9 मई – गुवाहाटी से
चेरापूँजी तक का सफ़र
आहार रेस्टोरेंट से बाहर
निकलने के बाद सही अर्थों में घूमने के कार्यक्रम का शुभारम्भ अब होने जा रहा था !
सबने बस में अपना अपना स्थान ग्रहण कर लिया ! बस के स्टार्ट होते ही संतोष जी के
कहने पर सबसे पहले समवेत स्वरों में सबने गायत्री मन्त्र का पाठ किया फिर अंजना जी
ने बड़ी तन्मयता से गणेश जी की स्तुति की और इसके साथ ही शुद्ध मन एवं पवित्र भावना
के साथ हमारी यात्रा का शुभारम्भ हुआ ! आधुनिकता और मौज मस्ती के साथ साथ आस्था और
आध्यात्मिकता की इस बानगी ने मन को मुग्ध कर दिया ! मैंने देखा प्रतिदिन घूमने
जाने के लिए जैसे ही हम लोग बस में सवार होते थे सबसे पहले गायत्री मन्त्र एवं
गणेश वन्दना का पाठ अवश्य ही होता था ! हम सब अनजान प्रदेश में किसी भी प्रकार की
विघ्न बाधाओं से सुरक्षित रहें और हमारा यह अभियान सकुशल संपन्न हो सर्वजन हिताय
की यही भावना इस पार्थना के पीछे होती थी यही सोच कर सच्चे मन से हम सभी के हाथ
स्वत: ही जुड़ जाया करते थे !
गुवाहाटी से शिलौंग और फिर
शिलौंग से चेरापूँजी तक का फासला लगभग १५० किलो मीटर्स का है ! कहीं रुके बिना
सीधे ही जाना हो तो कम समय लगता है लेकिन हमें तो रास्ते के सुन्दर पर्यटन स्थलों
को भी देखना था इसलिए चेरापूँजी कब पहुँचेंगे इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं था !
खूब गाते गुनगुनाते, अन्ताक्षरी खेलते हुए हम
लोगों का काफिला सफ़र पर चल पड़ा ! रास्ते में इतने बढ़िया ताज़े रसीले फल मिल रहे थे
कि सबका मन उन फलों का रसास्वादन करने के लिए अधीर हो रहा था ! बीच में दो तीन
जगहों पर रुक कर अंजना जी, यामिनी और रचना जी ढेर सारे बढ़िया बढ़िया प्लम, केले और आलूचे खरीद कर ले आईं जो सबने बड़े शौक से खाए !
बीच बीच में सबके अपने निजी बैग्स से भी स्वादिष्ट नमकीन और नाना प्रकार की खाद्य
सामग्रियाँ निकलती रहीं जिनसे मुख का ज़ायका बदला जाता रहा ! गर्मी भी खूब थी तो
पानी भी खूब पिया जा रहा था !
इस सफ़र का पहला पड़ाव था
उमियम झील ! उमियम झील मेघालय राज्य की राजधानी शिलौंग से उत्तर दिशा में लगभग १५ किलोमीटर दूर पहाड़ों में स्थित एक विशाल जलाशय
है ! इसे आमतौर पर बारापानी झील भी कहा जाता है ! इसका निर्माण १९६० के दशक के आरम्भ में
उमियम नदी को बाँधकर किया गया था ! झील और बाँध २२० वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला
है ! यह एक मानव निर्मित झील है जो अमेरिकी समोआ सैन मैरिनो या बरमूडा की झील से
भी बड़ी है ! उमियम का शाब्दिक अनुवाद है ‘उम’ अर्थात बड़ा या अधिक और ‘यम’ अर्थात
जल,
यानि बड़ा या अधिक जल ! एक मान्यता के अनुसार इसका शाब्दिक
अनुवाद ‘आँसू का पानी’ है ! इस झील से जुडी एक किवदंती भी मशहूर है कि पुरातन युग
में दो बहने स्वर्ग से उतर कर यहाँ आई थीं, यात्रा के
दौरान एक बहन खो गई और दूसरी बहन इतनी दुखी हो गई कि अपनी बहन को खोजते खोजते जब
वह मेघालय पहुँची तब भी उसके आँसू बहने बंद नहीं हुए ! माना जाता है कि उसके आँसुओं
से ही इस झील का निर्माण हुआ ! बहुत सुन्दर स्थान है ! झील के किनारे बड़े सुन्दर
व्यू पॉइंट्स भी बने हुए हैं ! सबने खूब जम कर यहाँ फोटोग्राफ़ी की ! झील के स्पॉट
पर हों और पानी का स्पर्श न मिले तो क्या मज़ा ! लेकिन पानी को छूने के लिए काफी
दूर नीचे उतर कर जाना था ! अंजना जी, यामिनी और
रचना नीचे उतर गयी थीं ! मैं और विद्या जी भी बोलते बतियाते धीरे धीरे नीचे उतर गए
और झील के शीतल जल से हाथ पैर धोकर ही ऊपर लौटे ! एडवेंचर वाली फीलिंग आ रही थी !
उमियम झील का भरपूर आनंद लेकर हमारा काफिला फिर आगे की ओर बढ़ चला !
