हिरनी जैसे नैन हैं, चंदा जैसा रूप
कुंतल सावन की घटा, स्मित खिलती धूप !
आँखों का उपकार है, कह डाली हर बात
अधर सकुच कर रह गये, करने को संवाद !
कैसे समझायें उन्हें. अंतर के जज़्बात
तस्वीरों से क्या कभी, हो सकती है बात !
मरहम रख दें ज़ख्म पर, अंतर्मन को खोल
हर पल छिन सुरभित करें, मधुर वचन अनमोल !
दग्ध हृदय शीतल करें, अमृत से मृदु बोल
कानों में रस घोलते, मिसरी जैसे बोल !
विषमय करता प्रेम को, मन में शक का वास
स्नेहिल रिश्ते टूटते, जब टूटे विश्वास !
पूँजी है विश्वास की, इस जग में अनमोल
इसके रक्षण हित सदा, तोल मोल के बोल !
शिथिल हुए बंधन सुदृढ़, ऐसी छल की मार
प्यार भरोसा बह गये, गहरी शक की धार !
गहन अंध के कूप में. मैं थी खड़ी निराश
सूरज बन आशा उगी, किया तिमिर का नाश !
समय चितेरे ने भरे, जीवन में दो रंग
आशा संग निराश ज्यों, फूल शूल के संग !
आस निराशा जान लो, सिक्के के दो रूप
ज्यों काँटों संग फूल हैं, अरू छाया संग धूप !
साधना वैद
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