वह एक किताब थी ,
किताब में एक पन्ना था ,
पन्ने में हृदय को छू लेने वाले
भीगे भीगे से, बहुत कोमल,
बहुत अंतरंग, बहुत खूबसूरत से अहसास थे ।
आँखे बंद कर उन अहसासों को
जीने की चेष्टा कर ही रही थी कि
किसीने हाथ से किताब छीन कर
मेज़ पर पटक दी ।
मन आहत हुआ ।
चोट लगी कि
किताबों पर तो औरों का हक़ भी हो सकता हैं !
उनमें संकलित भावनायें अपनी कहाँ हो सकती हैं !
कहाँ जाऊँ कि मन के उद्वेग को शांति मिले !
इसी निराशा में घिरी मैं जा पहुँची नदी के किनारे ।
सोचा प्रकृति तो स्वच्छंद है !
उस पर कहाँ किसी का अंकुश होता है !
शायद यहाँ नदी के निर्मल जल में
मुझे मेरे मनोभावों का प्रतिबिम्ब दिखाई दे जाये !
पर यह क्या ?
किनारों से बलपूर्वक स्वयम को मुक्त करता हुआ
नदी का प्रगल्भ, उद्दाम, प्रगाढ़ प्रवाह्
बहता जा रहा था पता नहीं
किस अनाम, अनजान, अनिर्दिष्ट मंज़िल की ओर
और किनारे असहाय, निरुपाय, ठगे से
अपनी जड़ों की जंजीरों से बँधे
अभागे क़ैदियों की तरह्
देख रहे थे अपने प्यार का इस तरह
हाथों से छूट कर दूर होते जाना ।
और विलाप कर रहे थे सिर पटक कर
लेकिन रोक नहीं पा रहे थे नदी के बहाव को ।
मन विचलित हुआ ।
मैंने सोचा इससे तो बंद किताब ही अच्छी है
उसने कितनी घनिष्टता के साथ
अपने प्यार को, अपनी भावनाओं को,
अपने सबसे नर्म नाज़ुक अहसासों को
सदियों के लिये
अपने आलिंगन में बाँध कर रखा है !
ताकि कोई भी उसमें अपने मनोभावों का
पतिबिम्ब किसी भी युग में ढूँढ सके ।
साधना वैद
सच ही लिखती हैं आप कि किताब में लिखे कोमल अहसाह बहुतों को अपने आगोश में ले कभी मीठी थपकी दे सुलादेते हैं त्तो किसी को मां की तरह दुलरा देते हैं
ReplyDeletebhut khub
ReplyDeletemane 2 din pahle hi blog bnaya hai
plz 1 comments
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किताब के सहारे से आपने क्या बातें कहीं हैं
ReplyDeleteवाह !
मैंने सोचा इससे तो बंद किताब ही अच्छी है
ReplyDeleteउसने कितनी घनिष्टता के साथ
अपने प्यार को, अपनी भावनाओं को,
अपने सबसे नर्म नाज़ुक अहसासों को
सदियों के लिये
अपने आलिंगन में बाँध कर रखा है !
ताकि कोई भी उसमें अपने मनोभावों का
पतिबिम्ब किसी भी युग में ढूँढ सके ।
बहुत सुन्दर रचना है ।बधाई
बहुत सुन्दरता से बखाना है किताबों के होने के अहसास को...
ReplyDeleteकिताब नदी मन ..कविता तो बस इन तीन शब्दो मे ही हो जाती है !!!
ReplyDeleteकिताबो के महत्व को नाकारा नहीं जा सकता |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव|
किताब में एक पन्ना था
पन्ने में दिल को ----
बहुत प्यारी रचना है |
आशा