तुम
मुझे संसार में
आने
तो दो माँ
देख
लेना
मैं
सारे संसार के उजाले
तुम्हारी
आँखों में भर दूँगी !
तुम
मेरे पाँवों से बँधी
सोने
की इस जंजीर को
बस
खोल तो दो माँ
मैं
क्षितिज तक की दूरी
एक
निमिष मात्र में
नाप
आऊँगी !
तुमने
जो मेरे पंख
क़तर
दिए हैं ना माँ
उन्हें
थोड़ा वक्त देकर
फिर
से उग तो आने दो
मैं
तुम्हें वचन देती हूँ माँ
मैं
अनन्त आकाश में
झिलमिलाते
सारे
सितारे तोड़ कर
तुम्हारे
आँचल में
टाँक
दूँगी !
तुम
इस स्वर्ण पिंजर का द्वार
ज़रा सा तो खोल दो माँ
मैं
भी उस अलौकिक
माटी की दिव्य मूरत के
दर्शन
करना चाहती हूँ
जिसके
चरणों में
बार-बार
माथा रगड़
तुम
मुझे जन्म देने के
अपराध
का प्रायश्चित
करना
चाहती हो और
उसी
माँ से बेटे का
वरदान
देने की
गुहार
लगाती हो !
मुझे
पूरा विश्वास है माँ
इस
संसार में मेरे आने से
अगर
उस माँ को भी
ऐतराज़
होगा तो फिर
उसे
तुम्हारा भी यहाँ होना
उतना
ही नागवार गुजरा होगा !
है
ना माँ ?
साधना
वैद
मुझे पूरा विश्वास है माँ
ReplyDeleteइस संसार में मेरे आने से
अगर उस माँ को भी
ऐतराज़ होगा तो फिर
उसे तुम्हारा भी यहाँ होना
उतना ही नागवार गुजरा होगा !
है ना माँ ?
कटु सत्य बयाँ कर दिया।
मैं क्षितिज तक की दूरी
ReplyDeleteएक निमिष मात्र में
नाप आऊँगी !
तुमने जो मेरे पंख
क़तर दिए हैं ना माँ
उन्हें थोड़ा वक्त देकर
फिर से उग तो आने दो
मैं तुम्हें वचन देती हूँ माँ
मैं अनन्त आकाश में
झिलमिलाते
सारे सितारे तोड़ कर
तुम्हारे आँचल में
टाँक दूँगी !
भावमय करते शब्द ... उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
सादर
जान पड़ते कई भावनाएं पनपती हैं ... एक जान की कीमत एक जान, भावनाओं की हत्या है . जिसने इस अबोध पुकार को अनसुना किया,वचन देने को बाध्य किया - वह रिश्तों से परे है ... न माँ,न पिता,न नाना,न दादा,न नानी दादी .... माँ की शक्ति सर्वविदित है,वह कमज़ोर तो विश्वास किस पर !
ReplyDeleteआराधना किसकी और क्यूँ
बढ़िया रचना!
ReplyDeleteबिटिया की महिमा अनन्त है!
एक कटु सत्य से रूबरू करवाती सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी रचना....
ReplyDeleteमन भावुक हो गया....
बहुत सुन्दर साधना जी.
सादर
अनु
संवेदनशील भाव लिए
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना.......
इस संसार में मेरे आने से
ReplyDeleteअगर उस माँ को भी
ऐतराज़ होगा तो फिर
उसे तुम्हारा भी यहाँ होना
उतना ही नागवार गुजरा होगा !
है ना माँ ?
इस सवाल का बैनर बनवा आकाश में टांगने का कोई उपाय ......... ??
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteइतनी सुन्दर रचना है जो दिल के काफी करीब लगी , बेटियों को बचाने की हमारी मुहीम सफल हो
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 18-10 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
मलाला तुम इतनी मासूम लगीं मुझे कि तुम्हारे भीतर बुद्ध दिखते हैं ....। .
