रात में किसी भी समय फोन की घंटी बज जाती है और मेरा दिल धड़क उठता है ! घबरा के फोन उठाती हूँ नाम देखती हूँ, आशा जीजी !
“क्या हुआ जीजी, सब ठीक तो है ?”
“हाँ सब ठीक है ! फोन में तेरी फोटो दिखी तो ऐसे ही लगा लिया !”
कुछ शान्ति मिली ! घड़ी देखी रात के दो बज रहे हैं !
“क्या कर रही थी तू?’
“ओफ्फोह जीजी ! रात के दो बज रहे हैं ! ज़ाहिर है इस समय सब सोते ही हैं ! मैं भी सो रही थी ! कुछ काम था ?”
“नहीं तेरी आवाज़ सुनने का मन हो रहा था ! फेसबुक पर तेरी कविता सुनी बहुत अच्छी लगी !”
“अरे तो यह सुबह बता देतीं ! डरा देती हो !”
“अच्छा ! चल सो जा अब !”
अगले दिन रात में साढ़े तीन बजे फिर घंटी बजी ! जीजी के स्वास्थ्य को लेकर हमेशा से फ़िक्र लगी रहती थी ! दौड़ के फोन उठाती हूँ !
“क्या हुआ जीजी ? नींद नहीं आ रही है क्या ? कोई परेशानी है ?”
“नहीं, कुछ हाइकु लिखे थे उन्हें देख लेना !”
“अच्छा ! अब सो जाओ मुझे भी नींद आ रही है !”
“कितनी देर तक सोती है ! अभी सुबह नहीं हुई तेरी !”
“अरे बाबा अभी सिर्फ साढ़े तीन बजे हैं ! आप भी सो जाओ और मुझे भी नींद आ रही है !”
ऐसे ही हफ्ते में तीन चार बार उनके फोन रात बिरात कभी भी आ जाया करते थे ! कभी उनकी मासूमियत पर प्यार आता था, कभी हँसी आती थी, कभी चिंता हो जाती थी ! कविता, हाइकु या आवाज़ सुनने का तो सिर्फ बहाना होता था ! क्या जीजी किसी गहन पीड़ा से गुज़र रही थीं ! कभी अपनी तकलीफ नहीं बताती थीं ! हमेशा उत्साह से लबरेज़, बेहद कर्मठ, बेहद ज़हीन, बेहद प्यार करने वाली मेरी जीजी की आवाज़ १३ सितम्बर की सुबह पाँच बजे हमेशा के लिए खामोश हो गयी ! इंदौर के सुयश अस्पताल में १२ दिन असह्य पीड़ा झेलने के बाद उन्होंने महाप्रस्थान के लिए अपने कदम स्वर्ग की राह पर मोड़ लिए ! नहीं जानती मैं सुकून भरी नींद अब कभी सो भी पाउँगी या नहीं ! लेकिन मुझे झकझोर कर उठाने वाली फोन की घंटी अब कभी नहीं बजेगी !
मेरी माँ समान बड़ी बहन श्रीमती आशा लता सक्सेना ने अपना आवास स्वर्ग की सुन्दर सी कोलोनी में बहुत पहले ही बुक करा लिया था ! काफी समय से बहुत अस्वस्थ चल रही थीं वे ! १३ सितम्बर का बृह्म मुहूर्त उन्होंने गृह प्रवेश के लिए चुना और अपने नए घर में रहने के लिए बड़ी शान्ति के साथ वे चुपचाप निकल गईं ! हमारी परम पिता परमेश्वर से यही प्रार्थना है कि वे उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें और वहाँ उनके सारे कष्टों का अंत हो जाए ! तुम्हें बहुत याद करेंगे जीजी ! चाहे जब उज्जैन इंदौर के टिकिट बुक कराने की जिद पकड़ लेने की अब सारी वजहें ख़त्म हो गईं ! सच पूछो तो सर से ममता, प्यार और पीहर की छाँव और आश्वस्ति देने वाला आख़िरी पल्लू भी सरक गया ! अब कौन हमारे नाज़ नखरे उठाएगा, कौन लाड़ लड़ायेगा ! आज ऐसा लग रहा है जैसे हम फिर से अनाथ हो गए हैं ! बहुत याद आओगी जीजी ! जहाँ भी रहो सुख से रहना और मम्मी, बाबूजी, दादा, भाभी, जीजाजी सबको हमारा प्रणाम कहना ! सादर नमन और अश्रुपूरित भावभीनी श्रद्धांजलि !
साधना वैद
मन भीग गया। सादर नमन।
ReplyDeleteआशा जी के लिए एक छोटी सी भावनात्मक
आदरांजलि हमारी ओर से।
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १६ सितंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी ! बहुत-बहुत आभार आपका !
