ! वैसे तो लंच अवर ख़त्म हो चुका था फिर भी हमारी रिक्वेस्ट पर उन्होंने हमारे लिए एकदम गरमागरम खाना तैयार करवाया ! कुछ देर इंतज़ार तो ज़रूर करना पड़ा लेकिन खाना इतना स्वादिष्ट और तृप्तिदायक था कि भूख से अधिक ही खा लिया सबने ! खाना खाने के बाद अब बस एक ही मुख्य काम रह गया था और वह था शॉपिंग का ! आज अगरतला में हमारी आख़िरी रात थी ! नीरमहल से अगरतला आते आते शाम भी गहराने लगी थी ! फिर भी कुछ छोटा मोटा सामान तो सभी को लेना था ! कुछ स्टोर्स ‘पूर्बाषा’ आदि बंद हो चुके थे या शायद उस दिन बंद ही रहते थे यह याद नहीं ! लेकिन राजा हमें जिस बाज़ार में ले गए वहाँ हम लोगों की ज़रुरत का बहुत बढ़िया सामान बड़े ही रीज़नेबिल रेट्स पर मिल रहा था ! सबने खूब जम कर खरीदारी की ! फिर अपनी प्रिय मिठाई शॉप पर भी सबको जाना था त्रिपुरा की मिठाई अपने घर वालों को खिलाना भी तो ज़रूरी था न ! शॉपिंग के बाद सब फिर शेरावाली मिठाई शॉप में पहुँचे ! मुझे तो बस निमकी का एक पैकिट खरीदना था ! हमारी प्यारी अंजना जी ने खुशी खुशी हमारा काम करने का प्रॉमिस कर दिया तो हम फिर गाड़ी में ही बैठे रहे !
आज की रात अगरतला के बड़े प्यारे से होटल एयर ड्राप में हमारी अंतिम रात थी ! सोने से पहले थोड़ा बहुत हल्का फुल्का खाना खाकर हम लोगों ने बिस्तर की शरण ली ! सुबह जल्दी तैयार होने की, जल्दी निकलने की कोई बंदिश नहीं थी तो कमरे में पहुँच कर आराम से बच्चों से फोन पर खूब बातें की ! फ़ोटोज़ का आदान प्रदान हुआ ! कुछ देर टी वी देखा और निंद्रा रानी के आगोश में लुढ़क गए ! तो दोस्तों, आज का किस्सा भी यहीं ख़त्म करते हैं ! आप सबके साथ नये दिन की नयी गतिविधियों की यादें अगली पोस्ट में साझा करूँगी ! बस अब तो यह यात्रा वृत्तांत समापन की ओर बढ़ चला है ! 16 मई का दिन हमारी इस यात्रा का अंतिम दिवस था ! दिन में 2.45 पर हमारी फ्लाइट दिल्ली के लिए टेक ऑफ़ कर लेगी ! शाम को 5.20 पर दिल्ली पहुँच जायेंगे और साढे छ: सात तक घर ! लेकिन अगरतला का वह अंतिम दिन भी बहुत यादगार था ! आपको इस दिन की गतिविधियों के बारे में भी ज़रूर बताउँगी ! तो बस थोड़ा सा इंतज़ार और ! मिलूँगी जल्दी ही आपसे ! आज मुझे इजाज़त दीजिये ! शुभ रात्रि !
साधना वैद

2 comments :

  1. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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