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Friday, May 3, 2019

मेरी निष्ठा मेरी आराधना




किस तरह बालारुण की  
एक नन्ही सी रश्मि
सागर की अनगिनत लहरों में
प्रतिबिंबित हो उसके पकाश को
हज़ारों गुना विस्तीर्ण कर देती है !
जहाँ तक दृष्टि जाती है
ऐसा प्रतीत होता है मानो  
हर लहर पर हज़ारों सूर्य ही सूर्य
उदित होते जा रहे हैं
जिनका ताप और प्रकाश
हर पल बढ़ता ही जाता है !
जो कदाचित विश्व के कोने-कोने से
अंधकार के अस्तित्व को
मिटा कर ही दम लेने का
   संकल्प धार चुके हैं !  
सारे संसार को ज्योतिर्मय करने वाले
हे भुवन भास्कर  
तुम्हारे इस दिव्य प्रकाश के
असंख्यों वलयों के बीच
एक अभिलाषा लेकर मैं भी खड़ी हूँ
कि सम्पूर्ण रूप से आलोकित
बाह्य जगत के साथ-साथ
मेरे अंतर्मन का अन्धकार भी मिट जाये !
मेरा मन भी आलोकित हो जाये !
हे दिवाकर,
मेरे मन में दृढ़ता से आसन जमाये
इस विकट तिमिर का संहार
तुम कैसे करोगे ?
किस यंत्र से कौन सा छिद्र
तुम मेरे हृदय की ठोस दीवार में करोगे
कि तुम्हारी प्रखर रश्मियाँ
मेरे अंतर्मन के सागर की हर लहर पर
इसी तरह नर्तन कर
हज़ारों सूर्यों का निर्माण कर सकें
और मेरे हृदय में व्याप्त अन्धकार का
समूल नाश हो जाये !
हे दिनकर
संसार में एक अकेली मैं ही नहीं
जो इस अन्धकार में निमग्न है
मुझ जैसे करोड़ों हैं जो प्रति पल
अपने अंतर के अन्धकार से जूझ रहे हैं !
आज तुमसे मेरी यही आराधना है कि
तुम उन सबके मन में भी
ऐसी ज्योति जला दो कि
उनका पथ भी आलोकित होकर
प्रशस्त एवँ सुगम्य हो जाये 
और उन्हें अपना मार्ग 
तलाश करने के लिये
कभी ठोकर न खानी पड़े !
हे ज्योतिरादित्य
आज मेरी निष्ठा, मेरे समर्पण,
मेरी आस्था मेरे विश्वा्स के साथ 
तुम्हारी सामर्थ्य, तुम्हारा पराक्रम,
तुम्हारे अंतस की करुणा
और तुम्हारी दानवीरता 
सभी कसौटी पर कसे हुए हैं 
आज तो तुम्हें स्वयं को 
सिद्ध करना ही होगा मेरे देवाधिदेव !
आज मेरी निष्ठा भी
दाँव पर लगी हुई है !
तथास्तु !



साधना वैद 


17 comments :


  1. बहुत उम्दा कविता पर ज्यादा लम्बी हो गई |

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  2. हार्दिक धन्यवाद जीजी !

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  3. हार्दिक धन्यवाद अमित जी !

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  4. तुम उन सबके मन में भी
    ऐसी ज्योति जला दो कि
    उनका पथ भी आलोकित होकर
    प्रशस्त एवँ सुगम्य हो जाये
    प्रार्थना की पराकाष्ठा ,बहुत सुंदर रचना ,सादर नमस्कार

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  5. सुन्दर रचना

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  6. हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी !आभार आपका !

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  7. आपका हृदय से बहुत - बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे!

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  8. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी!

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  9. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ६ मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  10. मन के उदात्त भावों की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति की है। सादर।

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  11. वाह!!बेहतरीन अभिव्यक्ति!!

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  12. हार्दिक धन्यवाद मीना जी ! आभार आपका !

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  13. हृदय से धन्यवाद शुभा जी ! स्वागत है आपका !

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  14. बहुत सुंदर रचना 👌👌

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  15. उत्कृष्ट सृजन...
    वाह!!!

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  16. आपका हृदय से बहुत बहुत आभार सुधा जी !

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