Sudhinama
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Thursday, February 23, 2017
शिकवा
धरम मेरा था लगाए थे फूल गुलशन में
करम तेरा है कि काँटों से भर गया दामन
चला किये तमाम उम्र जलते सहरा में
न जाने कौन सी नगरी बरस गया सावन !
साधना वैद
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