क्यों है हताशा साधना का
फल नहीं जो मिल सका ,
क्यों है निराशा वन्दना का
फूल जो ना खिल सका ,
हैं अनगिनत संभावनायें
राह में तेरे लिये ,
दीपक जला ले आस का, तम
दूर करने के लिये !
ले ले दुआ उनकी भरोसा
है जिन्हें तदबीर पर ,
तू थाम उनका हाथ तत्पर
जो कि तेरी पीर पर ,
जो जीतना ही है जगत को
हौसला चुकने ना दे ,
होगी सुहानी भोर भी तू
रात को रुकने ना दे !
साधना वैद
होगी सुहानी भोर भी तू
ReplyDeleteरात को रुकने ना दे !
बहुत ही अच्छा संदेश, और खास बात यह है कि कविता को बार बार पढ़ते रहने का मन होता है।
सादर
वो सुबहा कभी तो आयेगी ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
Optimistic approach. Good.
ReplyDeleteजो जीतना ही है जगत को
ReplyDeleteहौसला चुकने ना दे ,
होगी सुहानी भोर भी तू
रात को रुकने ना दे !
बहुत ही सुंदर शब्दों मैं लिखी जोश भरती हुई बेमिसाल रचना /बहुत बधाई आपको //मेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद /आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा /आभार /
कल 19/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है ... आपके सुझावों का स्वागत है ...
ReplyDeleteसुन्दर भाव लिए रचना के लिए बधाई |
ReplyDeleteआशा
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
ReplyDeleteवाह...क्या बात है..
ReplyDeleteजो जीतना ही है जगत को
ReplyDeleteहौसला चुकने ना दे ,
होगी सुहानी भोर भी तू
रात को रुकने ना दे ...
बहुत ही ओज़स्वी रचना ... होंसला रहना चाहिए ...
prerit karti rachna.....
ReplyDeleteआपकी लेखनी अब छंदों की मुरीद हो गई है साधना दीदी जी। बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeletebahut hi behatarin rachana hai.
ReplyDeleteSuhani subah zaroor aayegi .
ReplyDeleteInsha Allah ...
सार्थक और बेहद खूबसूरत रचना..बहुत सुन्दर ..
ReplyDeletejiwan ki kathinaaiyon me hauslo se marg prashast karti sunder rachna. ham sab ko is se seekh leni chaahiye.
ReplyDeleteaabhar.
साधना जी,इस सुंदर पोस्ट के लिए बधाई,आपके इस ब्लॉग में पहली बार आया,सभी रचनाये अच्छी लगी,
ReplyDeleteजो जीतना ही है जगत को
ReplyDeleteहौसला चुकने ना दे ,
होगी सुहानी भोर भी तू
रात को रुकने ना दे !
प्रेरक पंक्तियां !!
जो जीतना ही है जगत को
ReplyDeleteहौसला चुकने ना दे ,
होगी सुहानी भोर भी तू
रात को रुकने ना दे ...
sarthak sandesh..
सभी सुधी पाठकों की आभारी हूँ कि आपने इस रचना को सराहा ! सभी नवागंतुकों का स्वागत है ! इसी तरह मेरा उत्साहवर्ध करें यही विनम्र निवेदन है !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है आपने बधाई
ReplyDeleteजो जीतना ही है जगत को
ReplyDeleteहौसला चुकने ना दे ,
होगी सुहानी भोर भी तू
रात को रुकने ना दे !
....बहुत प्रेरक अभिव्यक्ति..दीपावली की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं !
बहुत सुन्दर भाव से सजी रचना ...
ReplyDeleteउम्मीद पर दुनिया कायम है ..