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Saturday, May 14, 2022

मान लो मेरी बात

 



नशे में डूबी है सारी दुनिया

छाया हुआ है सुरूर चहुँ ओर

मदहोश है हर शै इस जहाँ की

मस्ती का है कोई ओर न छोर

ऐसे में दो घूँट मैंने भी पी ली

तो इतना बवाल क्यों ?

थोड़ा सा ग़म ग़लत कर लिया

तो इतने सवाल क्यों ?

कुछ देर को ही सही

मैंने जन्नत की सैर तो कर ली

कुछ देर को ही सही

मैंने नेमतों से अपनी झोली तो भर ली !

वरना तो रोज़ ही भटकता फिरता हूँ

दर ब दर एक खाली बोतल सा ! 

घर से ऑफिस की गलियों में  

दुखों का बोझ कन्धों पर लादे

ज़माने भर की फिक्रों और

दुनिया जहान की जिम्मेदारियों की

एक बड़ी सी पोटली बाँधे !

बीमार अम्माँ बाबूजी की दवा,

बच्चों की फीस, घर का किराया,

बिजली, पानी के बिल

कर्जदारों की किश्त और

घर के ज़रूरी सामान की

लम्बी सी फेहरिस्त !

जब इन्हें पूरा करने के लिए

धन का कोई इंतजाम नहीं हो पाता,

जब किचिन में लुढ़कते

आटे दाल चावल के खाली डिब्बों का

शोर और नहीं सुना जाता

और जब नफ़रत भरी तुम्हारी हुंकार

और तुम्हारे तानों को

और सहा नहीं जाता  

तो यही सुरा सुन्दरी

अपने आगोश में ले मुझे

रात भर के लिए ही सही

मगर बादशाह तो बना देती है

मेरे बालों को सहला मीठी सी थपकी दे

मुझे दुलरा के सुला तो देती है !

तब मैं अपना सारा दुःख, अपनी हर चिंता

भूल जाता हूँ और सारी दुनिया को

मुट्ठी में बाँध आसमान में उड़ने लगता हूँ !

क्यों तुम मुझसे मेरा यह क्षणिक सुख भी

छीन लेना चाहती हो ?

क्यों तुम मुझे निमिष मात्र में

राजा से रंक बना देना चाहती हो ?

क्यों तुम मेरे पंखों को क़तर कर

मुझे ज़मीन पर गिरा देना चाहती हो ?

मैं होश में आकर शर्मिन्दगी से मर जाऊँ

इससे तो अच्छा है कि  

मदहोशी के आलम में ही सही

मैं कुछ देर तो जी लूँ !

जीवन भर दुःख, अपमान, ज़िल्लत के

कड़वे घूँट ही पीता रहा

आज कुछ देर इस मादक शीतल पेय के

दो मीठे घूँट तो पी लूँ !

सुनो ना प्रिये

आज मान लो मेरी बात

बस थोड़ी सी मुझे पी लेने दो

और जी भर के मुझे जी लेने दो !

 

साधना वैद


2 comments :

  1. Replies
    1. अरे वाह ! हार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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