कूड़े
के ढेर के पास
दो
नन्हे हाथ
कचरे
से कुछ बीनते हैं !
सहसा
एक कर्कश
कड़क
आवाज़
उन्हें
कँपा देती है !
एक
फौलादी हाथ
कस
कर कान
उमेठ
देता है और
वातावरण
में एक
करुण
क्रंदन तैर जाता है
मुझे
लगता है जैसे
हवाएं
फिर गुमसुम
हो
गयी हैं ,
बुलबुल,
कोयल, मोर, परिंदे
सब
खामोश हो गये हैं ,
फूल
उदास हैं ,
कलियाँ
खिलने के नाम से
भयभीत
हैं !
हर
पत्ता अंकुरित होने से
इनकार
कर रहा है !
तितलियाँ
सहमी हुई हैं
और
भँवरे
फूलों
के पास आने से
परहेज़
कर रहे हैं !
लगता
है जैसे
आज
क्षितिज पर
सूरज
भी निस्तेज
हो
गया है !
किसने
फिजाओं में
इतनी
बेचैनी भर दी है ?
किसने
कायनात की
हर
मासूम शै को
इस
तरह बेरहमी से
रौंद
दिया है ?
किसने
इनकी
निश्च्छल
आँखों से
उजाले
छीन उन्हें
आँसुओं
से भर दिया है ?
कोई
तो इन्हें भी
प्यार
से छूकर
एक
बार फिर से
इन्हें
खिला दे !
कोई
तो इनके अधरों पर भी
खोई
हुई मुस्कान लौटा दे !
कोई
तो इन्हें भी
जीने
का हक दिलवा दे !
ये
भी वो टूटे तारे हैं
जो
हर साध ,
हर
कामना ,
हर
ख्वाहिश को
पूरा
करने की
क्षमता
रखते हैं !
कोई
तो इन्हें भी
खुद
से मिलवा दे ,
कोई
तो इन्हें भी
जीना
सिखला दे !
साधना
वैद
बहुत मार्मिक रचना......
ReplyDeleteमन को छू गयी..व्यथित भी हुआ मन.
सादर
अनु
गूंगे बहरों की बसती है
ReplyDeleteकौन बोले !
बढिया रचना
ReplyDeleteसामाजिक सरोकार से जुड़ी बहुत मार्मिक रचना
ReplyDeleteऐसे दृश्य आए दिन देखने को मिल जाते है |बहुत मार्मिक दिल छूने वाली रचना |
ReplyDeleteआशा
मन को छूते भाव ...
ReplyDeleteदिल को छू गयी आपकी रचना
ReplyDeleteबहुत ख़ूब! वाह!
ReplyDeleteकृपया इसे भी देखें-
नाहक़ ही प्यार आया
आज 06-10-12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete.... आज की वार्ता में ... उधार की ज़िंदगी ...... फिर एक चौराहा ...........ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
कोई तो इन्हें भी
ReplyDeleteजीने का हक दिलवा दे !
ये भी वो टूटे तारे हैं
जो हर साध ,
हर कामना ,
हर ख्वाहिश को
पूरा करने की
क्षमता रखते हैं !
कोई तो इन्हें भी
खुद से मिलवा दे ,
मार्मिकता से भरी भावप्रवण रचना
sach kaha aasha ji ne aise drishy aaye din dekhne ko milte hain lekin ham itne samvedanheen hain ki kuchh nahi karte unke liye.
ReplyDeletemarmik prastuti.
मन को छू गयी..बहुत ही मार्मिक रचना..
ReplyDeleteकोई तो इन्हें भी
ReplyDeleteखुद से मिलवा दे ,
कोई तो इन्हें भी
जीना सिखला दे !
मन को छूते रचना के भाव ...
ye dard har din ghat ta hai:(
ReplyDeleteअत्यंत मार्मिक और भावपूर्ण रचना.
ReplyDeleteकोई तो इन्हें भी
ReplyDeleteखुद से मिलवा दे ,
कोई तो इन्हें भी
जीना सिखला दे !......bhawbhini....
बहुत मार्मिक रचना..
ReplyDeleteये भी वो टूटे तारे हैं
ReplyDeleteजो हर साध ,
हर कामना ,
हर ख्वाहिश को
पूरा करने की
क्षमता रखते हैं ! मार्मिक रचना बडगे
कोई तो इन्हें खुद से मिलवा दे । सचमुच मन दर्द से भर उठा ।
ReplyDeleteये भी वो टूटे तारे हैं
ReplyDeleteजो हर साध ,
हर कामना ,
हर ख्वाहिश को
पूरा करने की
क्षमता रखते हैं
सच मे क्षमता के होते हुये भी हर किसी की तकदीर साथ नही देती। मार्मिक अभिव्यक्ति। आज बहुत दिन बाद नेट पर आयी तो पहले आपके ब्लाग पर। शुभकामनायें।
कितने मजबूर हैं ये नन्हे - नन्हे टूटे हुए तारे, अफ़सोस होता है देखकर बचपन ऐसा भी होता है... मार्मिक अभिव्यक्ति
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