Sudhinama
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Monday, March 30, 2015
जी लेती हूँ
छू लेती हूँ जब मखमल सी यादें
जैसे एक उम्र को जी लेती हूँ
बूँद भर इस प्रेम रस की चाहत में
सागर भर ज़हर भी पी लेती हूँ !
साधना वैद
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