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Wednesday, September 13, 2023

काग़ज़ की कश्तियाँ

 


काग़ज़ की कश्तियाँ


गया

सावन

भर गई

साफ पानी से

घर की सड़क

आओ तैराएँ हम

काग़ज़ की कश्तियाँ

रख लें पकड़

वीर बहूटी

मखमली

प्यारी सी

डिब्बी

में 


ले

आया

कितनी

ढेर सारी

मुस्कुराहटें

और थमा गया

कागज़ की कश्तियाँ

और ढेरों मस्तियाँ

चंचल हाथों में

बनने लगीं

कागज़ की

कश्तियाँ

बातों

में 


दे

गया

सुंदर

उपहार

मनभावन

मधुर यादों का

विरहिन गोरी को

देखती है राह जो

खिड़की से टिकी 

प्रियतम की

रिमझिम

फुहारों 

संग

ही



साधना वैद

7 comments :

  1. वाह! खूबसूरत सृजन!

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    1. हार्दिक धन्यवाद शुभा जी ! आभार आपका !

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  2. किश्तियों से बुनी कविता

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  3. हार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सादर वन्दे !

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  4. वाह! बहुत सुंदर

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    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! आपका बहुत बहुत आभार !

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