बोलो साजन
क्या ले आये हो
तुम मेरे श्रृंगार
के लिए ?
किन प्रसाधनों से
और किन आभूषणों से
सजाना चाहते हो मुझे
?
मेरी माँ ने विवाह मंडप
में
जब मेरा हाथ
तुम्हारे हाथ में
दिया था
तब बहुत सारे
बहुमूल्य प्रसाधनों से
और अनेकों अनमोल
आभूषणों से
मुझे अच्छी तरह सजा दिया
था !
मेरे मुख पर बड़ी
सावधानी से
सौम्यता और कोमलता
का
सुरभित पाउडर मला था,
नयनों में हया और लज्जा
का
सुरमई सुरमा डाला
था,
मेरे उज्जवल ललाट को
सुख सौभाग्य के
आशीर्वचनों की सुर्ख
श्वेत बिंदियों से
सुघड़ता से सजाया था,
मेरे कोमल अधरों पर
शहद सी मिठास की मनोरम
लाली मल दी थी,
मेरे गले में ममता
और वात्सल्य की
बाहों के सुकोमल हार
पहना दिए थे
मेरी हथेलियों पर उन्होंने
संस्कारों की बेहद
रचनी मेंहदी के
अनूठे बूटे काढ़ दिए
थे,
मेरी कलाइयों में
कर्तव्य और निष्ठा के
बहुमूल्य कंगन पहना दिए
थे
और पैरों में
मर्यादा और अनुशासन की
सोने चाँदी की घुँघरू वाली पाजेब पहना
दी थीं !
फिर मुझे संवेदना और समर्पण
की
कीमती गोटेदार
चूनर उढ़ा दी थी !
इनके अलावा जाने
कितनी
शिक्षाप्रद बातों के
बेशकीमती नग जड़ी
अँगूठियाँ, बाजूबंद,
माँग टीका
कर्ण फूल, झुमके,
हथफूल
उन्होंने मुझे पहना
दिये थे कि
अब उन्हें गिन कर
बताना
नितांत असंभव हो
चुका है मेरे लिए !
बोलो प्रियतम
क्या और कुछ बाकी रह गया
है
मेरे श्रृंगार में
जो तुम
मेरे लिये ले आये हो !
मेरा सबसे अनमोल
गहना तो तुम हो
तुम्हीं मेरी
श्रृंगार हो
और तुम्हीं मेरेे अभीष्ट भी
तुम्हें पाकर मैं
सम्पूर्ण हो चुकी हूँ
अब मुझे अन्य किसी
श्रृंगार की
आवश्यकता नहीं !
साधना वैद
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