तुम्हारा आना
नयनों का लजाना
बातों का बिसराना
पुराने दिन
कॉलेज का ज़माना
तेरा खिलखिलाना
याद आ गयीं
वो बिसरी सी बातें
मीठी सी मुलाकातें
मुस्काते पल
हँसते हुए दिन
खिलखिलाती रातें
कैसे भूलेंगे
टेनिस का रैकेट
कैरम की गोटियाँ
वो शरारतें
वो खिलन्दड़ापन
छोटी लम्बी चोटियाँ
आओ फिर से
महफ़िल सजाएं
हँस लें मुस्कुराएँ
न जाने फिर
ऐसे सुन्दर दिन
कभी आयें न आयें
आ जाओ साथी
खुशियाँ फिर जी लें
सुख मदिरा पी लें
चूक न जाएँ
दो दिन का जीवन
हँस हँस के जी लें !
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आलोक जी बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुंदर यादें।
ReplyDeleteबड़े दिनों के बाद आगमन हुआ दराल साहेब ! दिल से धन्यवाद एवं आभार !
Delete