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Wednesday, January 6, 2021

इम्तहान

 

अब बस भी कर
ऐ ज़िंदगी !
और कितने इम्तहान
देने होंगे मुझे ?
मेरे सब्र का बाँध
अब टूट चला है !
मुट्ठी में बँधे
सुख के चंद शीतल पल
न जाने कब फिसल कर
हथेलियों को रीता कर गए
पता ही नहीं चला !
बस एक नमी सी ही 
बाकी रह गयी है जो
इस बात का अहसास
करा जाती है कि भले ही
क्षणिक हो लेकिन कभी
कहीं कुछ ऐसा भी था
जीवन में जो मधुर था,
शीतल था, मनभावन था !
वरना अब तो चहुँ ओर
मेरे सुकुमार सपनों और
परवान चढ़ते अरमानों की
प्रचंड चिता की भीषण आग है,
अंगारे हैं, चिंगारियाँ हैं
और है एक
कभी खत्म न होने वाली
जलन, असह्य पीड़ा और
एक अकल्पनीय घुटन
जो हर ओर धुआँ भर जाने से  
मेरी साँसों को घोंट रही है
और जिससे निजात पाना
अब किसी भी हाल में
मुमकिन नहीं !

साधना वैद

15 comments :

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 08-01-2021) को "आम सा ये आदमी जो अड़ गया." (चर्चा अंक- 3940) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.

    "मीना भारद्वाज"

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 07 जनवरी 2021 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद दिव्या जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !

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  3. Replies
    1. उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद शास्त्री जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  4. बहुत बढ़िया

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    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  5. कहीं कुछ ऐसा भी था
    जीवन में जो मधुर था,
    शीतल था, मनभावन था !
    वरना अब तो चहुँ ओर
    मेरे सुकुमार सपनों और
    परवान चढ़ते अरमानों की
    प्रचंड चिता की भीषण आग है,
    अंगारे हैं, चिंगारियाँ हैं...

    हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति...🌹🙏🌹

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    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद शरद जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  6. दिल को छूती रचना,साधना दी।

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  7. Thanks for sharing, nice post! Post really provice useful information!

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  8. सच इम्तिहानों से भरी जिंदगी में इम्तिहान कभी खत्म नहीं होते

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  9. कहीं कुछ ऐसा भी था
    जीवन में जो मधुर था,
    शीतल था, मनभावन था !
    वरना अब तो चहुँ ओर
    मेरे सुकुमार सपनों और
    परवान चढ़ते अरमानों की
    प्रचंड चिता की भीषण आग है,
    अंगारे हैं, चिंगारियाँ हैं...
    सही कहा सुख तो क्षणिक हैं बस दुखों का इम्तिहान मात्र है जिंदगी
    लाजवाब सृजन।

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