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Friday, December 31, 2010

यह साल भी आखिर बीत गया

साल का अंत हमें हमेशा पीछे मुड़ कर देखने के लिये मजबूर करता है और कम से कम मुझे तो उदास कर जाता है ! कल नया वर्ष आरम्भ होगा हम उत्साह और जोश से भर कर उसका स्वागत करेंगे ! लेकिन इस पर भी विचार करना ज़रूरी है कि बीते वर्ष का हमारा हासिल क्या रहा !

यह साल भी आखिर बीत गया ।

कुछ खून बहा, कुछ घर उजड़े,
कुछ कटरे जल कर राख हुए,
कुछ झीलों का पानी सूखा,
कुछ सुर बेसुर बर्बाद हुए ।
कुछ विरहा से कुछ तीली से
जल जीवन का संगीत गया ।

यह साल भी आखिर बीत गया ।

कुछ आँचल फट कर तार हुए,
कुछ दिल ग़म से बेज़ार हुए,
कुछ बहनों की उजड़ी माँगें,
कुछ बचपन से लाचार हुए ।
मौसम तो आये गये बहुत
दहशत का मौसम जीत गया ।

यह साल भी आखिर बीत गया ।

कुछ लोगों ने जीना चाहा
कुछ जानों का सौदा करके,
कुछ लोगों ने मरना चाहा
कुछ सिक्कों का सौदा करके ।
कुछ वहशत से कुछ नफरत से
खुशियों का हर पल रीत गया ।

यह साल भी आखिर बीत गया ।

सभी शहीदों को मेरा भावभीना नमन !

साधना वैद

11 comments :

  1. कविता के माध्यम से सुन्दर सीख दी है आपने!
    वनवर्ष आपको मंगलमय हो!

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  2. सच्चाई से लबरेज़.
    समझने योग्य गहरी बात.
    नए साल की हार्दिक शुभकामनायें

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  3. जो बीत गयी सो बात गयी ....अब नयी उम्मीदों से नव वर्ष का स्वागत करें ...

    अच्छी प्रस्तुति ..

    नव वर्ष की शुभकामनायें

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  4. hamesha beete hue kal par hi aaj ka nirmaan hota hai isliye beete kal ko nahi bhulaya ja sakta.

    sunder seekh deti aapki kavita bahut acchhi lagi.

    nav varsh ki hardik shubhkaamnayen.

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  5. बहुत भावपूर्ण रचना |बहुत बहुत बधाई |
    नव वर्ष शुभ और मंगलमय हो तुम्हें सपरिवार
    आशा

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  6. भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

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  7. बहुत सार्थक और भावपूर्ण अभिव्यक्ति. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  8. नए साल की ढेर सारी शुभकामनाएं...

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  9. बीते वर्ष से हमे बहुत सीख लेनी चाहिये, ओर आने वाले नये वर्ष की तेयारी उस के स्वागत के लिये करनी चाहिये, बहुत सुंदर कविता कही आप ने धन्यवाद

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  10. सच, बीते बरस क्या क्या ना हुआ....और शायद उसके अगले साल भी..
    मन भिगो गयी ये कविता.
    हमारा भी नमन उन शहीदों को.
    उम्मीद है अगल साल कुछ बढ़िया गुजरे.

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