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Wednesday, April 22, 2009

समाचार पत्र अपना दायित्व पहचानें

चुनाव का मौसम है और प्रत्याशियों का प्रचार प्रसार पूरे ज़ोर पर है । सभी अपने बारे में झूठ सच बढ़ा चढ़ा कर बता रहे हैं । लेकिन वास्तविकता यह है कि आम जनता में से शायद किसी को भी अपने क्षेत्र के सभी प्रत्याशियों के नाम तक नहीं मालूम हैं उनके इतिहास की तो बात ही छोड़ दीजिये । यही कारण है कि जो उम्मीदवार अशिक्षित और ग़रीब मतदाताओं को जाति और धर्म का वास्ता देकर भरमा लेता है या भौतिक वस्तुओं का प्रलोभन देकर अपनी मुट्ठी में कर लेता है मतदाता उसीके
पक्ष में वोट दे देते हैं चाहे फिर वह योग्य हो या ना हो । इंटरनेट पर सब के बारे में सूचना उपलब्ध है लेकिन भारत जैसे देश में कितने घरों में इंटरनेट की सुविधा सुलभ है और जीवन की आपाधापी में किसके पास इतना समय है कि वे साइबर कैफे में जाकर प्रत्याशियों के इतिहास भूगोल की जाँच पड़ताल अपनी जेब ढीली करके हासिल करें । आज के परिदृश्य में सूचना प्राप्त करने के लिये आम जनता के लिये जो सबसे सुलभ और स्थाई माध्यम है वह समाचार पत्र ही हैं । टी. वी. भी एक माध्यम है जिसकी पहुँच काफी विस्तृत है लेकिन उसकी भी सीमायें हैं कि वे समय विशेष पर ही सूचना प्रसारित कर सकते हैं और कोई आवश्यक नहीं कि उस समय सारे दर्शक अपना पसंदीदा कार्यक्रम छोड़ कर प्रत्याशियों की जानकारी जुटाने में दिलचस्पी लें । ऐसे में सभी समाचार पत्रों का दायित्व और बढ़ जाता है कि वे अपने पाठकों तक समस्त आवश्यक और अनिवार्य सूचनायें उपलब्ध करायें क्योंकि समाचार पत्रों में प्रतिदिन जो कुछ छपता है उस पर दिन भर में कभी न कभी तो नज़र पड़ ही जाती है ।
मेरे विचार से सभी प्रमुख समाचार पत्रों में प्रतिदिन नामांकित प्रत्याशियों के बारे में इस प्रकार की सूचनायें प्रकाशित करना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिये -
नाम
आयु
शिक्षा आपराधिक मामलों का विवरण
राजनैतिक इतिहास
सम्पत्ति का विवरण
व्यावसायिक अनुभव
उपलब्धियाँ और विफलतायें
आपराधिक मामलों के विवरण के तहत उन पर कितने मुकदमें चल रहे हैं, उन अपराधों की प्रकृति क्या है, कितने विचाराधीन हैं और कितनों में वे बरी हो चुके हैं इन सबका उल्लेख होना आवश्यक है ।
राजनैतिक इतिहास के विवरण के तहत यह जानकारी होना नितांत आवश्यक है कि इससे पहले वे किस पार्टी के लिये काम कर चुके हैं, कितनी बार दल बदल की राजनीति कर चुके हैं, उनकी निष्ठायें किसी भी पार्टी के लिये कितनी अवधि तक समर्पित रहीं, वे राजनीति में पहले से ही सक्रिय किस परिवार से सम्बद्ध हैं और सार्वजनिक सेवा का उनका इतिहास कितना पुराना है ।
पारदर्शिता की मुहिम के चलते सम्पत्ति का व्यौरा देना तो अब चलन में आ ही चुका है लेकिन जन साधारण के लिये यदि इसको अनिवार्य रूप से व्यक्ति विशेष की समस्त जानकारियों के साथ जोड़ कर लिखा जायेगा तो लोगों को तुलनात्मक अध्ययन करने में आसानी होगी ।
व्यावसायिक अनुभव के उल्लेख से यह विचार करने में आसानी होगी कि संसद में वे किस वर्ग विशेष का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं । जैसे एक वकील कानून के सम्बन्ध में, एक डॉक्टर चिकित्सा के सम्बन्ध में, एक शिक्षक शिक्षा के सम्बन्ध में, एक व्यवसायी उद्योग के सम्बन्ध में, एक कलाकार संस्कृति और कला के सम्बन्ध में, एक जन सेवक आम आदमी के सरोकारों के सम्बन्ध में, एक सैन्य अधिकारी रण कौशल से जुड़ी नीतियों के निर्धारण में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।
उपलब्धियों और विफलताओं के बारे में यह लिखना आवश्यक है कि अब तक वे किन महत्वपूर्ण मुद्दों के लिये प्रयासरत रहे हैं और उनमें कितनी सफलता या असफलता उनके हिस्से में आयी है ।
समाचारपत्रों में जब प्रत्येक प्रत्याशी के बारे में यह जानकारी प्रतिदिन अनिवार्य रूप से छपेगी तो कोई कारण नहीं है कि मतदाता स्वविवेक का प्रयोग किये बिना भेड़चाल की तरह किसी ऐसे प्रत्याशी के पक्ष में अपना वोट डाल आयें जिसने उनको भाँति भाँति के प्रलोभन देकर प्रभावित कर लिया हो, या वह किसी जाति विशेष का प्रतिनिधि हो ।
यह भी आवश्यक है कि यह सारी सूचना पूर्णत: विशुद्ध सूचना ही हो उसमें किसी नेता या पार्टी की सोच, राय, धारणा या छवि का तड़का न लगा हो । मेरे विचार से यदि इस दिशा में ठोस कदम उठाये जायेंगे तो आम जनता को अपने विवेक का प्रयोग करने का सुअवसर अवश्य मिलेगा और तब ही शायद सर्वोत्तम प्रत्याशी की जीत सम्भव हो पायेगी जिसके लिये हम सब कृत संकल्प हैं । जय भारत !
साधना वैद

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