नव निर्मित पुल
का उदघाटन करके मंत्री जी अभी-अभी मंच पर आए थे ! पीछे-पीछे पुलिस और प्रशासन के
आला अधिकारियों का हुजूम था ! उनके पीछे आम जनता की बड़ी भारी भीड़ नेता जी की जय
जयकार करती और ‘नेता जी जिंदाबाद’ के नारे लगाती उमड़ी पड़ रही थी ! मंच पर आसीन
होते ही नेता जी ने माइक सम्हाला, “ हमारी सरकार का पहला
उद्देश्य रहा है जनता की सेवा और उनका सर्वांगीण विकास ! हमारा तो ध्येय ही जनता
को जोड़ने का रहा है ! इसीलिए हमने अपने तीन साल के कार्यकाल में प्रदेश में तीन नए
पुलों का निर्माण किया है और हज़ारों लोगों को इन पुलों के माध्यम से एक दूसरे के
साथ जोड़ा है ! उनके बीच व्यापार और सामाजिक सौहार्द्र की संभावनाओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण
योगदान किया है ! हमारा विकास का रथ बहुत तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है ! अपने दो
वर्ष के कार्यकाल में अभी हमारी दो पुल बनाने की योजना और है ! इस तरह प्रदेश में
पुलों की संख्या आठ हो जाएगी ! पाँच पुल हमारे बनाए हुए और तीन पुल पहले के बने
हुए !”
“नहीं-नहीं नेता जी ! कुछ भूल हो रही है ! वर्तमान में पुलों की संख्या कुल तीन ही
है ! तीन पुल तो देख रेख और मरम्मत के अभाव में ढह चुके हैं ! एक पुल और जिसका
निर्माण दो साल पहले ही हुआ था, गिरने की कगार पर है ! दो साल बाद कितने पुल
अस्तित्व में होंगे अभी से कहना मुश्किल है !” भीड़ में से एक आवाज़ उभरी !
साधना वैद
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