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Wednesday, June 23, 2021

ये वादा रहा

 

 

यूँ तो मुझे सरप्राइज़ ज़रा भी अच्छे नहीं लगते

हर काम अच्छी तरह से सोच समझ कर

सुनियोजित सुविचारित रूप से

करना ही मुझे पसंद है

लेकिन मेरी प्यारी सखी

तुझसे मेरी यही इल्तिजा है कि

तू जब भी मेरे घर आये

मुझे कोई भी पूर्व सूचना दिए बिना

आचानक से ही आ जाना ! 

मैं यह अच्छी तरह से जानती हूँ कि

एक न एक दिन तू मेरे घर आयेगी ज़रूर !

मैं लाख मना करूँ, तुझे कितना भी रोकूँ,

तेरे मुँह पर दरवाज़ा बंद कर दूँ

तू कोई न कोई जुगत लगा कर

मेरे पास आ ही जायेगी !

आना ! ज़रूर आना !

मेरी प्यारी सखी,

बस मेरी इतनी सी बात मान लेना

कि तू जब भी आना चाहे मेरे पास

अचानक से ही आ धमकना !

मुझे पहले बता कर

अपनी प्रतीक्षा करवाने के लिए

मुझे मजबूर मत करना !

मुझे किसीका भी इंतज़ार करना

अच्छा नहीं लगता !

और तेरा तो बिलकुल भी नहीं  

रोज़ दम साधे सुबह, दोपहर, शाम, रात

आँखों में काटना,

रोज़ व्याकुल होकर बार बार रास्ते पर

निगाहें बिछा कर बैठे रहना,

भगवान् से मिन्नतें प्रार्थनाएं करना

और तेरे आगमन की प्रतीक्षा में

असह्य अनिर्वचनीय कष्ट और

मानसिक संताप को झेलना

मुझे ज़रा भी अच्छा नहीं लगेगा !

इस बार तो मैंने तुझे चकमा देकर

लौटा दिया था अपने दर से !

जानती हूँ हर बार यह संभव न होगा !

एक दिन तो मुझे हर हाल में

तेरा स्वागत करना ही होगा !

बस उस दिन तू मुझे

अपनी बाहों में भर कर

खामोशी से चुरा कर ले जाना

दूर बहुत दूर !

मैं तुझसे कोई सवाल नहीं करूँगी

हम दोनों हाथों में हाथ डाले खुशी खुशी

चलेंगे साथ साथ अनचीन्हे रास्तों पर

जहाँ पथ पर रोशनी ही रोशनी हो,

जहाँ वातावरण में दिव्य संगीत गूँजता हो

और जहाँ अपार शान्ति हो, सुकून हो

और हो तेरा साथ !

तो किसी दिन आना ज़रूर सखी !

उस दिन बिलकुल चुपके से

मुझे सरप्राइज देने के लिए

अनायास ही तुम आ धमकना

इस सरप्राइज़ का मैं ज़रूर

तहे दिल से स्वागत करूँगी

ये वादा रहा !


चित्र - गूगल से साभार  


साधना वैद

 


17 comments :

  1. ये सखी सबको आती मिलने और अपने साथ ले जाती , आप कुछ भी चाह लो लेकिन ये अपने मन की करती ।
    वैसे ऐसे वादे न किया कीजिये जहाँ अपना कोई वश न हो ।
    यूँ मैन भी लिखा था कि भरपूर आलिंगन के लिए तैयार हूँ 😄😄😄😄
    मन के भावों को खूब शब्द दिए हैं ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद संगीता जी ! इस सखी से मिलना तो अवश्यम्भावी है ! बस इसके साथ स्वस्थ तन मन से जाना चाहती हूँ ! एडियाँ रगड़ कर नहीं ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  2. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद सुमन जी ! बहुत आभार आपका !

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  3. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद तिवारी जी ! आपका बहुत बहुत आभार !

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  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24-06-2021को चर्चा – 4,105 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी ! सादर वन्दे !

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  5. मत से दोस्ती!!
    और दोस्ती से भय कैसा...
    वाह!!!
    क्या बात...बहुत ही लाजवाब।

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    1. हृदय से बहुत बहुत आभार सुधा जी ! दिल से धन्यवाद आपका !

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  6. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! बहुत बहुत आभार !

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  7. भावपूर्ण अभिव्यक्ति |रचना बहुत अच्छी लगी |

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    1. अरे वाह ! हार्दिक धन्यवाद आपका ! बहुत बहुत आभार जीजी !

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  8. बहुत ही सुंदर

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  9. इस सखी से मिलने की आतुरता क्यों साधना जी। अभी बहुत कुछ करना बाकी है।

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    1. अंतिम एवं स्थाई विश्राम तो उसीकी गोद में मिलना है रेणु जी ! हार्दिक आभार आपकी आत्मीय प्रतिक्रिया के लिये !

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