हमारा अगला पडाव था एलीफैंट
फाल्स ! एलिफेंट फॉल्स उत्तर-पूर्व
में सबसे लोकप्रिय फॉल्स में माने जाते हैं, जिन्हें स्थानीय खासी लोगों के द्वारा ‘क्षैद लाई पातेंग खोसिएव’ के नाम से पुकारा जाता
है ! बाद में, अंग्रेजों
ने इसका नाम एलीफेंट फॉल्स रखा क्योंकि स्थानीय नाम का उच्चारण करना उन्हें कठिन
लगा ! इस झरने का शाब्दिक अर्थ है तीन चरणों वाला झरना !
यह जलप्रपात एक पहाड़ी जलधारा का परिणाम है जो जंगल की ढलान के अनुसार बहते हुए कई
स्तरों पर गिरती है ! रेलिंग वॉकवे
फॉल्स के शीर्ष पर शुरू होते हैं और नीचे तक जारी रहते हैं ! नीचे झरने तक जाते
हुए हम न केवल फॉल्स की भव्यता को करीब से देखते हैं बल्कि ठंडे पानी के स्प्रे और
प्रवाह की गड़गड़ाहट को भी महसूस करते हैं ! झरने के तल पर स्थित पूल एक शांत स्थान है जहाँ घुटने तक गहराई में साफ पानी में जा सकते हैं और पृष्ठभूमि में
विशाल झरने के साथ एक शानदार तस्वीर खिंचवा सकते हैं !
एलिफेंट फाल्स का नाम आज के
सन्दर्भ में भ्रामक लगता है लेकिन इस नाम के पीछे भी एक रोचक तथ्य है ! पहले इस
झरने के पास हाथी के आकार की एक विशाल चट्टान हुआ करती थी जिसके आधार पर अंग्रेजों
ने इसका नाम एलीफैंट फाल्स रखा था, 1897 में एक तीव्र
भूकंप में यह चट्टान नष्ट हो गई लेकिन झरना इसी नाम से जाना जाता रहा ! एलिफेंट फॉल्स के प्रवेश द्वार पर चाय, स्नैक्स और स्मृति
चिन्ह बेचने वाले स्टाल्स का एक छोटा सा खूबसूरत बाज़ार है ! यहाँ पर्यटकों के
मनोरंजन एवं आकर्षण के लिए मात्र ५० रुपये अदा करके स्थानीय फैंसी ड्रेस पहन कर
अपनी फोटो खिंचवाने के लिए एक छोटा सा स्टूडियो भी है ! झरने की सैर के बाद ग्रुप
की सभी महिलाओं ने फैसी ड्रेस में अपनी खूब तस्वीरें खिंचवाईं ! बड़ा आनंद आया ! यह
स्थान सच में बड़ा ही सुन्दर था ! ऊपर आकर सबने बेहद जायकेदार चाय का आनंद लिया !
ख़ास किस्म की अंगीठियों में बिलकुल साफ़ चमचमाती हुई केतली में चाय बना कर दूकान
में बैठी युवा लड़की सबको बड़ी अदा से मुस्कुरा कर चाय पेश कर रही थी ! यहाँ के
लोगों की मेहमाननवाज़ी देख कर दिल खुश हो गया !
बहुत शाम हो चुकी थी ! पिछली
रात का जागरण, और दिन भर बस का सफ़र सबको खूब थका चुका था ! अब जल्दी से चेरापूँजी
पहुँच कर बिस्तर में घुस कर सोने का मन हो रहा था ! रास्ते के दोनों ओर की वादियाँ
घने ऊदे बादलों से पूरी तरह भर चुकी थीं ! शाम होते ही जैसे हम सब अपने अपने घरों
को लौटने के लिए बेताब हो जाते हैं चाहे ऑफिस में काम करने वाले लोग हों, पार्क
में खेलने वाले बच्चे हों या सैर सपाटे के लिए घर से निकले युवा हों ठीक वैसे ही
छोटे बड़े बादलों के समूह के समूह इन वादियों में एकत्रित होते जा रहे थे और बादलों
के सिवा वहाँ कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था ! इस दृश्य को देख कर इस बात का बड़ी
शिद्दत से अहसास हुआ कि इस प्रदेश का नाम ‘मेघालय’ क्यों पड़ा है !
अँधेरा होते होते हम चेरापूँजी अपने रिजोर्ट ‘स्मोकी फाल्स वैली’ में पहुँच गए थे !
इतना खूबसूरत रिज़ोर्ट है कि हम तो देखते ही रह गए ! इस हिस्से को स्कॉटलैंड ऑफ़
नॉर्थ ईस्ट ऐसे ही नहीं कहा जाता ! यह वास्तव में बेहद सुन्दर है ! कमरों का
आर्किटेक्चर इतना लाजवाब और कलर स्कीम इतनी लुभावनी कि लग रहा था यूरोप के किसी
शानदार पिकनिक स्पॉट पर खड़े हुए हैं ! उस दिन भी रिज़ोर्ट में पहुँचते पहुँचते बहुत
थक गए थे ! आज भी यह पोस्ट लिखते लिखते बहुत थक गयी हूँ ! कल सुबह नयी ऊर्जा के
साथ नए दिन का आरम्भ होगा और आपको ले चलूँगी मैं अपने साथ कुछ और बेहद खूबसूरत
स्थानों पर ! तो कल तक के लिए विदा दीजिये ! शुभ रात्रि !
साधना वैद
r सुन्दर चित्रण यात्रा का
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार !
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