
पैदल चलें
हवा को शुद्ध रखें
रिक्शे में बैठें 
दोस्ती निभाएं 
प्रदूषण घटायें 
साथ में जायें 
दूरियाँ बढ़ीं 
तो वाहन भी बढ़े
धुआँ भी बढ़ा 
कारें ही कारें 
दिखतीं सड़क पे 
हवा में धुआँ 
थोड़ी सी दूरी 
पैदल तय करें 
धुएँँ से बचें 
कोई और क्यों 
प्रदूषण का दोषी 
खुद को देखें 
चन्दा सूरज 
धुएँँ की चादर में 
धुँधले दिखें 
पेड़ लगायें 
प्रदूषण घटायें  
प्राण बचायें 
बीमार हुए 
धूम्रलती के संग 
घर वाले भी 
ग्रहण करें
आपका छोड़ा धुआँ 
होवें बीमार 
करे अस्वस्थ
आपके अपनों को 
आपकी लत 
छोड़ें व्यसन 
बीड़ी सिगरेट का 
चैन से जियें 
हुआ अनर्थ 
आपके व्यसन से 
बच्चा बीमार 
साधना वैद

 
 
सार्थक संदेश, प्रणाम
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार पथिक जी ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteप्रदूषण निदान की राह दिखता बेहतरीन सृजन , सादर नमस्कार
ReplyDeleteआपका हृदय से धन्यवाद कामिनी जी ! बहुत बहुत आभार आपका!
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (01 -06-2019) को "तम्बाकू दो छोड़" (चर्चा अंक- 3353) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
हार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! आपका बहुत बहुत आभार ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 31/05/2019 की बुलेटिन, " ३१ मई - विश्व तम्बाकू निषेध दिवस - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार शिवम् जी !
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
३ जून २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteसार्थक व सुंदर रचना।
ReplyDeleteसादर।
हार्दिक धन्यवाद पल्लवी जी ! स्वागत है आपका !
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