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Tuesday, June 15, 2010

एक शाम - सांता क्रूज बीच पर

रविवार का दिन था ! और हम लोगों का उस दिन अचानक ही सांता क्रूज बीच पर जाने का प्रोग्राम बन गया ! प्रशांत महासागर का एक बहुत ही प्रसिद्धऔर रंगीन बीच जहां गुज़ारा हर लम्हा न केवल मन मस्तिष्क में मधुर यादों की अमिट छाप अंकित कर गया वरन जीवन की विविधता के अद्भुत नजारों के दर्शन से विस्मित भी कर गया !
कैसी रोमांचकारी शाम थी वह ! दो अथाह सागरों को एक दूसरे के समानांतर मैंने एक साथ हिलोरें लेते हुए देखा था ! एक सागर था प्रशांत महासागर और दूसरा था उससे भी कहीं अधिक उत्ताल तरंगों के साथ ठाठें मारता अत्यंत गतिशील और उत्साह से छलछलाता जन समुदाय का महासागर ! जहां सागर की उतावली लहरें पूर्ण आवेग के साथ किनारों को अपनी बाहें लंबी कर दूर तक छूने के प्रयास में आतुरता से बढती थीं वहीं उससे भी कहीं अधिक आतुरता से किनारों पर लगी राइड्स की पींगें उत्साह से किलकारियां मारते लोगों को बादलों को छूने के लिए प्रेरित करती आसमान के पास तक पहुँचाने में लगी हुई थीं ! मंत्रमुग्ध से सम्मोहन में डूबे इतने विशाल जन समुदाय को मैंने देखा तो पहले भी कई बार था लेकिन इतनी शिद्दत के साथ उनके इस जज्बे को महसूस पहली बार किया ! सागर के किनारे बीच पर अथाह जनसमूह उमड़ा पड़ रहा था ! लहरों के साथ खेलते, अठखेलियाँ करते, डूबते उतराते लोग, फ्रिस्बी और बीच बॉल को उछाल उसके पीछे दौड़ लगाते लोग, पतले से स्लाइडिंग बोर्ड के सहारे लहरों पर सवारी करने की मशक्कत में लगे गिरते पड़ते लोग, पैरों के ऊपर गीली रेत को जमा घरौंदे बनाते लोग, ऐसे ही निष्क्रिय धूप में नंगे बदन औंधे पड़े सूर्य की ऊष्मा से शरीर की सिकाई करते लोग या फिर खाते पीते मौज मनाते समुदी पंछियों के साथ खेलते हुए लोग ! जिधर नज़र घुमाओ कोई नया ही नज़ारा देखने को मिल जाता था !
मुझे लोगों के चहरे पढने में बहुत मज़ा आता है लेकिन इतनी गतिविधियों के बावजूद भी सारे चहरे जैसे बंद किताब की तरह थे !
वेशभूषा और केश विन्यास की इतनी विविधता आपने एक साथ एक ही स्थान पर इससे पहले कभी कहीं नहीं देखी होगी ! बिकनी,जींस टॉप, फ्रॉक, स्कर्ट, मिनी स्कर्ट, लौंग स्कर्ट, मिडी, खुले, ढके, छोटे, बड़े, ढीले, तंग, हर तरह के कपडे, यहाँ तक की साडी से लेकर सूट तक हर वेश में वहाँ लोग मिल जाते हैं ! आपके जेहेन में जितनी तरह की वेशभूषाओं को आप सोच सकते हैं उससे कई गुना उन्हें मल्टीप्लाई कर दीजिए तो शायद आप सही आंकड़े को छू पायेंगे ! इसी तरह केश विन्यास को ले लीजिए ! बिलकुल घुटी चाँद से लेकर कमर तक लहराते हर लम्बाई के बाल स्त्री और पुरुष दोनों के सिर पर दिखाई दे जायेंगे ! एक चोटी से लेकर असंख्य चोटियों में गुंथे बाल, जूडे से लेकर घुंघराली या सीधी लटों में कंधों पर लहराते बाल, लाल, सफ़ेद, हरे, काले या कई रंगों में स्ट्रीक्स की छटा बिखेरते बाल, या विविध रंगों के क्लिप्स, हेयर बैंड्स और क्लचर्स के अनुशासन में बंधे बाल ! बस देखते ही जाइए ! इस तिलस्म का नज़ारा कभी खत्म ही नहीं होता ! सांताक्रूज बीच पर हर देश को लोग दिखाई दे जाते हैं ! हर रंग की स्किन के लोगों का जैसे यही एक पसंदीदा स्थान है !
हैरानी की बात यह है कि सब मंत्रमुग्ध से बस चलते ही जाते हैं ! किसी की निगाहें सागर की लहरों पर टिकी हैं तो किसी की आसमान को छूती राइड्स पर ! उधर सागर की लहरों का शोर है तो इधर लोगों के हर्षोन्माद का शोर है ! उधर सागर की लहरें आपस में टकरा कर एक दूसरे में विलीन हो जाती हैं इधर भी विशाल जन समुदाय हिलोरें लेता हुआ चलता है तो अनायास ही लोग एक दूसरे से टकरा जाते हैं और अगले ही पल उस महासागर में खो से जाते हैं ! बस एक विनम्र 'सॉरी' के आगे पीछे कुछ भी कहने की ज़रूरत बाकी नहीं रहती ! कोई किसीसे नाराज़ नहीं होता ! शिष्टाचार और सामंजस्य का ऐसा अद्भुत दृश्य अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलता !
घूमते घामते, खाते पीते, तरह तरह की राइड्स का मज़ा लेते कब शाम बीत गयी पता ही नहीं चला ! जब घर लौटे तो दस बज चुके थे ! लेकिन रविवार की उस शाम को मैंने सांताक्रूज बीच पर मिनी विश्व दर्शन का भरपूर आनंद लिया था और उस दिन की वे विशिष्ट स्मृतियाँ मेरे मन में सदैव सजीव रहेंगी यह भी पूर्णत: निश्चित है !


