क्या
जानें
आओगे
भुलाओगे
कौन बताये
किस्मत हमारी
फितरत तुम्हारी !
है
पता
मुझे भी
आसाँ नहीं
दुःख भुलाना
पर करें भी क्या
ज़ालिम है ज़माना
हे
प्रभु
आशीष
देना हमें
न चाहें सुख
कर्तव्य पथ से
न हों कभी विमुख
ये
फूल
खिलते
महकते
मुस्कुराते हैं
हमें सुखी कर
भू पे बिछ जाते हैं !
साधना वैद
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 20 अप्रैल 2025 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
हार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !
Deleteबहुत ही सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteवाह ! बहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद गगन जी ! आभार आपका !
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