सुबह हुई
राजू केला ले आया
मन हर्षाया
धरा मेज़ पे केला
बंदर आया
झपट के उसने
केला उठाया
देख लिया राजू ने
माथा भन्नाया
सुर्ख हुआ चेहरा
भागा अंदर
गुलेल उठा लाया
घूर के देखा
नीचे झुक उसने
ढेला उठाया
डर गया बंदर
चढ़ा पेड़ पे
ऊँची हुई गुलेल
भागा बंदर
नीचे गिराया केला
राजू मुस्काया
राजू को मिला केला
खतम हुआ खेला ।
साधना वैद
अच्छी रचना है दीदी !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनुपमा जी !
Deleteसुंदर सृजन
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुन्दर गुदगुदी बाल रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद कविता जी ! हृदय से आभार आपका !
Deleteसुंदर बाल कविता
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद आपका मीना जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteआदरणीया मैम, बहुत ही प्यारी सी बाल कविता पढ़ कर आनंद आया। सादर प्रणाम।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनंता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteभुत प्यारी रचना
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