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Friday, October 14, 2022

मेघों की माया

 



बीता चौमासा

भूले क्या इंद्र देव ?

रुकी न वर्षा

 

शरद पूनो

ढूँढती रही कोना

भोग के लिए

 

मेघों की माया

सुदीर्घ किरणों से

उठा न पाया

 

अछूती रही

मेवा मिश्रित खीर

चख न पाया

 

चाँदनी संग

चाँद हुआ उदास

भूखा ही रहा

 

क्रुद्ध है चाँद

यही होगा कल भी

नहीं दिखेगा 

 

बदला लेगा

पर्व करवा चौथ

नहीं उगेगा

 

क्या होगा फिर

कैसे होगी संपन्न

पूजा हमारी

 

न दिखा चाँद

कैसे व्रत खुलेगा

औ’ देंगे अर्ध्य

 

युक्ति बताओ

रूठा बैठा है चंदा

चिंता है भारी

 

कैसे मनाएं

क्या युक्ति अपनाएं

मन जाए वो

 

खुश हो जाए

और समय पर

नभ में आये !

 

 

 

साधना वैद


5 comments :

  1. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलरविवार (16-10-22} को "नभ है मेघाछन्न" (चर्चा अंक-4583) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !

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  3. हार्दिक धन्यवाद मर्मज्ञ जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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