
फागुन का मास तो
हर बरस आता है ,
लाल, पीले,
हरे, नीले
रंगों से सराबोर
ना जाने कितने कपड़े
हर साल बाँटती हूँ
फिर भी
नहीं जानती
मेरे मन की
दुग्ध धवल श्वेत चूनर
अभी तक
कोरी की कोरी
ही कैसे रह गयी !
कितना विचित्र
अनुभव है कि
एक प्राणवान शरीर
रंगों से खेल रहा होता है
और एक निष्प्राण आत्मा
नितांत पृथक और
निर्वैयक्तिक हो
असम्पृक्त भाव से
बहुत दूर से
इस फाग को अपने
निस्तेज नेत्रों से
अपलक निहारती
रहती है और
कामना करती है
कभी तो उसके श्याम
उसके आँगन में आयेंगे
और उसके मन की
चूनर पर रंग भरी
अपनी पिचकारी से
सतरंगी फूल बिखेरेंगे !
साधना वैद
पंचतत्वों के रथ पर सवार
ReplyDeleteनिर्मल धवल आत्मा तेरी
लाया जग में पालनहार
वह पल क़ियामत होगा
पूरा होगा तेरा जो विचार
See :
http://vedquran.blogspot.in/2012/02/sun-spirit.html
कुमार राधारमण जी की पोस्ट का चर्चा है ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ पर
ReplyDeleteजिसने हिंदी ब्लॉग जगत में ब्लॉग पत्रकारिता का सूत्रपात किया।
जिसमें बताया गया है महिलाएं किस उम्र में क्या खाएं ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2012/02/age-factor.html
अद्भुत ...दिव्य रचना ....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत ....!!
बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति !
ReplyDeleteआभार
behad sunder......bhawpoorn rachna.
ReplyDeletesundar rachna
ReplyDeleteवाह ...बहुत बढिया।
ReplyDeleteबहुत बहुत खूबसूरत रचना है |मन को छू गयी |
ReplyDeleteआशा
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteshabdon ke adbhut sayojan se man ki tees ko poorn roop se mukharit kar diya hai.
ReplyDeleteजब आप रंग बिरंगे कपड़े हर साल बांटती हैं तो आपका मन कैसे श्वेत चूनर में रह सकता है ...हम तो आपके आँगन में श्याम के आने का इंतज़ार कर रहे हैं जो आपकी पूरी चुनरी ही सतरंगी फूलों से रंग दें ॥ सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति,बेहतरीन सुंदर रचना,...
ReplyDeleteMY NEW POST ...कामयाबी...
कामना करती है कभी तो उसके श्याम उसके आँगन में आयेंगे
ReplyDelete...जब इतने रंगों के बीच भी मन कोरा ही रह जाएगा...तो श्याम को आना ही पड़ेगा...
सुन्दर कविता
आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (३१) में शामिल की गई है/आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप इसी तरह लगन और मेहनत से हिंदी भाषा की सेवा करते रहें यही कामना है /आभार /
ReplyDeleteउसका रंग जब चढ़ जाता है, सब रंग फींका पड़ जाता है।
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 23-02-2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete..भावनाओं के पंख लगा ... तोड़ लाना चाँद नयी पुरानी हलचल में .
बहुत सुन्दर लगी आपकी यह प्रस्तुति.
ReplyDeleteभाव और भक्ति से ओतप्रोत.
मेरे ब्लॉग पर आपके आने का आभारी हूँ मैं.