ओ माँ मेरी
मुझको तुम खुद सा सम्पूर्ण बना दो
मार सकूँ असुरों को मैं सब अस्त्र शस्त्र पहना दो !
एक हाथ में महादेव से मिला त्रिशूल थमा दो
रजस, तमस और सत्व
गुणों की महिमा भी समझा दो !
जो तलवार मिली गणपति से वह भी मुझे दिला दो
ज्ञान और बुद्धि की पैनी धार लगा चमका दो !
अग्नि देव से मिला तुम्हें जो भाला वह भी ला दो
ओ माँ शक्ति का प्रतीक यह अस्त्र मुझे दिलवा दो !
वज्र मिला जो इंद्र देव से वह भी मुझको दे दो
आत्म निरीक्षण कर लूँ अपना इतना मुझको बल दो !
हर बुराई से लड़ने का मुझमें विश्वास जगा दो
मिले विश्वकर्मा से तुमको कवच कुल्हाड़ी ला दो !
माँ कृष्णा ने दिया तुम्हें जो चक्र सुदर्शन पहनूँ
रहूँ केंद्र में मैं इस जग के सबको निर्भय कर दूँ !
धनुष बाण जो पवन देव और सूर्य देव से पाए
उनकी दिव्य अलौकिक ऊर्जा देख असुर घबराए !
गदा, शंख और खंजर
से माँ शौर्य शक्ति वरना है,
सत्य धर्म के स्थापन का शंखनाद करना है !
दसों भुजाओं में माँ मुझको दिव्य अस्त्र पहना दो,
प्राण प्रतिष्ठा कर मुझको भी खुद सा वीर बना दो !
इन अस्त्रों से मैं हर नारी को सबला कर दूँगी,
उसके मन से भय और भ्रम का सारा तम हर लूँगी !
इस धरती को मुझे स्वर्ग सा पावन जो करना है,
इस जग के हर प्राणी की भव बाधा को हरना है !
जग जननी, कल्याणकारिणी,
सकल सुखों की दाता,
करूँ वंदना तव चरणों में सिद्धि प्रदायिनी माता !
करूँ वंदना तव चरणों में सिद्धि प्रदायिनी माता !
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