बादल तेरे आ जाने से
जाने क्यूँ मन भर आता है,
मुझको जैसे कोई अपना,
कुछ कहने को मिल जाता है !
पहरों कमरे की खिड़की से
तुझको ही देखा करती हूँ ,
तेरे रंग से तेरे दुःख का
अनुमान लगाया करती हूँ !
यूँ उमड़ घुमड़ तेरा छाना
तेरी पीड़ा दरशाता है ,
बादल तेरे आ जाने से
जाने क्यूँ मन भर आता है !
तेरे हर गर्जन के स्वर में
मेरी भी पीर झलकती है,
तेरे हर घर्षण के संग-संग
अंतर की धरा दरकती है !
तेरा ऐसे रिमझिम रोना
मेरी आँखें छलकाता है ,
बादल तेरे आ जाने से
जाने क्यूँ मन भर आता है !
कैसे रोकेगा प्रबल वेग
इस झंझा को बह जाने दे ,
मत रोक उसे भावुक होकर
अंतर हल्का हो जाने दे !
धरिणी माँ का आकुल आँचल
व्याकुल हो तुझे बुलाता है ,
बादल तेरे आ जाने से
जाने क्यूँ मन भर आता है !
हैं यहाँ सभी तेरे अपने
झरने, नदिया, धरती, सागर ,
तू कह ले इनसे दुःख अपना
रो ले जी भर नीचे आकर !
तेरा यूँ रह-रह कर रिसना
इन सबका बोझ बढ़ाता है
बादल तेरे आ जाने से
जाने क्यूँ मन भर आता है !
तेरे आँसू के ये मोती
जब खेतों में गिर जायेंगे ,
हर एक फसल की डाली में
सौ सौ दाने उग जायेंगे !
धरती माँ का सूखा आँचल
तेरे आँसू पी जाता है !
बादल तेरे आ जाने से
जाने क्यूँ मन भर आता है ,
मुझको जैसे कोई अपना
कुछ कहने को मिल जाता है !
साधना वैद
बहुत सुन्दर साधना जी 😊
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद उषा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteकला का बेजोड़ उदहारण ☺️
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद रोहितास जी ! हृदय से आभार आपका !
Deleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कुलदीप भाई ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteअनायास मेघदूतम याद आ गया,
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
हार्दिक धन्यवाद अनिल जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 27 जुलाई 2020 को साझा की गयी है.......http://halchalwith5links.blogspot.com/ पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआदरणीया मैम,
ReplyDeleteआपको रचना बहुत ही प्यारी है। इसे पढ़ कर कृष्ण विरह में गोपियों के प्रकृति से संवाद याद आ गया।
सुंदर रचना के लिए हृदय से आभार
आपकी इतनी सुदर टिप्पणी के लिए मेरा हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद ! दिल से आभार आपका ! स्वागत है आपका इस ब्लॉग पर !
Deleteआदरणीया मैम,
Deleteआज आपकी कविता पढ़ने का पुनः अवसर मिला। आज भी पढ़ कर उतना ही आनंद आया। आज तो पूरा गोपी गीत ही सजीव हो गया।
ऐसी सुंदर रचना के लिये हृदय से आभार।
मेरा एक अनुरोध है, कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आइये जहां मैं अपनी स्वरचित कविताएँ डालती हूँ।
आपके आशीष और प्रोत्साहन के लिये अनुग्रहित रहूँगी।
लिंक कॉपी नहीं कर पा रही पर यदि आप ममेरे नाम पर क्लिक करें तो आपको मेरे प्रोफ़ाइल तक ले जायेगा।
वहाँ मेरे ब्लॉग के नाम काव्यतरंगिनी पर क्लिक करियेगा, आप मेरे ब्लॉग तक पहुंच जाएंगी।
जी ज़रूर अनंता जी ! अभी आपके ब्लॉग पर आपकी बहुत सुन्दर रचना पढ़ कर आई हूँ ! आप बहत अच्छा लिखती हैं !
Deleteहार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी ! आपका बहुत बहुत आभार ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना सखी।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद सुजाता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteवाह
हार्दिक धन्यवाद ज्योति जी ! हृदय से आभार आपका !
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