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Wednesday, February 10, 2021

मैं जान जाती हूँ

 


जब सुबह की समीर पहले की तरह
ना तेरे गीत गुनगुनाती है
ना ही तेरी खुशबू लेकर आती है
मैं जान जाती हूँ
आज अभी तक तेरी सुबह नहीं हुई है !
जब दिन की फिजां पहले की तरह
चुस्त दुरुस्त नज़र नहीं आती
ना ही सूरज से हमेशा की तरह
वह अविरल ताप झरता है
मैं जान जाती हूँ
आज ज़रूर तेरी तबीयत नासाज़ है !
जब खुशनुमां शामों की तमाम
मीठी सी सरगोशियों के बाद भी
ना किसी बात से मन बहलता है
ना ही कोई मधुर गीत दिल को छूता है
मैं जान जाती हूँ
आज तू बहुत उदास है !
जब रात अपनी सारी गहनता के साथ
नीचे उतर आती है,
जब चाँद सितारे आसमान में
एकदम मौन स्तब्ध अपने स्थान पर
रत्न की तरह जड़े से दिखाई देते हैं,
जब पास से आती पत्तों की
धीमी सी सरसराहट भी
अनायास ही बेचैन कर जाती है
मैं जान जाती हूँ
नींद तेरी आँखों से कोसों दूर है !
बस इतनी सी ख्वाहिश है
जैसे तेरे बारे में इतनी दूर रह कर भी
मैं सब कुछ जान जाती हूँ
काश तुझे भी खबर होती
डाल से टूटने के बाद 
ज़मीन पर गिरे फूल पर
क्या गुज़रती है !
 


साधना वैद 

16 comments :

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.02.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
    धन्यवाद

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    1. हार्दिक धन्यवाद दिलबाग जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सादर वन्दे !

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  2. बहुत सुंदर रचना। सादर।

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    1. हार्दिक धन्यवाद मीना जी ! हृदय तल से आभार आपका !

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  3. काश तुझे भी खबर होती
    डाल से टूटने के बाद
    ज़मीन पर गिरे फूल पर
    क्या गुज़रती है !
    एक तरफ़ा सघन अनुभूतियों को सरलता से उकेरती भावपूर्ण रचना साधना जी | हार्दिक शुभकामनाएं|

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    1. हृदय से बहुत बहुत आभार आपका रेणु जी ! आपको रचना अच्छी लगी मेरा श्रम सार्थक हुआ !

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2036...कुछ देर जागकर हम आज भी सो रहे हैं...) पर गुरुवार 11 फ़रवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!



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  5. bas yahi ek kamjori hai hamari...
    kuchh bhi nayab dekhate hi Alfaz gunge ho jate hai...
    excellent work!

    https://www.thebest-books.info/2021/02/wings-of-fire-book-review.html

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका ! दिल से आभार !

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  6. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद उषा जी ! स्वागत है ! अपने ब्लॉग पर आज आपको देख कर बहुत ही हर्षित हूँ ! आया करिये इसी तरह ! मन उल्लसित हो जाता है !

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  7. Replies
    1. हृदय से आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

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  8. बहुत सुन्दर

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  9. उम्दा और सुन्दर रचना |

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    1. वाह ! क्या बात है ! आपकी प्रतिक्रिया सुखद एहसास से भर जाती है ! हार्दिक धन्यवाद जीजी !

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