आसान होता मिटाना
तेरा नाम
जो लिखा होता
उँगली से पानी पर
वह स्वत: ही पानी में
विलीन हो जाता !
जो लिखा होता
चॉक से स्लेट पर
वह गीले कपड़े से
पोंछ दिया जाता !
जो लिखा होता
पेन्सिल से पन्ने पर
वह रबर से
मिटा दिया जाता !
जो लिखा होता
कलम से कागज़ पर
और जो वह आसानी से
मिटता नहीं तो
माचिस की तीली दिखा
जला दिया जाता !
लेकिन क्या करूँ
जाने किस पैने नश्तर से
दिल की चट्टान पर
गहराई तक खंरोंच कर
उकेरा था
तेरा नाम मैंने
जो मिटाये नहीं मिटता !
बल्कि वक्त के तमाम
मौसमों की मार ने
उन गहरे अक्षरों में
अनेकों रंग भर कर
उन्हें और स्पष्ट
और उजागर
कर दिया है !
साधना वैद
No comments :
Post a Comment