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Saturday, April 25, 2015

तेरा नाम


आसान होता मिटाना
तेरा नाम

जो लिखा होता
उँगली से पानी पर
वह स्वत: ही पानी में
विलीन हो जाता !

जो लिखा होता 
चॉक से स्लेट पर
वह गीले कपड़े से
पोंछ दिया जाता !

जो लिखा होता
पेन्सिल से पन्ने पर
वह रबर से
मिटा दिया जाता !

जो लिखा होता
कलम से कागज़ पर 
और जो वह आसानी से
मिटता नहीं तो
माचिस की तीली दिखा
जला दिया जाता !

लेकिन क्या करूँ
जाने किस पैने नश्तर से
दिल की चट्टान पर
गहराई तक खंरोंच कर
उकेरा था 
तेरा नाम मैंने 
जो मिटाये नहीं मिटता !

बल्कि वक्त के तमाम
मौसमों की मार ने
उन गहरे अक्षरों में
अनेकों रंग भर कर
उन्हें और स्पष्ट
और उजागर
कर दिया है !

साधना वैद

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