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Saturday, March 6, 2010

घूरे से मैं लकड़ी लाई ( बाल कथा ) - 7

एक बिल्ली थी ! एक दिन वह घूमते घूमते सड़क पर जा रही थी ! वहाँ कूड़े के ढेर पर उसे एक सूखी लकड़ी मिली ! लकड़ी को उठा कर उसने अपने कन्धे पर रख लिया और आगे चल दी ! आगे मिली उसको एक बुढ़िया ! बुढिया अपनी रोटी सेकने की तैयारी कर रही थी ! उसने आटा तो माड़ लिया था लेकिन चूल्हा जलाने के लिये उसके पास लकड़ी नहीं थी ! इस वजह से वह परेशान खड़ी थी !
बिल्ली ने उससे पूछा ,” बूढ़ी अम्मा तुम क्यों परेशान हो ! "
बुढ़िया बोली ,” मेरे पास चूल्हा जलाने के लिये लकड़ी नहीं है !"
बिल्ली बोली ,” तो क्या हुआ तुम मेरी लकड़ी लेलो ! “
बुढ़िया ने बिल्ली से लकड़ी ले ली और चूल्हा जला कर रोटियाँ सेकने लगी ! बिल्ली वहीं उसके पास बैठ गयी ! जब सारी रोटियाँ सिक गयीं तो बिल्ली बुढ़िया के सामने कूदने लगी !
बुढिया ने उससे पूछा , " तुम कूद क्यों रही हो ? “
बिल्ली बोली ,
”घूरे से मैं लकड़ी लाई
लकड़ी मैंने तुमको दी
तुम मुझे रोटी दे दो ! “
बुढिया ने उसे एक रोटी दे दी ! बिल्ली रोटी लेकर आगे चल दी ! आगे बिल्ली ने देखा कि एक कुम्हार मिट्टी के बर्तन बना रहा था ! लेकिन पास में बैठा हुआ उसका बेटा रो रहा था !
बिल्ली ने उससे पूछा, “ तुम्हारा बच्चा क्यों रो रहा है ? “
कुम्हार ने बताया कि वह भूखा है और अभी घर से उसकी माँ खाना लेकर नहीं आयी है !
बिल्ली बोली, “ बस इतनी सी बात ! तब तक तुम उसको यह रोटी दे दो ! “
कुम्हार ने बिल्ली से रोटी लेकर बच्चे को दे दी ! बच्चा रोटी खाने लगा और बिल्ली वहीं उसके पास बैठ गयी ! जब बच्चा रोटी खा चुका तो वह कुम्हार के सामने कूदने लगी !
कुम्हार ने बिल्ली से पूछा ,” तुम कूद क्यों रही हो ? “ बिल्ली बोली,
”घूरे से मैं लकड़ी लाई
लकड़ी मैंने बुढिया को दी
बुढिया ने मुझको रोटी दी,
रोटी मैंने तुमको दी ,
तुम मुझे एक मटकी दे दो ! “
कुम्हार ने उसको एक मटकी दे दी ! सिर पर मटकी रख कर मटकते हुए बिल्ली आगे चल दी ! आगे मिला उसको एक ग्वाला जो अपनी गाय, बैल और बछड़ों को लेकर सड़क के किनारे परेशान खड़ा हुआ था ! बिल्ली ने उसकी परेशानी का कारण पूछा ! ग्वाला बोला, ” गायों का दूध दुहने का टाइम हो गया है और मेरे पास यहाँ कोई बर्तन नहीं है ! मेरी समझ में ही नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूँ ! “
बिल्ली बोली, “ बस इतनी सी बात ! तुम मेरी मटकी ले लो ! “
ग्वाले ने खुशी खुशी मटकी ले ली और गायों का दूध निकालने लगा ! बिल्ली वहीं बैठ गयी ! जब ग्वाले का काम खत्म हो गया तो बिल्ली उसके सामने भी कूदने लगी !
ग्वाला बोला, “ अरे तुम कूदने क्यों लगीं ? “ बिल्ली बोली,
”घूरे से मैं लकड़ी लाई
लकड़ी मैने बुढ़िया को दी
बुढिया ने मुझको रोटी दी
रोटी मैंने कुम्हार को दी
कुम्हार ने मुझको मटकी दी
मटकी मैने तुमको दी
तुम मुझे एक बैल दे दो ! “
ग्वाला सोच में पड़ गया लेकिन फिर उसने एक बैल की रस्सी बिल्ली को थमा दी ! बिल्ली बैल को लेकर एक गाँव में पहुँची ! गाँव में उसने देखा कि सब किसान अपने खेतों में बैल जोत कर हल चला रहे हैं ! लेकिन एक खेत का किसान और उसका परिवार आँखों में आँसू भरे उदास बैठा है ! बिल्ली ने उनसे इसका कारण पूछा ! किसान ने बताया कि बीमारी से उसका बैल मर गया है इसलिये वह अपना खेत नहीं जोत पा रहा है !
बिल्ली ने फौरन उसे अपना बैल दे दिया और बोली , “ यह बैल तुम ही रख लो ! यह तुम्हारे काम आयेगा ! “
