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Tuesday, April 10, 2012

रहस्य


कभी-कभी

बहुत दूर से आती

संगीत की धीमी सी आवाज़

जाने कैसे एक

स्पष्ट, सुरीली, सम्मोहित करती सी

बांसुरी की मनमोहक, मधुर, मदिर

धुन में बदल जाती है !

कभी-कभी

आँखों के सामने

अनायास धुंध में से उभर कर

आकार लेता हुआ

एक नन्हा सा अस्पष्ट बिंदु

जाने कैसे अपने चारों ओर

अबूझे रहस्य का

अभेद्य आवरण लपेटे

एक अत्यंत सुन्दर, नयनाभिराम,

चित्ताकर्षक चित्र के रूप में

परिवर्तित हो जाता है !

कभी-कभी

साँझ के झीने तिमिर में

हवा के हल्के से झोंके से काँपती

दीप की थरथराती, लुप्तप्राय सुकुमार सी लौ

किन्हीं अदृश्य हथेलियों की ओट पा

सहसा ही अकम्पित, प्रखर, मुखर हो

जाने कैसे एक दिव्य, उज्जवल

आलोक को विस्तीर्ण

करने लगती है !

हा देव !

यह कैसी पहेली है !

यह कैसा रहस्य है !

मन में जिज्ञासा होती है ,

एक उथल-पुथल सी मची है ,

घने अन्धकार से अलौकिक

प्रकाश की ओर धकेलता

यह प्रत्यावर्तन कहीं

किसी दैविक

संयोग का संकेत तो नहीं ?



साधना वैद

21 comments :

  1. एक उथल-पुथल सी मची है , घने अन्धकार से अलौकिक प्रकाश की ओर धकेलता यह प्रत्यावर्तन कहीं किसी दैविक संयोग का संकेत तो नहीं ?

    बहुत सुन्दर रचना,बेहतरीन भाव पुर्ण प्रस्तुति,.....

    RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....

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  2. चित्त स्थिर होगा..मन में आनंद भरा होगा तो ऐसे ही अलौकिक अनुभव होंगे..

    बहुत ही ख़ूबसूरत कविता

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  3. बहुत सुन्दर और गहन प्रस्तुति...

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  4. मन को शीतलता प्रदान करती भावपूर्ण रचना... बहुत-बहुत आभार....

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  5. आध्यात्म अद्वैत वेद सूबेद .... काल , सब रहस्य हैं ........... एक नूर है , एक आवाज़ है , एक साथ है .... हम सब जानते हैं और आँखें श्रद्धा से बन्द हो जाती हैं

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  6. आध्यात्म अद्वैत वेद सूबेद .... काल , सब रहस्य हैं ........... एक नूर है , एक आवाज़ है , एक साथ है .... हम सब जानते हैं और आँखें श्रद्धा से बन्द हो जाती हैं

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  7. कितना निष्कपट ....कितना कोमल है आपका मन ....अनहद नाद सुन रहा है .....................मन की शून्यता में समां गाई आपकी कृति ...!!
    हार्दिक बधाई व शुभकामनायें ....!!

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  8. बहुत सुंदर......................

    अलौकिक!!!!

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  9. निश्छल भाव से प्रभवित करती बहुत सुन्दर रचना. आभार.

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  10. सुन्दर बिम्ब के साथ प्रस्तुति |बहुत खूब |
    आशा

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  11. सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति ||

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  12. अलौकिक दृश्य सा उत्पन्न करती सुंदर रचना ....

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  13. यह प्रत्यावर्तन कहीं
    किसी दैविक
    संयोग का संकेत तो नहीं ?
    अनुपम भाव लिए हुए उत्‍कृष्‍ट लेखन ।

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  14. ऐसे संकेत भी रहस्य ही होते हैं सच है..

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  15. हरेक संकेत कुछ अर्थ ज़रूर रखता है।
    http://hbfint.blogspot.com/2012/04/best-hindi-blogs.html

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  16. This comment has been removed by the author.

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  17. परम सत्ता के प्रति आपका जिज्ञासु मन रह - रह कर लौट आता है। सृष्टि के प्रत्येक कार्य-व्यापार में उसकी छवि देखने वाला आपका मन सचमुच बड़ा भावुक है। रचना सचमुच अच्छीहै। बधाई!

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  18. खूबसूरत अभिव्यक्ति ..भावों का शब्दों में बढ़िया रूपांतरण।

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