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Friday, February 19, 2016

"सम्वेदना की नम धरा पर" - आदरणीया बीना शर्मा जी की नज़र से





साधना जी उस व्यक्तित्व का नाम है जो जीवन भर अपनी साधना और साफगोई के लिए जाना जाता है | बात लगभग सात वर्ष पूर्व की है जब लेखिका और उनके ब्लॉग ‘सुधीनामा से मेरा नया-नया परिचय हुआ था | उनके लेखन में एक विचित्र सा आकर्षण  मैंने हमेशा अनुभव किया | अतिशयोक्ति नहीं होगी यदि मैं कहूँ कि उन दिनों मुझे उनकी हर एक रचना एक नए लोक में ले जाती थी |
 और आज जब उनकी रचनाओं के संग्रह की पांडुलिपि मेरे हाथों में है तो मुझे बहुत रोमांच हो रहा है | क्या गजब का लिखती हैं आप | दुनिया का कोई कोना उनकी लेखनी से अछूता नहीं रहा | पहले उनके गद्य विधा में लिखे विचार लोगों के दिलों में जागरूकता लाते थे और उनकी कवितायें तो मानो पाठक को हरी मखमली घास पर ले जाती हैं | जैसा जुझारू उनका व्यक्तित्व है वैसा ही उनका लेखन हजारों  साल के जमे कुहासे को चीर देता है | संयत भाषा में उनका मन अपने को उड़ेलता ही नहीं पाठक को विगलित भी कर देता है |
    पूरी की पूरी जिंदगी १५१ कविताओं में सिमट आई है | आप विषय सूची पर एक निगाह तो डालिए जीवन के सभी रंग उपस्थित हैं |बिटिया’,शुभकामना’,टूटे घरौंदे’, ‘अब और नहीं’,मेरा परिचय’,वेदना की राह पर’,मैं तुम्हारी माँ हूँ’, ‘ममता की छाँव’, ‘मैं वचन देती हूँ माँ’,  ‘पुराने जमाने की माँ’ और ‘गृहणी’ के रूप में पूरी की पूरी कायनात आपके आगे आ जाती है | संघर्ष का परचम लहराती कविताएँ जीवन के लिए वह पाथेय दे जाती हैं जिनसे जीवन मार्ग सुगम हो जाता है | उनकी कवितायेँ आपको केवल स्वप्न लोक में ही नहीं ले जातीं बल्कि जीवन के कठोर सत्य का उद्घाटन कराती हैं | समाज की हर घटना उनकी कविता का वर्ण्य विषय बन जाती है | यह संग्रह तो बहुत पहले प्रकाश में आ जाना चाहिये था पर जब जागो तभी सवेरा |
   कविताओं का यह संकलन वर्तमान पीढ़ी के लिए नया सन्देश है ! दुखों से घबरा कर भागना सहज है पर संघर्ष कर उन्हें अपनी उपलब्धि बना लेना हर किसी के बस का नहीं होता |
 साधना जी का काव्य संकलन बहुत जल्दी पाठकों के हाथ में हो ऐसी मेरी कामना है | अशेष शुभकामनाओं के साथ |  
    बीना शर्मा 
  (प्रोफ़ेसर बीना शर्मा)
केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा 
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Saturday, February 6, 2016

'सम्वेदना की नम धरा पर' - श्रीमती आशा लता सक्सेना जी की नज़र से



सम्वेदना की नम धरा पर” फैली काव्य धारा विविधता लिए है | साधना की ‘साधना’ लेखन में स्पष्ट झलकती है | बचपन से ही साहित्य में रूचि और कुछ नया करने की ललक उसमें रही जो रचनाओं के माध्यम से समय-समय पर प्रस्फुटित हुई | रचनाधर्मिता का वृहद् रूप उसकी कविताओं में समाया है |
कम उम्र से ही साधना ने पारिवारिक दायित्वों का कुशलतापूर्वक वहन किया और समय-समय पर अपने विचार लिपिबद्ध किये | साधना स्वभाव से बहुत भावुक और संवेदनशील है | सामाजिक सरोकारों के विविध विषयों और समसामयिक समस्याओं पर तथा नारी उत्पीड़न, महिला जागृति एवं कन्या भ्रूण ह्त्या जैसे संवेदनशील मुद्दों पर लिखी रचनाओं में साधना के मनोभावों की प्रस्तुति उसकी उन्नत सोच की परिचायक है | ‘मौन’, ‘पुराने ज़माने की माँ’, ‘सुमित्रा का संताप’, ‘मैं तुम्हारी माँ हूँ’, ‘तुम क्या जानो,’ ‘गृहणी’, ‘चुनौती’ जैसी रचनाएं जहाँ नारी के सतत संघर्ष की गाथा सुनाती हैं वहीं ‘आक्रोश’ और ‘मैं वचन देती हूँ माँ’ कन्या भ्रूण ह्त्या जैसी सामाजिक कुरीति की ओर पाठकों का ध्यान आकृष्ट करती हैं | वह प्रकृति के सान्निध्य से भी दूर नहीं | ‘सूर्यास्त’, ‘दो ज़िद्दी पत्ते’ तथा ‘वसंतागमन’ जैसी रचनाएं उसके प्रकृति प्रेम की परिचायक हैं ! उसके भावों में गहराई है और लेखन में परिपक्वता है |
कलम का जादू और पैनी दृष्टि सहजता से रचनाओं की माला में सुरभित पुष्पों की भाँति गूँथी गयी है | ये भावपूर्ण रचनाएं साहित्यिक दृष्टि से प्रशंसनीय हैं | खूबसूरत बिम्ब यत्र-तत्र कविताओं के सौन्दर्य को बढ़ाते हैं | बहु आयामी लेखन की धनी साधना का गद्य और पद्य दोनों पर ही समान अघिकार है | साहित्यिक भाषा लेखन की विशेषता है | वह अंतरजाल पर सन् २००८ से सक्रिय है | सतत लेखन नवीन लेखकों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है |
मुझे हार्दिक प्रसन्नता है कि साधना की मेहनत रंग लाई है और उत्कृष्ट रचनाओं का यह काव्य संकलन सम्वेदना की नम धरा पर” प्रबुद्ध पाठकों के समक्ष है | मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं इस महत्वपूर्ण प्रयास के लिए और यही कामना है कि साधना की कलम से इसी प्रकार कविता की अविरल धारा बहती रहे तथा जो गुण उसने हमारी माँ श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना किरण” से अर्जित किये उनका पूर्ण उपयोग कर वह इस क्षेत्र में ऐसा योगदान दे कि पाठक उसकी रचनाओं को बारम्बार पढ़ें और फिर भी पढ़ने की ललक बनी रहे |
इस उत्कृष्ट काव्य संकलन की अपार सफलता के लिये एक बार पुनः साधना को मेरा बारम्बार शुभाशीष और हार्दिक शुभकामनायें |

आशा 
सेवा निवृत व्याख्याता

Sunday, December 13, 2015

" संवेदना की नम धरा पर "


" संवेदना की नम धरा पर "
अपने प्रथम काव्य संकलन 'संवेदना की नम धरा पर' के कवर पेज एवं नीचे पुस्तक की ये तस्वीरें आप सबके साथ शेयर करते हुए मुझे अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है ! आशा है इस पुस्तक में संकलित कवितायें आपके हृदय को भी अवश्य स्पर्श करेंगी ! आपकी शुभकामनाओं की अपेक्षा है !







साधना वैद