किसान बहुत खुश हो गया ! और अपना खेत जोतने लगा ! बिल्ली उसके परिवार के साथ बैठ गयी ! किसान की बेटी ने उसे अपनी गोदी में ले लिया और किसान की बीबी ने उसे दूध पीने के लिये दिया ! बिल्ली कुछ दिन उन्हीं लोगों के साथ रही ! एक दिन बिल्ली किसान के सामने भी कूदने लगी !
किसान ने पूछा , “ क्या हुआ ? तुम कूद क्यों रही हो ? “ बिल्ली बोली,
”घूरे से मैं लकड़ी लाई
लकड़ी मैंने बुढ़िया को दी
बुढिया ने मुझको रोटी दी
रोटी मैंने कुम्हार को दी
कुम्हार ने मुझको मटकी दी
मटकी मैंने ग्वाले को दी
ग्वाले ने मुझको बैल दिया
बैल मैंने तुमको दिया
तुम मुझे अपनी बेटी दे दो ! “
यह सुन कर किसान चौंक पड़ा ! बोला ,” ऐसे कैसे हो सकता है ? “ लेकिन बिल्ली ने किसान और उसकी बीबी की खूब खुशामद की और उन्हें अपनी बेटी उसे देने के लिये मना ही लिया ! बेटी भी बिल्ली को गोदी में लेकर उसके साथ उसके घर की ओर चल दी ! अब रास्ते में उन लोगों को मिली एक बरात ! किसान की बेटी और बिल्ली सड़क के किनारे खड़े होकर बरात देखने लगे ! उन्होंने देखा कि सारे बैण्ड बाजे बिना बजते हुए खामोश जा रहे थे ! सब बरातियों के मुँह लटके हुए थे ! घोड़े पर दूल्हा मुँह झुकाये उदास बैठा था ! बिल्ली ने उनसे जानना चाहा कि आखिर माजरा क्या है ! तो उन्होंने बताया कि बरात लड़की वालों के दरवाज़े से शादी किये बिना वापिस लौट रही थी ! वरमाला से पहले ही बरातियों और घरातियों में झगड़ा हो गया और बरात को बैरंग वापिस लौटा दिया गया ! अब सब इसी फिक्र में डूबे हैं कि घर क्या मुँह लेकर जायेंगे !
बिल्ली को तुरंत एक ख्याल दिमाग में आया ! उसने गौर से दूल्हे को देखा ! दूल्हा उसे अच्छा लगा ! वह फौरन दूल्हे के पिता के पास पहुँची और बोली, “ मेरे साथ एक बहुत ही सुन्दर और अच्छी लड़की है ! अगर तुम चाहो तो उसके साथ अपने लड़के की शादी कर सकते हो ! “
दूल्हे के पिता को बात जँच गयी ! किसान की लड़की उसे भी पसंद आ गयी ! बैण्ड बाजे बजने लगे ! सड़क के किनारे ही शादी की सारी तैयारी हुई और धूमधाम के साथ शादी हो गयी ! बराती दूल्हा दुल्हन को साथ लेकर घर लौटने की तैयारी करने लगे ! तभी बिल्ली सबके सामने ज़ोर ज़ोर से कूदने लगी ! लोगों ने अचरज से भर कर बिल्ली से इसका कारण पूछा तो वह बोली ,
”घूरे से मैं लकड़ी लाई
लकड़ी मैंने बुढ़िया को दी
बुढ़िया ने मुझको रोटी दी
रोटी मैंने कुम्हार को दी
कुम्हार ने मुझको मटकी दी
मटकी मैंने ग्वाले को दी
ग्वाले ने मुझको बैल दिया
बैल मैंने किसान को दिया
किसान ने मुझको बेटी दी
बेटी मैंने तुमको दी
तुम मुझे अपनी ढोलक दे दो !”
बराती बोले ,” बस इतनी सी बात ! “ उन्होंने फौरन अपनी ढोलक बिल्ली को दे दी ! बिल्ली ने ढोलक अपने गले में लटका ली और ढप ढप बजाती हुई अपने घर की तरफ चल दी ! इस बार बिल्ली को उसकी मनपसंद चीज़ मिल ही गयी जिसे लेकर वह खुशी खुशी अपने घर चली गयी ! मेहनत और धैर्य से मनवांछित फल पाया जा सकता है !


साधना वैद

3 comments :

  1. बीनाशर्माMarch 6, 2010 at 10:48 AM

    यह कहानी भी मंचन के योग्य है और शिक्षाप्रद भी है |धन्यबाद

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  2. बहुत सुंदर ढंग से बिल्ली की बुद्धिमानी का वर्णन किया है |मुझे आशा है कहानी बच्चों की पहली पसंद बनेगी ,
    और सब पाठक तो मजा लेंगे ही |सुंदर कहानी के
    लिए बधाई |
    आशा

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  3. आप ऐसी कहानियाँ सुना रही हैं कि मेरा फिर से बच्चा बन जाने को मन कर रहा है .............. और माँ की याद अनायास ही आने लगी है ।

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