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Saturday, April 6, 2019

अब तो आ जाओ प्रियतम




जूड़े का हार बुलाये
कजरे की धार बुलाये   
बिंदिया सौ बार बुलाये
अब तो आ जाओ प्रियतम !

नैनों का प्यार बुलाये  
चितवन का वार बुलाये
सोलह सिंगार बुलाये
अब तो आ जाओ प्रियतम !

मन में ख़याल है तेरा
दिल बेकरार है मेरा
कब हो कदमों का फेरा
अब तो आ जाओ प्रियतम !

   पढ़ लो नैनों की भाषा   
ना बदली है परिभाषा
है दर्शन की अभिलाषा
अब तो आ जाओ प्रियतम !

हिलता विश्वास बुलाये,
नैनों की प्यास बुलाये
मन का मधुमास बुलाये
अब तो आ जाओ प्रियतम !


साधना वैद




22 comments :

  1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कुलदीप जी ! स्नेहिल वन्दे !

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  2. व्वाहहहह...
    वाह दीदी..
    आप रविवार को भी..
    और सोमवार को भी..
    श्रेष्ठ रचना..
    साधुवाद...
    सादर नमन...

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  3. वाहह्हह.. वाहह्हह... अति सराहनीय सृजन...बहुत सुंदर रचना👌👍

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  4. हार्दिक धन्यवाद दिग्विजय जी! बहुत बहुत आभार आपका!

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  5. हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी! रचना आपको अच्छी लगी मन मगन हुआ!

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  6. हृदय से आपका बहुत बहुत धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ८ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  8. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! स्नेहिल वन्दे !

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  9. बहुत ही सुन्दर...
    वाह!!!

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  10. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-04-2019) को "मतदान करो" (चर्चा अंक-3300) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    अन्तर्राष्ट्रीय मूख दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  11. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-04-2019) को "मतदान करो" (चर्चा अंक-3300) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  12. बहुत सुंदर ....

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  13. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

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  14. हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! आभार आपका !

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  15. बहुत ही भावपूर्ण रचना

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  16. हार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र जी!

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  17. पढ़ लो नैनों की भाषा
    ना बदली है परिभाषा
    है दर्शन की अभिलाषा
    अब तो आ जाओ प्रियतम !
    बहुत ही भावपूर्ण रचना आदरनीय साधना जी | गोरी कजरारे नयनों की भाषा खूब पढ़ ली आपने | स्स्स्नेह शुभकामनायें |

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  18. हार्दिक धन्यवाद रेणू जी ! आभार आपका !

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  19. भावपूर्ण रूमानी रचना .... बहुत सुंदर

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  20. हार्दिक धन्यवाद आपका वर्मा जी ! स्वागत है !

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  21. बहुत सुन्दर रचना |

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