म्यूनिख शहर के
जहाँ बेहद खूबसूरत और रौनक भरे स्थानों की मैंने आपको सैर करवाई है तो वहीं
क्रूरता और अमानवीयता की सारी सीमाओं को तोड़ते हुए दुःख दर्द पीड़ा क्षोभ और बेबसी
की असंख्य कहानियों को अपने अंतर में समेटे हुए डकाऊ कंसंट्रेशन कैम्प की वीरान
गलियों में भी मैं आपको अपने साथ लेकर चली हूँ जहाँ से गुज़रते हुए मेरे साथ-साथ
आपका मन भी निश्चित रूप से गहन अवसाद एवं उदासी से भर गया होगा ! लेकिन जब घूमने
आये हैं तो इस उदासी को उतार फेंकना बहुत ज़रूरी है ! इसलिये आइये मेरे साथ चलते
हैं कुछ और दिलचस्प जगहों को देखने जहाँ की अद्भुत शिल्प कला और खूबसूरती हमारी
उदासी को पल भर में छूमन्तर कर देगी ! तो चलिये सबसे पहले चलते हैं पुराना टाउन
हॉल देखने !
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पंद्रहवीं शताब्दी से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक यह इमारत शहर के म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के प्रमुख दफ्तर के रूप में इस्तेमाल होती रही ! सन् १८७७ में बढ़ते हुए यातायात को देखते हुए इसके ग्राउंड फ्लोर में जगह निकाल कर वाहनों के लिये व पैदल चलने वालों के लिये एक टनल नुमा रास्ता बनाया गया ! लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध से पहले जब यह रास्ता भी नाकाफी लगने लगा तो अंतत: १९३४/३५ में ग्राउण्ड फ्लोर को पूरी तरह से खत्म कर आने व जाने के लिये दो टनल नुमा रास्ते बनाए गये ! द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस बिल्डिंग को बहुत नुक्सान पहुँचा था लेकिन युद्ध समाप्त होने के बाद इसके पुनर्निर्माण के समय बड़ी सूक्ष्मता से पंद्रहवीं शताब्दी के मौलिक डिजाइन का पूरी ईमानदारी के साथ अनुकरण किया गया और यह बेहद सुन्दर बिल्डिंग अपने अतीत की सम्पूर्ण भव्यता के साथ पुन: गर्व से सिर उठा कर खड़ी हो गयी ! आजकल इस इमारत में पर्यटकों के आकर्षण के लिये एक टॉय म्यूज़ियम भी है !
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नये टाउन हॉल का
सबसे अधिक दिलचस्प और आकर्षक फीचर है इसकी प्रमुख मीनार में दो मंज़िल वाला एक झरोखा
जिसे Glockenspiel कहते हैं ! यह विश्व का चौथा सबसे बड़ा इस किस्म का झरोखा है !
यहाँ प्रतिदिन दिन में ११ बजे, १२ बजे व शाम पाँच बजे मेकेनिकल आदमकद पुतलों की
सहायता से एक तरह की नृत्यनाटिका का मंचन किया जाता है जिसमें एक मंज़िल में Duke
Wilhem v की Lorraine की राजकुमारी Renata से सन् १५६७ में हुई शादी की कहानी
दिखाई जाती है और दूसरी मंज़िल में एक नृत्यनाटिका दिखाई जाती है जिसमें सन् १७८१
में देश में फ़ैलने वाले प्लेग की त्रासदी व उस कठिन समय में राजा के प्रति
देशवासियों की स्वामिभक्ति व समर्पण के कथानक पर आधारित कार्यक्रम को दिखाया जाता
है ! इस नाट्य प्रस्तुति के मंचन के लिये ४३ घंटियों व ३२ आदमकद पुतलों का
इस्तेमाल किया जाता है ! पर्यटकों के लिये यह शो विशिष्ट आकर्षण का केन्द्र होता है !
नये टाउन हॉल की
इमारत ९१५९ मीटर के विशाल भूभाग पर बनी है और इसमें ४०० कमरे हैं ! इसका सौ मीटर
लंबा वह प्रमुख हिस्सा जो Marienplatz की ओर पड़ता है बहुत ही खूबसूरत है और उसमें पत्थर
और लकड़ी पर की गयी नायाब नक्काशी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर लेने की अद्भुत क्षमता
रखती है ! इमारत के सदर हिस्से में बेवेरियन राजघराने के ड्यूक्स, राजाओं,
राजकुमारों तथा राजवंश के अन्य सदस्यों की शानदार पारम्परिक छवियाँ बहुत ही सुन्दर
नक्काशी के साथ उकेरी गयी हैं ! खिड़कियों के काँच पर स्टेनग्लास पेंटिंग का बड़ा ही
महीन और खूबसूरत काम हो रहा है ! इस इमारत का पहले बना हुआ पूर्वी भाग ईंटों से
बनाया गया था ! १९७४ के बाद जब और जगह की आवश्यकता अनुभव की गयी तो इसी इमारत के
पश्चिमी भाग में नवनिर्माण कर और नये हिस्सों को जोड़ा गया जो कि लाइमस्टोन से
बनाये गये ! Glockenspiel इसी भवन की ७९ मीटर ऊँची मीनार में बना हुआ है जो कि इस भवन का सबसे खूबसूरत पार्ट
है !
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जहाँ यहाँ पुराने कलाकारों की एक से बढ़ कर एक खूबसूरत एवं क्लासिक पेंटिंग्स का संकलन है वहीं Neue Pinakothek में १९ वीं शताब्दी व उसके आगे के काल की पेंटिग्स व कलाकृतियाँ संकलित हैं ! Pinakothek der Moderne में मॉडर्न आर्ट की आधुनिकतम पेंटिग्स का संकलन देखने लायक है ! पुराने म्यूज़ियम में गैलरीज़ इस हिसाब से बनवाई गयी हैं कि उनमें रूबेन की ‘लास्ट जजमेंट’ जैसी पेंटिंग, जो कि आकार में अब तक की सबसे बड़ी पेंटिंग मानी जाती है, भी प्रदर्शन के लिये लगाई जा सकें ! इस संग्रहालय में एक से बढ़ कर एक खूबसूरत एवं क्लासिक पेंटिग्स देख कर मन मस्तिष्क ताज़गी से भर गया !
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समय कम रह गया था ! जल्दी जल्दी आधुनिक म्यूज़ियम Pinakothek der Moderne का हमने बाहर से ही राउंड लिया ! शाम ढल चुकी थी ! रात ९ बजे की ट्रेन से हमें रोम के लिये रवाना होना था ! मेट्रो स्टेशन पहुँच कर लोकल ट्रेन से हम लोग अपने होटल पहुँचे ! सामान उठाया और स्टेशन की ओर रुख किया ! रात को बर्गर किंग में डिनर लिया ! वेटिंग रूम में कुछ देर आराम किया ! ट्रेन बिलकुल समय पर आ गयी थी ! हमारा अगला पड़ाव रोम था !
रोम के संस्मरणों के लिये थोड़ा सा इंतज़ार
करिये ! यात्रा अभी जारी है ! आशा है इस सफर में मेरे हमसफ़र बन कर आपको भी ज़रूर
मज़ा आ रहा होगा ! तो रोम पहुँचने तक के लिये नमस्कार !
साधना वैद