आइये
आज आपका परिचय एक और विलक्षण व्यक्तित्व से करवाती हूँ जिनसे हम लोगों का परिचय शाहजहाँ
पार्क में सुबह की सैर के दौरान ही हुआ ! ये सज्जन हैं श्री कृष्ण मुरारी अग्रवाल
! पुराने आगरा से कचहरी घाट से ये हर रोज पार्क में आते हैं और इनकी पार्क के हर
मोर, तोते, कौए यहाँ तक कि कुत्तों व बंदरों के साथ भी बड़ी अच्छी दोस्ती है ! पिछले
बाईस सालों में उनका यह क्रम कभी नहीं टूटा ! उन्होंने बताया कि बाईस वर्ष पहले वे
डायबिटीज़ के कारण काफी बीमार और कमज़ोर हो गये थे ! तब डॉक्टर ने उन्हें सुबह पाँच
किलोमीटर घूमने की सलाह दी थी ! तब से उन्होंने प्रात:काल सैर का जो यह नियम बना
लिया उस पर वे दृढ़ता के साथ आज भी अमल करते हैं ! अग्रवाल जी का कहना है कि
डायबिटीज़ शरीर के हर अंग को बीमार और अशक्त बना देती है जबकि सुबह की सैर शरीर के
हर अंग को सशक्त एवं स्वस्थ कर देती है ! अग्रवाल जी के तीन बेटे हैं ! एक बेटे का
नमक की मंडी में आभूषणों का कारोबार है, दूसरे बेटे का दवाओं का काम है तथा तीसरे
बेटे कोचिंग क्लास चलाते हैं !
मैं
रोज देखती थी कि दोनों हाथों में भारी भरकम थैले उठाये एक वृद्ध सज्जन जवानों को
भी मात देते हुए बड़े सधे कदमों से पार्क के हर कोने में जाकर कहीं पंछियों को तो
कहीं कुत्तों को और कहीं बंदरों को अपने थैलों से सामान निकाल- निकाल कर खिलाते
हैं और सभी पशु पक्षी ना केवल उन्हें पहचानते हैं वरन उनकी प्रतीक्षा भी करते हैं
! पार्क के विशिष्ट स्थलों पर जाकर वे बड़ी लयात्मक टोन में ज़ोर से पुकार लगाते हैं
तो ढेरों तोते, कौए, कबूतर, गौरैया और अन्य परिंदे, यहाँ तक कि मोर भी उनके पास आ
जाते हैं और फिर वे अपने थैले से मुट्ठी भर-भर कर बाजरा और रागी उनके सामने बिखेर
देते हैं तो सब बड़े चाव से उन दानों को चुगते रहते हैं ! मैंने देखा था कि अन्य
लोग बेसन की बनी बूँदी या और भी कई प्रकार की चीज़ें पंछियों के लिये लेकर आते हैं जो
पंछियों के लिये नुकसानदायक हो सकते हैं ! इसकी चर्चा करने पर अग्रवाल जी ने बताया
कि पंछियों को ऐसी चीजें नहीं देनी चाहिए ! ये उन्हें बीमार बना देती हैं !
उन्होंने एक बार का बड़ा दर्दनाक किस्सा सुनाया ! वे भी पहले ऐसा ही करते थे ! पार्क
के मोरों से उनकी बड़ी अच्छी दोस्ती हो गयी थी ! वे उनके लिये बूँदी के लड्डू लेकर
आते थे जिन्हें मोर बड़े शौक के साथ खाते थे ! पार्क के एक पीपल के पेड़ पर रहने
वाला मोर उनसे बहुत हिल गया था और उनकी आवाज़ सुन कर पेड़ से नीचे उतर कर उनके पास
लड्डू खाने आ जाता था ! एक दिन जैसे ही अग्रवाल जी ने उसे लड्डू दिया एक कुत्ता
वहाँ झपटता हुआ आ गया और मोर से उसकी ज़बरदस्त लड़ाई हो गयी ! मोर घायल हो गया !