साधना वैद

19 comments :

  1. are waah hamein bhi sair kara di aapne to...

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  2. बहुत बढ़िया प्रस्तुति...सुंदर संस्मरण के लिए बधाई

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  3. चलिए, इसी बहाने हमने भी यादें ताजा कर लीं.

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  4. साधना जी यह अच्‍छा लग रहा है कि आपने आते ही लिखना शुरू कर दिया है। अपने अनुभव बांटते चलिए, सभी के लिए आनन्‍ददायक होगा। अमेरिका में सारी दुनिया बसती है इसलिए प्रत्‍येक स्‍थान पर विभिन्‍नताएं ही मिलती हैं।

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  5. sundar prastuti..

    iisanuii.blogspot.com

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  6. बहुत सुंदर वर्णन किया है आपने |उस बीच और वहां
    पर उपस्थित लोगों का वर्णन इतना अच्छा लगा की
    आँखों के सामने द्रश्य उभरने लगे |बधाई
    आशा

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  7. बीनाशर्माJune 16, 2010 at 6:40 AM

    अरे वाह| हम तो घर बैठे ही सांताक्रूज बीच घूम लिए |खूब आनंद आया |लगता है आप वहाँ के नजारों के विषय में बताती -बताती हमें भी वहाँ खींच ले जायेंगी|
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  8. साधना जी ये आनन्द मै भी ले चुकी हूँ मगर संस्मरण लिखने का समय नही मिला कुछ तस्वीरें भी लगाती तो और भी अच्छा था। आगे भी इन्तजार रहेगा। क्याजित गुप्ता जी से बात हुयी वो भी आपके नज़दीक ही हैं आपको उनका फोन दिया था।

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  9. Lagta he bahut bareeki se har cheez ko dekha hai...koi b cheez chhuti nahi...colour,dresses,face expressions, hair styles, and their enjoyments sabhi ko aapne apni kalam me baandh diya...jis se aapki kahi ye baat saarthak hoti he ki aap ko shauk he logo ke chehre padhne ka.

    sunder anubhav...and keep enjoy

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  10. आपकी अध्बुध लेखन शैली ने हमें भी मिनी विश्व के दर्शन कर लिए ....

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  11. आपने जितना आनंद लिया उसका कुछ भाग यहाँ बाँट के हम को भी आनंदित कर दिया.

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  12. अच्छा रिपोर्ताज . यही देश का अधुनातन परिवेश है ।

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  13. Very good. SARAL HINDI KA PRAYOG HONA
    CHAHIYE.
    V K VAID

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  14. सांताक्रूज बीच घूम कर आनंद आया |
    बहुत बढ़िया ....

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  15. अच्छी प्रस्तुति के लिये बहुत-बहुत बधाई....

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  17. घर बैठे इतने सुन्दर बीच पर विचरने का आनंद उठा लिया हमने...ऐसा लगा जैसे सब कुछ आँखों के आगे घटित हो रहा है..
    इतने सुन्दर शब्दों में आपने बाँधा है की हर दृश्य जीवंत हो उठा है.

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