मैं भी उस अलौकिक
ReplyDeleteमाटी की दिव्य मूरत के
दर्शन करना चाहती हूँ
जिसके चरणों में
बार-बार माथा रगड़
तुम मुझे जन्म देने के
अपराध का प्रायश्चित
करना चाहती हो और
उसी माँ से बेटे का
वरदान देने की
गुहार लगाती हो !
मुझे पूरा विश्वास है माँ
इस संसार में मेरे आने से
अगर उस माँ को भी
ऐतराज़ होगा तो फिर
उसे तुम्हारा भी यहाँ होना
उतना ही नागवार गुजरा होगा !
है ना माँ ?
साधना वैद
कन्या भ्रूण हत्या पर सशक्त रूपक .माँ तुम कैसी हो माँ ?क्या तुम भी शिव-शक्ति कल्याणी कहलाओगी ?ये हमारे वक्त की विडंबना है .हत्यारिन को माँ कहना पड़ रहा है .मासूमियत के चेहरे पे तेज़ाब फैंकने वाले को प्रेमी ,और किशोर वेलेंटाइन को ज़िबह करने वालों को खापिया पंचायत .
मुझे पूरा विश्वास है माँ
ReplyDeleteइस संसार में मेरे आने से
अगर उस माँ को भी
ऐतराज़ होगा तो फिर
उसे तुम्हारा भी यहाँ होना
उतना ही नागवार गुजरा होगा !
है ना माँ
बहुत सुंदर, हृदय स्पर्शी और भाव प्रवण रचना
वास्तव में तो नवरात्र का पर्व बेटी का माँ के घर आगमन का ही उत्सव है !
ReplyDeleteबेटी तो अनंत आकाश की सैर करने को ललायित है पर माँ ने कतार दिये हैं पंख ..... क्यों कि वो असीम आकाश में उसने वाले गिद्धों से चाहती है बचाना ..... मजबूर है ॥क्यों कि नहीं है माहौल स्वच्छंद जीने का लेकिन इस माहौल को भी शक्ति स्वरूपा नारी ही बदलेगी ...
ReplyDeleteबहुत भावयुक्त रचना
मर्मस्पर्शी रचना..
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये. मधुर भाव लिये भावुक करती रचना,,,,,,
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना..
ReplyDeleteहमेशा की तरह सुन्दरतम अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपको ये जानकार ख़ुशी होगी की एक सामूहिक ब्लॉग ''इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड ''शुरू हो चुका है.जिसमे भारतीय ब्लोगर्स का परिचय करवाया जायेगा.और भारतीय ब्लोग्स की साप्ताहिक चर्चा भी होगी.और साथ ही सभी ब्लॉग सदस्यों के ब्लोग्स का अपडेट्स भी होगा.ये सामूहिक ब्लॉग ज्यादा से ज्यादा हिंदी ब्लोग्स का प्रमोशन करेगा.आप भी इसका हिस्सा बने.और आज ही ज्वाइन करें.जल्द ही इसका काम शुरू हो जायेगा.
ReplyDeleteलिंक ये है
इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड
bhaav vibhor karti katu saty ko baya karti ek bitiya ki pukar par ek prabhavi prastuti.
ReplyDeleteकितना कोमल उदगार और कितना सशक्त भी...प्रभावशाली रचना !
ReplyDeleteमैं क्षितिज तक की दूरी
ReplyDeleteएक निमिष मात्र में
नाप आऊँगी !
तुमने जो मेरे पंख
क़तर दिए हैं ना माँ
उन्हें थोड़ा वक्त देकर
फिर से उग तो आने दो
मैं तुम्हें वचन देती हूँ माँ
मैं अनन्त आकाश में
झिलमिलाते
सारे सितारे तोड़ कर
तुम्हारे आँचल में
टाँक दूँगी
आदरणीया मौसीजी ,सादर वन्दे,
मन की हर व्यथा को शब्दों से परे बाँध कर रखा है आपने |
मन को झझकोरते विचार |सार्थक लेखन |गहन विचार् लिये रचना |बहुत अच्छी लगी |
ReplyDeleteआशा