Deleteप्रिय श्वेता, ब्लॉग जगत की शांत और सौम्य शब्द साधिका आदरणीय आशा जी की पुण्य स्मृति को समर्पित ये ह्रदयस्पर्शी अंक आँखे नम कर गया! उनका अचानक प्रयाण स्तब्ध और भावुक कर गया! फेसबुक पर बहुत दिनों से आशा जी अपनी अस्वस्थता की तस्वीरे शेयर कर रही थी! पर उनमें उनकी सरल, सहज़ जीवंत मुस्कान से कभी भी ये आभास नहीं हो पाया कि उनका जाना इतने नजदीक हैं! हर दिन एक रचना ब्लॉग पर पोस्ट करने वाली आशा जी ने शायद ही कोई विषय छोड़ा हो जिस पर वो न लिख पाई हों! अपने सहज़ भावों की गति को उन्होंने कभी रोका नहीं! और अपनी आखिरी सांस तक अपने रचना कर्म मे लीन रही! उनका सूना ब्लॉग आज देखा तो अनायास मन भर आया और नज़र उनकी आखिरी पोस्ट पर जा टिकी जिसे लगाते समय उन्होंने सोचा भी ना होगा कि वे इसके बाद ब्लॉग पर लिख ना पाएंगी! फिर भी संसार रैन बसेरा हैं! सभी का अंतिम दिवस तय हैं! पर अपनी कल्पना के संसार की इतनी वडी विरासत भावी साहित्य प्रेमियों के लिए सौप कर जाना कोई छोटी बात नहीं! तुम्हारी सारगर्भित भावभीनी भूमिका सब कह गई!
Deleteपांच लिंक के मंच पर उनको याद करना मात्र एक औचरिकता नहीं हैं उनके प्रति एक सादर भावांजलि है! तुम्हारे शब्दों में हम सब की भावनाएं भी समाहित हैं
हमारे ब्लॉग परिवार की गुणी और
प्यारी आशा जी को विनम्र अश्रुपूरित नमन😥! उनके शब्द हमेशा उनके विचारों और काव्य क्षमता के सदा साक्षी रहेंगे! उनका शब्दकोष काव्य रसिकों के लिए प्रेरणा बन कर रहेंगा! वे अपनी भावनाओं का विस्तार उनमें पाएंगे! पुनः नमन आशा जी! ईश्वर आपको अपने चरणों में स्थान दे और समस्त परिवारजनों को ये आघात सहने की शक्ति दे!
🙏🙏😟
आपकी भावपूर्ण प्रतिक्रिया ने मन को छूकर अद्भुत सांत्वना दी है रेणु जी ! आपके शब्दों में बड़ी शक्ति है ! हृदय से धन्यवाद एवं आभार आपका ! सप्रेम वंदन !
Deleteश्रद्धा नमन...
ReplyDeleteसादर आभार !
Deleteश्रद्धा नमन...
ReplyDeleteसादर आभार !
Deleteआदरणीय साधना जी, बड़ी बहन आदरणीय आशा जी की पुण्य स्मृतियों को समर्पित ये पोस्ट मन को भावुक और आँखों को नम कर गई!
ReplyDeleteआशा जी की जीवंत स्नेहिल छवि अनायास मानस पर छा गई और मन को व्यथित कर गई!
! उनकी सरस रचनाएँ ब्लॉग की अनमोल थाती हैं! उन्हें किसी भी तरह भुलाया ना जा सकेगा !सृजन के पथ पर अग्रसर दो बौद्धिक बहनों के संवाद सच में कितने प्यारे होते होंगे आपके लेख में पढ़कर इसकी कल्पना सहज कर सकते हैं! माँ के तुल्य बड़ी बहन ही हो सकती हैं! यदि बड़ी बहन इतनी मेधावी और उच्च कोटि की मार्गदर्शकहो तो जीवन से उनका जाना अपूरणीय क्षति और एक असहनीय आघात हैं! आशा जी को सादर अश्रुपूरित नमन! ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे और उनके विछोह की पीड़ा को सहने के लिए आप सब को शक्ति दे
आप भी अपना ख़याल रखें!
! विदा आशा जी! आप बहुत याद आएँगी 🙏🙏🌹🌹😟
सादर आभार रेणु जी !
Deleteतुम ना जाते तो अच्छा था
ReplyDeleteसब कह -सुन जाते तो अच्छा था!
मिलना फिर जुदा होना
ये कैसी रीत रही जग की
विदा की पीर अनंत जिनमें
ना मिलते वो नाते अच्छा था!
तुम ना जाते तो अच्छा था!
विदा आशा जी 🙏🙏😟
हार्दिक धन्यवाद रेणु जी !
Deleteनमन और श्रद्धांजलि
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद संजय जी !
Deleteनि:शब्द कर गईं आपकी पंक्तियाँ !
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