उसके बहुत सारे खूबसूरत पंख टूट गये और बचे हुए पंखों से खून निकलने लगा ! अग्रवाल
जी को बहुत दुःख और पश्चाताप हुआ ! उन्हें अपनी भूल का अहसास हो गया और उन्होंने तुरंत
ही उसे सुधार भी लिया ! उसी दिन से वे पक्षियों के लिये दाने तथा कुत्तों व बंदरों
के लिये टोस्ट और ब्रेड रोटी इत्यादि लाते हैं ! अब सब पशु पक्षी अपनी अपनी पसंद
का भोजन करते हैं और किसीका किसीसे कोई झगड़ा नहीं होता !
इतनी
मँहगाई के चलते पार्क के जीव जंतुओं के लिये प्रतिदिन इस तरह थैले भर भर कर खाने
पीने का सामान लेकर आना कोई मामूली बात नहीं है ! मैंने पूछ ही लिया कि इस मिशन पर
उनका कितना खर्च हो जाता है तो उन्होंने बताया कि वे प्रतिदिन सौ रुपये का सामान
लेकर आते हैं ! उनका मानना है कि किसी बात के लिये अगर ठान लिया जाये तो ऊपरवाला
हर तरह से सहायता करता है ! अगर वे पार्क में सैर के लिये ना आते तो इससे भी अधिक
रुपये प्रतिदिन दवा इलाज में खर्च हो जाते ! इस तरह ना केवल वे अपने स्वास्थ्य की
सुचारू रूप से देखभाल कर पा रहे हैं वरन ढेर सारा पुण्य भी कमा रहे हैं ! है ना
लाख टके की बात !
आज
का परिचय यहीं तक अगली बार एक और दिलचस्प शख्सियत से आपका परिचय कराउँगी ! तब तक
के लिये नमस्कार !
साधना
वैद !
ऐसे लोग एक विशेष व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं...
ReplyDeleteवाह साधुवाद ऐसे सज्जन को , ऐसे लोग समाज को कायम रखे हुऐ हैं
ReplyDeleteअच्छा संदेश है, साधुवाद !!
ReplyDeleteAapke madhyam se humari bhi mulakaat ho gai...
ReplyDeleteविलक्षण आदतों के मालिक ऐसे लोगों के जीने के तरीके से कुछ शिक्षा मिलती है यदि अनुकरण किया जाए तो बहुत लाभ होता है |अच्छा आलेख |
ReplyDeleteआशा
बहुत अच्छा लगा श्री अग्रवाल जी के बारे में जान कर ...!!अपनी जीवन की डोर अपने ही हाथ में है ...!!कुछ अच्छा करना चाहें तो कौन रोक सकता है |बस मन में ही आना चाहिए |बहुत सकारात्मक उर्जा मिली आपके आलेख को पढ़ कर ...!!बहुत आभार साधना जी ...!!
ReplyDeleteश्री अग्रवाल जी को मेरा प्रणाम, बड़ी अच्छे ढंग से आपने परिचय दिया है.
ReplyDeleteआदरणीय अग्रवाल जी के बारे में जानकर जितना अच्छा लगा उतना ही आपकी इस पोस्ट को पढ़कर भी लगा ... आभार परिचय के लिये
ReplyDeletepathak ko apni soch ko badalne ko prerit karti post.
ReplyDeleteअच्छा लगा जान कर अग्रवाल जी के बारे में अच्छा आलेख |
ReplyDeleteऐसे सोच के व्यक्ति बिरले मिलते है,,,अग्रवाल जी से परिचय एवं प्रेरक आलेख के लिये,,,आभार,,,,
ReplyDeleteRECENT P0ST ,,,,, फिर मिलने का
सकारात्मक ऊर्जा के प्रेरक श्री अग्रवालजी का आभार
ReplyDeleteबहुत बढ़िया परिचय ... ऐसे व्यक्ति ही समाज को प्रेरणा देते हैं ।
ReplyDeleteश्री अग्रवाल जी को नमन ! और इतनी प्रेरणादायक शख्शियत के विषय में हम सबसे साझा करने के लिये धन्यवाद !
ReplyDeleteऐसे सज्जन को सादर नमन
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