रिक्शे
में बैठें
साइकिल
निकालें
सवारी
करें
पैदल चलें
शुद्ध रखें हवा को
वर्जिश करें
दोस्ती निभाएं
प्रदूषण घटायें
साथ में जायें
छोड़ें
कारों को
सस्ती
ई-गाड़ियों का
लाभ
उठायें
दूरियाँ बढ़ीं
तो वाहन भी बढ़े
धुआँ भी बढ़ा
घुला
ज़हर
घुटने
लगी साँस
पारा
भी चढ़ा
कारें ही कारें
दिखतीं सड़क पे
हवा में धुआँ
जीना
दुश्वार
एक ओर
है खाई
तो
दूजा कुआँ
थोड़ी सी दूरी
पैदल तय करें
धुएँ से बचें
खुद को मानें
प्रदूषण का दोषी
भ्रम से बचें
चंदा सूरज
धुएँ की चादर में
धुँधले दिखें
मानवी भूलें
गंभीर
खतरों की
कहानी
लिखें
हरियाली बढ़ायें
प्राण बचायें
पंथी
को छाया
पंछी
के नीड़ हित
युक्ति
लगाएं
बीमार हुए
धूम्रलती के संग
घर के लोग
अकारण ही
बिना किसी दोष के
लगाया रोग
साँस के साथ
ग्रहण करें धुआँ
होवें बीमार
हुआ अनर्थ
आपके व्यसन से
बच्चा बीमार
आपकी लत
आपके
अपनों को
करे
लाचार
अब तो
चेतें
सुधार
लें खुद को
बनें
उदार
बीड़ी सिगरेट का
छोड़ें व्यसन
संकल्प
करें
बनाना
ही है स्वच्छ
पर्यावरण
साधना
वैद
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है आपने 🌻
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद शिवम् जी ! हृदय से आभार आपका 1
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (13-06-2021 ) को 'मिट्टी की भीनी खुशबू आई' (चर्चा अंक 4094) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे 1
Deleteबहुत सुन्दर हाइकु पर्यावरण पर |आनंद दिलाया |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जीजी ! दिल से आभार आपका !
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद दीपक जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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