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Friday, October 5, 2012

टूटे तारे


कूड़े के ढेर के पास
दो नन्हे हाथ  
कचरे से कुछ बीनते हैं !
सहसा एक कर्कश
कड़क आवाज़
उन्हें कँपा देती है !
एक फौलादी हाथ
कस कर कान
उमेठ देता है और
वातावरण में एक
करुण क्रंदन तैर जाता है
मुझे लगता है जैसे
हवाएं फिर गुमसुम
हो गयी हैं ,
बुलबुल, कोयल, मोर, परिंदे
सब खामोश हो गये हैं ,
फूल उदास हैं ,
कलियाँ खिलने के नाम से
भयभीत हैं !
हर पत्ता अंकुरित होने से
    इनकार कर रहा है !   
तितलियाँ सहमी हुई हैं
और भँवरे
फूलों के पास आने से
परहेज़ कर रहे हैं !
लगता है जैसे  
आज क्षितिज पर
सूरज भी निस्तेज
हो गया है !
किसने फिजाओं में
इतनी बेचैनी भर दी है ?
किसने कायनात की
हर मासूम शै को
इस तरह बेरहमी से
रौंद दिया है ?
किसने इनकी
निश्च्छल आँखों से
उजाले छीन उन्हें
आँसुओं से भर दिया है ?
कोई तो इन्हें भी
प्यार से छूकर
एक बार फिर से
इन्हें खिला दे !
कोई तो इनके अधरों पर भी
खोई हुई मुस्कान लौटा दे !
कोई तो इन्हें भी
जीने का हक दिलवा दे !
ये भी वो टूटे तारे हैं
जो हर साध ,
हर कामना ,
हर ख्वाहिश को
पूरा करने की
क्षमता रखते हैं !
कोई तो इन्हें भी
खुद से मिलवा दे ,
कोई तो इन्हें भी
    जीना सिखला दे !   

साधना वैद  

21 comments :

  1. बहुत मार्मिक रचना......
    मन को छू गयी..व्यथित भी हुआ मन.

    सादर
    अनु

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  2. गूंगे बहरों की बसती है
    कौन बोले !

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  3. सामाजिक सरोकार से जुड़ी बहुत मार्मिक रचना

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  4. ऐसे दृश्य आए दिन देखने को मिल जाते है |बहुत मार्मिक दिल छूने वाली रचना |
    आशा

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  5. मन को छूते भाव ...

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  6. दिल को छू गयी आपकी रचना

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  7. कोई तो इन्हें भी
    जीने का हक दिलवा दे !
    ये भी वो टूटे तारे हैं
    जो हर साध ,
    हर कामना ,
    हर ख्वाहिश को
    पूरा करने की
    क्षमता रखते हैं !
    कोई तो इन्हें भी
    खुद से मिलवा दे ,

    मार्मिकता से भरी भावप्रवण रचना

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  8. sach kaha aasha ji ne aise drishy aaye din dekhne ko milte hain lekin ham itne samvedanheen hain ki kuchh nahi karte unke liye.

    marmik prastuti.

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  9. मन को छू गयी..बहुत ही मार्मिक रचना..

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  10. कोई तो इन्हें भी
    खुद से मिलवा दे ,
    कोई तो इन्हें भी
    जीना सिखला दे !
    मन को छूते रचना के भाव ...

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  11. अत्यंत मार्मिक और भावपूर्ण रचना.

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  12. कोई तो इन्हें भी
    खुद से मिलवा दे ,
    कोई तो इन्हें भी
    जीना सिखला दे !......bhawbhini....

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  13. ये भी वो टूटे तारे हैं
    जो हर साध ,
    हर कामना ,
    हर ख्वाहिश को
    पूरा करने की
    क्षमता रखते हैं ! मार्मिक रचना बडगे

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  14. कोई तो इन्हें खुद से मिलवा दे । सचमुच मन दर्द से भर उठा ।

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  15. ये भी वो टूटे तारे हैं
    जो हर साध ,
    हर कामना ,
    हर ख्वाहिश को
    पूरा करने की
    क्षमता रखते हैं
    सच मे क्षमता के होते हुये भी हर किसी की तकदीर साथ नही देती। मार्मिक अभिव्यक्ति। आज बहुत दिन बाद नेट पर आयी तो पहले आपके ब्लाग पर। शुभकामनायें।

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  16. कितने मजबूर हैं ये नन्हे - नन्हे टूटे हुए तारे, अफ़सोस होता है देखकर बचपन ऐसा भी होता है... मार्मिक अभिव्यक्ति

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