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Friday, May 24, 2019

चुनावी रेस




सिंहासन तक पहुँचने के लिए
आरम्भ होने ही वाली है रेस !
मैदान में प्रतियोगिता के लिए
हो चुके हैं सारे प्रबंध और
रास्तों पर बिछा दिए गए हैं
कुशल कारीगरों के हाथों बने हुए
बड़े ही खूबसूरत और कीमती खेस !
लक्ष्य तक पहुँचने के लिए  
सारे प्रत्याशी हैं बेकरार
और अपने अपने गलीचों पर खड़े
बेसब्री से कर रहे हैं
रेस के शुरू होने का इंतज़ार !
जिन प्रत्याशियों के चलने के लिए
बिछाए गये हैं ये
एक से बढ़ कर एक
नायाब और शानदार गलीचे
उन प्रत्याशियों की
किस्मत के पहिये बड़ी कारीगरी से
छिपे हैं इन्हीं गलीचों के नीचे !
उन पहियों की डोर है
देश की जनता के हाथ में और
प्रत्याशियों का भाग्य भी
जुड़ा हुआ है उस डोर के साथ में !
सब मंत्रमुग्ध से गलीचों की
सुन्दरता को नैनों से पी रहे हैं
और स्वयं सिंहासनारूढ़ हो  
अपने ही राज्याभिषेक के
स्वप्न को जैसे कल्पना में जी रहे हैं !
रेस आरम्भ हो चुकी है
प्रतिभागी जी जान से ऊपर नीचे
आगे पीछे ताबड़तोड़ दौड़ रहे हैं
लेकिन यह क्या हुआ
लक्ष्य तक तो कुछ ही पहुँच पाए
बाकी धरा पर औंधे मुँह पड़े
गहरी-गहरी साँसें छोड़ रहे हैं !
कुछ ही खुश नसीब थे जो
सुर्ख कालीन पर पैर धरते
सिंहासन तक पहुँच पाए
बाकी के पैरों के नीचे से
जनता ने कालीन खींच लिए
और अब उनकी व्यथा कथा
भई हमसे तो वरनी न जाए  !



साधना वैद

18 comments :

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (25 -05-2019) को "वक्त" (चर्चा अंक- 3346) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  2. कुछ ही खुश नसीब थे जो
    सुर्ख कालीन पर पैर धरते
    सिंहासन तक पहुँच पाए
    बाकी के पैरों के नीचे से
    जनता ने कालीन खींच लिए... वाह!! बेहतरीन प्रस्तुति साधना जी

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  3. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी !सस्नेह वन्दे !

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  4. हार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी ! आभार आपका!

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  5. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार हर्षवर्धन जी! सस्नेह वन्दे !

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  6. बहुत उम्दा रचना के लिए बधाई |

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  7. This comment has been removed by the author.

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  8. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 27 मई 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  9. लाजवाब सृजन साधना जी !!

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  10. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !

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  11. सामयिक प्रस्तुति

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  12. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !

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  13. सिंहासन तक पहुँच पाए
    बाकी के पैरों के नीचे से
    जनता ने कालीन खींच लिए....बेहतरीन प्रस्तुति

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  14. बहुत खूब सादर नमस्कार दी

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  15. हार्दिक धन्यवाद संजय ! आभार आपका !

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  16. हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! आभार आपका !

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  17. जनता ने कालीन खींच लिए
    और अब उनकी व्यथा कथा
    भई हमसे तो वरनी न जाए !
    बहुत खूब अंदाजे बयाँ आदरणीय साधना जी | वो गलीचे खींच कर जनता ने वो मार मारी कि इस अप्रत्याशित चोट से पुरे पांच साल बेहाल रहेंगे नेता जी | और आगे की व्यथा कथा भी लिख ही डालिए | बड़ा सुकून मिलेगा | सादर आभार कुछ अलग सी रहना के लिए |

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  18. हार्दिक धन्यवाद रेणु जी ! आपको रचना अच्छी लगी मन मगन हुआ ! आभार आपका !

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