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Wednesday, October 3, 2018

हौसला




क्यों है हताशा साधना का
फल नहीं जो मिल सका,
क्यों है निराशा वंदना का
फूल जो ना खिल सका
हैं अनगिनत संभावनायें
राह में तेरे लिये,
दीपक जला ले आस का,
तम दूर करने के लिये !

हार कर यूँ बैठना
तेरी तो यह आदत नहीं,
भूल अपना पंथ
पीछे लौटना फितरत नही,
हौसला अपना जुटा ले
लक्ष्य बिलकुल पास है,
जीतना ही है तुझे
संकल्प तेरे साथ है !

ले ले दुआ उनकी
भरोसा है जिन्हें तदबीर पर,
तू थाम उनका हाथ
कातर हैं जो तेरी पीर पर,
जो जीतना ही है जगत को
हौसला चुकने ना दे,
होगी सुहानी भोर भी
तू रात को रुकने ना दे !


साधना वैद


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